Noida News : नोएडा पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। पुलिस ने एक फर्जी आईपीएस अफसर को अरेस्ट किया है। वैसे तो यह फर्जी आईपीएस अफसर 10वीं पास है, लेकिन तरीका देख नोएडा के बड़े-बड़े आईपीएस अफसर दंग रह गए। आरोपी जंगल में बैठकर लोगों को कॉल करता था। पुलिस ने पुलिस मामले का खुलासा किया है। पुलिस का दावा है कि जल्द पूरे गैंग खुलासा किया जाएगा।
पुलिस के ऐप को बनाया हुआ था दफ्तर
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि धीरेन्द्र यादव मात्र 10वीं कक्षा तक पढ़ा है। वह पिछले एक साल से इस आपराधिक गतिविधि में लिप्त था। वह यूपी कॉप (UP COP) एप का इस्तेमाल करके दूर के स्थानों के थानों और जनपदों में धारा 323/324 (मारपीट) और 363 (अपहरण) जैसी धाराओं के तहत फर्जी एफआईआर को डाउनलोड कर वहां से शिकायतकर्ताओं का नंबर निकाल लेता था। मोबाइल नंबरों पर कॉल कर उनसे उनकी घटना की जानकारी लेता और अभियुक्त की गिरफ्तारी के नाम पर पैसे की मांग करता था। पैसे का लेन-देन वह ऑनलाइन माध्यम से क्यूआर कोड और यूपीआई के जरिए करता था।
जंगल में जाकर करते थे मंगल
शक्ति मोहन अवस्थी ने आगे बताया कि यदि कोई शिकायतकर्ता पैसे देने से मना करता तो धीरेन्द्र उसे धमकी देता कि वह उनके केस की फाइल को दबा देगा और कोई कार्यवाही नहीं होने देगा। धीरेन्द्र ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया कि उसके गांव के करीब 7-8 अन्य लड़के भी इसी तरह की ठगी में लिप्त हैं। वे जंगल में जाकर यूपी कॉप एप से एफआईआर निकालते हैं और टारगेट तय करके शिकायतकर्ताओं से संपर्क करते हैं।
घटनाओं में इस्तेमाल सभी सिम फर्जी
धीरेन्द्र के पास जो सिम थी, वह भी फर्जी थी और उसे उसने अपने गांव के पुष्पेन्द्र यादव से ली थी। ठगी के दौरान वह हर ट्रांजक्शन में पुष्पेन्द्र यादव के बैंक खाते का इस्तेमाल करता था और इसके बदले में उसे 20 प्रतिशत कमीशन देता था। नोएडा के फेस-1 थाने में दर्ज एक केस में भी धीरेन्द्र यादव ने शिकायतकर्ता से केस को खत्म करने के नाम पर 1000 रुपये की मांग की थी। इस मामले में भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। पुलिस अब धीरेन्द्र के अन्य साथियों और फर्जी सिम उपलब्ध कराने वाले पुष्पेन्द्र यादव की भी तलाश कर रही है।