जेवर एयरपोर्ट और मेरठ में बनेगा एमआरओ हब, श्रीलंका और सिंगापुर नहीं जाएंगे भारतीय विमान, योगी सरकार की बड़ी योजना

जेवर एयरपोर्ट और मेरठ में बनेगा एमआरओ हब, श्रीलंका और सिंगापुर नहीं जाएंगे भारतीय विमान, योगी सरकार की बड़ी योजना

जेवर एयरपोर्ट और मेरठ में बनेगा एमआरओ हब, श्रीलंका और सिंगापुर नहीं जाएंगे भारतीय विमान, योगी सरकार की बड़ी योजना

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

उत्तर प्रदेश सरकार हवाई जहाजों के लिए एक घरेलू एमआरओ (मेंटिनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग) उद्योग स्थापित करना चाहती है। इसके लिए राज्य सरकार केंद्र के साथ बातचीत कर रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार की योजना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में दो एमआरओ हब विकसित किए जाएं, इनमें से एक गौतमबुद्ध नगर के जेवर में और दूसरा मेरठ में होगा। यहां नागरिक और रक्षा विमान, दोनों की जरूरतों की पूरा किया जाएगा। यह दोनों हब भारत में कार्यरत एयरलाइंस को रखरखाव के खर्च को कम करने में मदद करेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक पखवाड़े पहले घरेलू विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि देश को विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) का केंद्र बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। सरकार दो एमआरओ केंद्रों की स्थापना के लिए केंद्र के साथ बातचीत कर रही है। एक जेवर में और दूसरा मेरठ में होगा।

यूपी के निवेश, निर्यात संवर्धन और एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, “भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है और इसमें आने वाले वर्षों में उच्च विकास क्षमता है। उत्तर प्रदेश सरकार एमआरओ सुविधाओं की स्थापना के संबंध में एक अमेरिकी और एक फ्रांसीसी कंपनी के साथ बातचीत कर रही है। दोनों कंपनियां तैयार हैं, लेकिन जीएसटी छूट जैसे प्रोत्साहन के लिए कह रही हैं। इसके लिए भारत सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा। यदि हम उन्हें ये प्रोत्साहन नहीं देते हैं, तो वे श्रीलंका और सिंगापुर जाएंगे। यूपी में जमीन की कोई कमी नहीं है। इसलिए दोनों कंपनियों को समायोजित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।"

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कंपनियों के नामों का खुलासा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जेवर में बनने वाला एमआरओ बड़े विमानों की जरुरतों को पूरा करेगा, वहीं मेरठ में यह सुविधा छोटे विमानों को एमआरओ उपलब्ध कराएगी।

जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की कल्पना एशिया में सबसे बड़ी नागरिक हवाई अड्डा परियोजना के रूप में की गई है। पीडब्ल्यूसी द्वारा आयोजित तकनीकी-व्यवहार्यता अध्ययन में पहले ही एक एमआरओ कॉम्प्लेक्स को शामिल किया गया है और यह पीपीपी की वैश्विक बोली लगाने का आधार था। हवाई अड्डे को विकास के लिए ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने हासिल किया है। इस प्रोजेक्ट के जरिए 2023 में चालू होने के बाद 30 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद है।

जेवर हवाई अड्डे के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार भारत से निकलने वाली एमआरओ बाजार की मांग 2036 तक 5 बिलियन डॉलर तक जाने की उम्मीद है। “वर्तमान में भारत के भीतर केवल 10% एमआरओ बाजार पर कब्जा है, शेष के देश के बाहर किया जा रहा है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति के माध्यम से एक घरेलू एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए हैं। सरकार ने माना है कि भारत में कराधान नीति एमआरओ के आड़े आ रही है। यह एमआरओ उद्योग के विकास की दिशा में एक बड़ी बाधा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र से जुड़ी कर नीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता है।

वर्तमान में भारत के अधिकांश एमआरओ कुछ मौलिक सेवाएं प्रदान करते हैं। उन्नत सेवाओं के लिए एयरलाइंस दक्षिण पूर्व एशिया, श्रीलंका और पश्चिम एशिया में चल रहे एमआरओ हब का उपयोग करती हैं। भारत में अधिकांश वाणिज्यिक एयरलाइनों के पास विदेश में एमआरओ सेवा प्रदाताओं के साथ दीर्घकालिक अनुबंध हैं। अब उत्तर प्रदेश सरकार सक्रिय रूप से एक प्रतिस्पर्धी घरेलू एमआरओ हब स्थापित करने की कोशिश कर रही है। जो नागरिक और रक्षा विमान, दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा। एयरलाइंस को रखरखाव के खर्च को कम करने में मदद करेगा।

अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय एयरलाइंस को रखरखाव मरम्मत और ओवरहालिंग के लिए अपने विमान श्रीलंका, सिंगापुर और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में भेजने पड़ते हैं। विमानों को वहां आने-जाने और लंबे समय तक मरम्मत का इंतजार करना पड़ता है। भारत में अभी तक एमआरओ कंपनियां नहीं आई हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जीएसटी के तहत टैक्स बहुत ज्यादा होना है। अभी एमआरओ के काम पर कंपनियों को 18 फ़ीसदी जीएसटी चुकाना पड़ रहा है। जिसकी वजह से भारतीय घरेलू एमआरओ बहुत महंगा हो जाता है। ऐसे में एयरलाइंस कंपनियां सिंगापुर और श्रीलंका विमानों को भेजकर सुविधाएं लेना पसंद करती हैं। अगर जीएसटी की दरें न्यूनतम कर दी जाएं तो भारतीय बाजार में एमआरओ विकसित करने वाली कंपनियां खुशी-खुशी आ जाएंगी।

जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम शुरू होने वाला है। यह एयरपोर्ट पहले चरण में कार्गो शिपमेंट के लिए काम करेगा। यहां धीरे-धीरे नागरिक उड्डयन को बढ़ावा दिया जाएगा। ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ अपने अनुबंध में एमआरओ को बढ़ावा देने की शर्त रखी है। लिहाजा, यूपी केंद्र सरकार से लगातार जीएसटी की दरें न्यूनतम करने के लिए बातचीत कर रहा है। दूसरी ओर मेरठ और जेवर में एमआरओ हब विकसित होने से बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को बड़ा इन्वेस्टमेंट मिलेगा। मेरठ में करीब चार दशक पुरानी हवाई पट्टी है, जिसका विकास किया जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में मेरठ में भी एक मध्यम दर्जे का हवाई अड्डा विकसित हो जाएगा। जिसके जरिए छोटे एयरक्राफ्ट आसानी से एमआरओ की सुविधाएं हासिल कर सकेंगे।

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