Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित हवा ने जीना मुहाल कर दिया है। हवा की गति धीमी रहने और पराली जलने के प्रभावों की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के सरे शहरों की हालत खराब है। दूसरी ओर मौसम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साफ कर दिया है कि अगर दिवाली पर लोगों ने पटाखे फोड़े तो एनसीआर में प्रदूषण बेहद खतरनाक यानि जानलेवा हो जाएगा।
सोमवार को भी पूरे दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन 'गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। दूसरी ओर भारत मौसम विज्ञान विभाग के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र (आईएमडी) के प्रमुख वीके सोनी ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, ''अगर दिल्ली में दिवाली में होने वाले प्रदूषण को नहीं जोड़ा जाए तो इस अवसर पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब श्रेणी में होगी, लेकिन अगर लोग पटाखे फोड़ते हैं तो प्रदूषण का स्तर गंभीर से 'बेहद गंभीर (आपात) वाली श्रेणी में पहुंच जाएगा।''
हालांकि, सोमवार को एक राहत देने वाली खबर आई है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 9-10 नवंबर मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर-एक दिसंबर मध्यरात्रि तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पड़ोसी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नव गठित आयोग के सोमवार को समीक्षा बैठक करने की संभावना है।
कुछ ऐसे रहे पिछले 3 दिनों के हालात
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शहर में सुबह 11 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 474 दर्ज किया गया। रविवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 416 दर्ज किया गया, शनिवार को 427, शुक्रवार को 406 और बृहस्पतिवार को 450 दर्ज किया गया था, जो कि पिछले साल 15 नवंबर से अब तक का सबसे ज्यादा है, जब यह 458 दर्ज किया गया था। दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद में 462, गाजियाबाद में 483, नोएडा में 476, ग्रेटर नोएडा में 482, गुरुग्राम में 475 दर्ज किया गया, जो कि 'गंभीर श्रेणी में आता है। गौरतलब है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
पोलुशन के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर सुबह नौ बजे 575 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जो कि पिछले साल 15 नवंबर से अब तक का सबसे ज्यादा है। भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार हवा की गति सुबह तीन से चार किलोमीटर प्रति घंटा थी और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा की शांत गति और कम तापमान की वजह से प्रदूषक तत्व सतह के करीब रहते हैं ।
हवा धीमी होने के कारण राहत की उम्मीद नहीं
दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली केन्द्र ने बताया कि दिल्ली में 'वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है क्योंकि हवा की गति खास तौर पर रात में अनुकूल नहीं है और पराली जलाया जाना भी बढ़ते प्रदूषण का कारक है। इस केन्द्र ने बताया कि पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या अब भी ज्यादा है जिससे दिल्ली एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। आईएमडी क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह में हल्के से मध्यम स्तर तक कोहरा छाया था। सफदरजंग वेधशाला में दृश्यता का स्तर घटकर 600 मीटर हो गया था।
प्रदूषण में पराली जलने की हिस्सेदारी 29 फीसदी
उन्होंने कहा कि अगर हवा की गति में उल्लेखनीय तेजी नहीं आती है तो 15 नवंबर तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र 'सफर ने बताया कि सतही हवा की गति शांत है और अगले दो दिन तक इसके ऐसे ही बने रहने की संभावना है। रविवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलने की हिस्सेदारी 29 फीसदी थी।