Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
यह महामारी तो बीत जाएगी लेकिन तारीखें छोड़कर चली जाएगी। 8 अप्रैल बुधवार भी एक तारीख है लेकिन शहर को कोरोना से जूझते हुए पूरा एक महीना बीत गया है। शहर में पहले मरीज की पुष्टि आठ मार्च को इटली से लौटे गाइड में हुई थी। हालांकि, उस मरीज का इलाज दिल्ली में हुआ था। एक महीने में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मरीजों की संख्या 60 तक पहुंच गई है। बुधवार को दो नए मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि की गई है।
मार्च के महीने में 38 और अप्रैल में 22 मरीजों की पुष्टि अब तक की जा चुकी है। इन मरीजों में से सेक्टर-137 स्थित कंपनी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संक्रमित मरीजों की संख्या 44 है। सबसे अधिक 9 मरीज सेक्टर-137 की दो सोसाइटियों से मिले हैं। इसके अलावा सेक्टर-2 ग्रेटर नोएडा वेस्ट से 6 और अच्छेजा गांव और वहां की महक रेजीडेंशी हाउसिंग सोसायटी से पांच मरीजों की पुष्टि की गई है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोरोना का संक्रमण बढ़ने का मुख्य कारण 2000 से अधिक लोगों का इस बीमारी से प्रभावित देशों से वापस आना रहा।
शहर में आठ मार्च को कोरोना संक्रमित पहले मरीज की पुष्टि की गई। गाइड का काम करने वाला यह व्यक्ति इटली के कुछ लोगों के साथ भारत आया था। इसका घर नोएडा और दिल्ली में भी है। ऐसे में इसका इलाज दिल्ली में हुआ और अब वह स्वस्थ है। प्रदेश सरकार ने इसे नोएडा का मरीज मानते हुए पहला केस माना था। 24 मार्च को 11 मरीज थे, जो 30 मार्च को 38 हो गए। यानि, साढ़े तीन गुना की बढ़ोतरी एक सप्ताह में हुई। सबसे अधिक संक्रमण ब्रिटिश नागरिक से हुआ, जो सेक्टर-137 स्थित एक कंपनी का ऑडिट करने आया था।
जिलाधिकारी और सीएमओ पर कार्रवाई
शहर में हालात इतने ज्यादा बुगड़े की खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दौरा करने आना पड़ा। योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा आकर आला अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों द्वारा की गई गलतियों के बारे में बताया। पहले जिलाधिकारी बीएन सिंह और उसके बाद सीएमओ डॉ आरके गर्ग पर कार्रवाई की। दोनों को हटा दिया गया। बीएन सिंह तो जिले में तीन वर्षों से तैनात थे।
एक महीने में किए गए उपाय
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 700 बेड का क्वारंटाइन में मरीजों को रखा जा रहा है। वहीं, ग्रेटर नोएडा में एक 150 बेड का अतिरिक्त क्वारंटाइन भी तैयार किया गया है।
जिम्स और शिशु अस्पताल में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। अब तक ग्रेटर नोएडा जिम्स ने 11 मरीजों का सफल इलाज किया है। वहीं, शिशु अस्पताल दो मरीजों का इलाज कर चुका है। एक मरीज का इलाज दिल्ली में हुआ।
जिम्स में 20 और शिशु अस्पताल में 30 बिस्तरों पर इलाज की सुविधा है। शिशु अस्पताल में 20 सामान्य आइसोलेशन वार्ड हैं।
शारदा अस्पताल में भी 100 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इनके अलावा चार निजी अस्पताल को भी जिला प्रशासन ने अधिग्रहित किया है।
जिले में क्वारंटाइन रूम की संख्या बढ़ाने के लिए 8 होटलों का अधिग्रहण किया गया है। इन होटलों में वह लोग रह सकते हैं जो अस्पताल में नहीं रहना चाहते और अपने खर्च पर होटल में रहना चाहते हैं।
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