कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में जुटे मेडिकल स्टाफ का घट रहा वजन, ये हैं कारण

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में जुटे मेडिकल स्टाफ का घट रहा वजन, ये हैं कारण

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में जुटे मेडिकल स्टाफ का घट रहा वजन, ये हैं कारण

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने में जुटे डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पीपीई किट पहनकर 6-12 घंटे काम करने से आईसोलेशन वार्ड में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों का वजन कम हो रहा है। कई स्वास्थ्यकर्मियों का वजन एक महीने में तीन किलो कम हो गया है। पिछले 15 दिनों से गर्मी भी बढ़ी है। किट पहनने से पसीना भी अधिक निकलता है। आइसोलेशन वार्ड में एसी नहीं चलता, बल्कि पंखा होता है।

गौतम बुद्ध नगर जनपद के तीन कोविड-19 अस्पताल में 50 से अधिक स्टाफ नर्स काम कर रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा के लिए इन नर्सों को दिन की ड्यूटी के दौरान 6-6 घंटे और रात में 12 घंटे पीपीई किट पहनकर आइसोलेशन वार्ड में काम करना पड़ता है। जिससे आधे घंटे के बाद ही पसीने से तरबतर हो जाते हैं। लगातार गर्मी बढ़ने के कारण ये परेशानी और भी बढ़ती जा रही है। लगातार 14 दिन काम करने के बाद उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन किया जाता है। ज्यादातर नर्स आइसोलेशन वार्ड में काम करना शुरू करने से पहले वजन मापते हैं। 14 दिन खत्म होने के बाद भी वजन मापते हैं। ऐसे में कई स्टाफ नर्सों का वजन 2-3 किलो कम हुआ है। प्रत्येक घंटे ये कर्मी किट भी नहीं बदल सकते हैं। लिहाजा पानी का सेवन भी कई घंटों के बाद करते हैं।  

इन कारणों से कम हो रहा वजन
आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संक्रमण मरीजों का इलाज कर रहे डा. संतराम वर्मा बताते हैं कि अधिक पसीना निकलने से शरीर का इलेक्ट्रोलाइट और मिनिरल्स कम हो जाते हैं। लगातार इसी तरह की प्रक्रिया में रहने पर वजन कम होना लाजमी है। कोरोना संक्रमित मरीज को जिस आइसोलेशन वार्ड में इलाज किया जाता है वहां एसी नहीं होता। एसी से वायरस के फैलने का खतरा होता है। ऐसे में सामान्य तापमान में ही डॉक्टर व अन्य नर्स काम करते हैं। पंखे की हवा में ही स्वास्थ्यकर्मी रहते हैं। पीपीई किट पहनने के कुछ देर बाद ही पसीना आने लगता है। मिनिरल और इलेक्ट्रोलाइट की भरपाई के लिए खानपान पर ध्यान देना होगा।

डयूटी से पहले और डयूटी के बाद मापते हैं वजन
शारदा अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में काम करने वाले स्टाफ नर्स छगन शर्मा बताते हैं कि जब वह आइसोलेशन वार्ड में काम करना शुरू किया था, तब से अब तक दो किलो वजन कम हो गया है। 66 किलो से अब 64 किलो हो चुका है। सुपर स्पेशियलिटी शिशु अस्पताल के स्टाफ नर्स संजय पाराशर बताते हैं कि जब आइसोलेशन वार्ड में काम करने जाते हैं तो वजन मापते हैं। 14 दिन के बाद दोबारा मापते हैं। मेरा वजन दो किलो कम हुआ है।

इन चीजों को खाने की ही है सलाह
फ्रूट शेक, फल, जूस, स्प्राउट, ओट्स, सीजनल हरी पत्तेदार सब्जियां, भरपूर सलाद, बींस, ग्रीन टी, हल्का खाना, मौसमी फल, नींबू पानी, पुदीना पानी, सत्तू, शिकंजी, नारियल पानी, लस्सी, छाछ आदि का सेवन अलग-अलग समय में कर सकते हैं।

इन चीजों से बचना चाहिए
तले भुने खाने से परहेज, गर्म तासीर वाले फल न खाएं, लंच में ले गए टिफिन को छह घंटे में खाएं, चाय और हॉट कॉफी से परहेज करें, ड्राई फ्रूट्स का सेवन कम करें।

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