Vishwakarma Jayanti 2020: दुनिया के सबसे बड़े शिल्पकार हैं भगवान विश्वकर्मा, उनकी पूजा के बिना ये सब करना हो सकता है अमंगलकारी

Vishwakarma Jayanti 2020: दुनिया के सबसे बड़े शिल्पकार हैं भगवान विश्वकर्मा, उनकी पूजा के बिना ये सब करना हो सकता है अमंगलकारी

Vishwakarma Jayanti 2020: दुनिया के सबसे बड़े शिल्पकार हैं भगवान विश्वकर्मा, उनकी पूजा के बिना ये सब करना हो सकता है अमंगलकारी

Google Image | Vishwakarma Jayanti 2020

Vishwakarma Puja 2020 : आज वास्तुशिल्प के रचनाकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं हो सकता। भगवान विश्वकर्मा को वास्तुशिल्प का देवता कहा गया है। हर युग में उन्होंने अद्भुत रचनाएं कर अपने वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना प्रस्तुत किया है। इसीलिए भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जा रही है। दरअसल 16 सितंबर को शाम 7:30 संक्रांति है। इसलिए विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इनकी पूजा देश के पूर्वी प्रदेशों में ज्यादा की जाती है।


वेदों और शास्त्रों में पूजा का वर्णन है


वेदों और शास्त्रों में विश्वकर्मा पूजा को बेहद खास बताया गया है। इनके मुताबिक हर वर्ष विश्वकर्मा जयंती पर अस्त्रों-शस्त्रों एवं औजारों की साफ-सफाई करने और उनकी पूजा करने से ये अच्छी तरह काम करते हैं। जरूरत के वक्त नाकाम नहीं रहते। शास्त्रों के मुताबिक जब ब्रह्मा जी सृष्टि का निर्माण कर रहे थे, तब विश्वकर्मा जी ने ही इस संसार की रूपरेखा खींची और संसार का नक्शा तैयार किया था। विश्वकर्मा वास्तुदेव के पुत्र हैं।


वास्तुशिल्प के रचनाकार हैं विश्वकर्मा


हजारों साल से आर्किटेक्चर के जिन नायाब नमूनों के बारे में हमने पढ़ा है। इनमें से कुछ अब भी मौजूद हैं। इन सबका निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया है। ऋग्वेद में कहा गया है कि स्थापत्य वेद के रचयिता विश्वकर्मा ही हैं। कलयुग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा हर इंसान के लिए ज्यादा जरूरी और लाभप्रद है। ऐसा माना जाता है कि कलयुग का संबंध कलपुर्जों से है। इस युग में कलपुर्जों का उपयोग जीवन का सबसे अहम हिस्सा है। लैपटॉप, मोबाइल, फोन और टेबलेट जैसे जरूरी उपकरण मानव जीवन के अनिवार्य अंग बन गए हैं। ये सब भी एक तरह की मशीन हैं। इसलिए विश्वकर्मा जी की पूजा करना कलयुग में भी उतना ही शुभकारी रहेगा। 


संसार के पहले इंजीनियर हैं भगवान विश्वकर्मा


भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार, वास्तुकार और पहले इंजीनियर की संज्ञा ऐसे ही नहीं दी गई। स्वर्ग के राजा इंद्र के अस्त्रवज्र को विश्वकर्मा जी ने ही तैयार किया था। उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी इन्होंने ही किया था। माता पार्वती के कहने पर विश्वकर्मा जी ने ही सोने की लंका को बनाने का काम पूरा किया था। जब हनुमान जी ने लंका को जलाकर बर्बाद कर दिया था, तब वहां के राजा रावण ने विश्वकर्मा जी से ही सोने की लंका का फिर से निर्माण करवाया था। भगवान श्री कृष्ण के कहने पर विश्वकर्मा जी ने द्वारका नगरी की रूपरेखा खींची थी। महादेव का त्रिशूल, श्री हरि का सुदर्शन चक्र, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल, हनुमान जी की गदा और कुबेर के पुष्पक विमान के शिल्पकार विश्वकर्मा जी हैं।

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