ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के अंडरपास गांवों के लिए बनी मुसीबत, देखिए हालात

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के अंडरपास गांवों के लिए बनी मुसीबत, देखिए हालात

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के अंडरपास गांवों के लिए बनी मुसीबत, देखिए हालात

Tricity Today | ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के अंडरपास गांवों के लिए बनी मुसीबत, देखिए हालात

ग्रेटर नोएडा में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे पर आसपास के गांवों को आवागमन की सुविधा देने के लिए बनाए गए अंडरपास परेशानी की वजह बन गए हैं। जरा सी बारिश होने पर इनमें पानी भर जाता है। जिसकी वजह से गांवों के लोग पानी से निकलने के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस परेशानी के बारे में नेशनल हाइवे अथॉरिटी, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और स्थानीय अफसरों को कई बार बताया गया है। कोई समाधान करने के लिए तैयार नहीं है।

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (KGP) एक्सप्रेस वे या नेशनल एक्सप्रेस वे-2 भी कहते हैं। यह 135 किमी (84 मील) लंबा है। छह लेन का यह एक्सप्रेस वे (प्रत्येक दिशा में 3-लेन) हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। यह एक्सप्रेस वे पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेस वे पर कुंडली-सोनीपत से शुरू होता है और यूपी के बागपत, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा से गुजरता। फिर हरियाणा के फरीदाबाद, धौलागढ़ और पलवल तक जाता है।

ग्रेटर नोएडा में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे का करीब 32 किलोमीटर पड़ता है। एक्सप्रेस वे को बनाते वक्त मायचा, समाउद्दीनपुर, चकरसेनपुर, मड़ैया, फूलपुर, अंधपुर और बम्बावड समेत करीब 15 स्थानों पर एक्सप्रेस वे के नीचे अंडरपास बनाये गए थे। जोकि नेशनल हाईवे ऑथोरिटी की लापरवाही से गहरे बना दिये गए हैं। उनमें पानी निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। जिसकी वजह से जरा सी बारिश होने पर इन अंडरपास में पानी भर जाता है। इस बारे में ग्रामीण गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत अन्य अफसरों से कर चुके हैं, लेकिन अभी तक ग्रामीणों की परेशानी का हल नहीं निकला है।

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