नोएडा में बैठकर 310 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 15 गिरफ्तार, चीन और इंडोनेशिया से जुड़े तार

बड़ा खुलासा : नोएडा में बैठकर 310 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 15 गिरफ्तार, चीन और इंडोनेशिया से जुड़े तार

नोएडा में बैठकर 310 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 15 गिरफ्तार, चीन और इंडोनेशिया से जुड़े तार

Google Photo | ठगी करने वाला गैंग गिरफ्तार

Noida News : नोएडा साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सेक्टर-2 स्थित एक इमारत से 15 लोगों को गिरफ्तार किया। यह लोग देशभर में हजारों लोगों से 310 करोड़ रुपये की ठगी में शामिल थे। यह गिरोह चीन और इंडोनेशिया से संचालित होता था।

कैसे चलता था गिरोह का नेटवर्क
गिरफ्तार आरोपी एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और एक रिकवरी फर्म के जरिए काम करते थे। एनबीएफसी फर्म मोबाइल ऐप्स के माध्यम से लोगों को तुरंत छोटे लोन प्रदान करती थी। बाद में रिकवरी फर्म कॉल सेंटर के जरिए पीड़ितों को धमकी भरे कॉल कर मूल लोन से तीन गुना अधिक राशि वसूलती थी। साइबर क्राइम पुलिस के सहायक पुलिस आयुक्त प्रियांशु दीवान ने बताया कि यह गिरोह डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्म चला रहा था। जो वैशाली सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड नामक एनबीएफसी से जुड़ी हुई थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस एनबीएफसी का पंजीकरण फरवरी 2023 में रद्द कर दिया था।

कैसे हुआ खुलासा
मामला तब सामने आया जब गुरुग्राम निवासी एक 25 वर्षीय युवक ने शिकायत दर्ज कराई कि उसने 10,000 रुपये का लोन लिया था। लेकिन आरोपियों ने उससे धमकी देकर 38,000 रुपये वसूल लिए। पुलिस ने बुधवार रात आरोपी गिरोह के कॉल सेंटर पर छापा मारा। जहां से 223 सिम कार्ड, 15 मोबाइल फोन और पांच लैपटॉप बरामद हुए।

गैंग के लोगों की पहचान
गिरफ्तार आरोपियों में हरमन कुमार और सनी श्रीवास्तव मुख्य संदिग्ध हैं। जो कॉल सेंटर चला रहे थे। दोनों को चीन और इंडोनेशिया से प्रति माह 1 लाख रुपये का भुगतान मिलता था। उनके अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को 20,000-25,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाता था। गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान अंजनेया चौधरी, अरुण कुमार, बिलाल खान, मोहम्मद आसिफ, उज्ज्वल कुमार, सलमान अब्बास, सुरेश कुमार, हिमांशी, मनमोहन, रिपुंजय कुमार, अनिल और महेंद्र के रूप में हुई है।

फिर ऐसे करते थे अवैध उगाही
गिरोह करीब 20 मोबाइल ऐप्स के जरिए पीड़ितों को 5,000 से 60,000 रुपये तक का लोन देता था। जिसकी अवधि 7 से 21 दिन होती थी। लोन की वसूली के लिए तीन गुना राशि मांगते थे और न देने पर पीड़ितों को धमकाते थे। यह गिरोह प्रतिदिन 40-45 लाख रुपये की उगाही करता था।

अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन निकला
पुलिस ने बताया कि डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड भारत में पंजीकृत थी, लेकिन इसे चीन और इंडोनेशिया में बैठे संदिग्धों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था। गिरोह की अधिकांश रकम कई माध्यमों से विदेश भेजी गई। पुलिस ने कहा कि मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 (जबरन वसूली) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस अब अन्य पीड़ितों और गिरोह के नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है।

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