Tricity Today | Noida Dumping ground में 30 लाख लीटर पानी खर्च
Noida News : नोएडा के सेक्टर-32 स्थित डंपिंग ग्राउंड में 100 घंटे बाद भी भी अग्निशमन विभाग की टीम आग बुझाने में लगी हुई है। कूड़े के ढेर काफी बड़ा है। इसमें डंपिंग गढ्ढे भी है ये घास पत्ते, लकड़ियों की टहनियों और कूड़े से दबी हुई है। बुझाने के बाद ये दोबारा हवा से लगातार सुलग जा रहे है। इस आग की वजह से नोएडा के लाखों लोग परेशानियों से जूझ रहे है।
30 लाख लीटर पानी खर्च
सीएफओ ने बताया कि अग्निशमन विभाग की तीस गाड़ियां और जेसीबी की मदद से आग बुझाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। मौके पर 200 से अधिक दमकल विभाग के कर्मचारी मौजूद हैं। डंपिंग ग्राउंड में दो बोरवेल खुदवाई गई है। 700 से ज्यादा पानी के टैंकर आग को बुझाने में इस्तेमाल हो चुके हैं लेकिन अब भी पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली है। अब तक करीब 30 लाख लीटर पानी खर्च हो चुके है।
गुरुवार की शाम 6:00 बजे लगी आग
सेक्टर-24 थाना क्षेत्र अंतर्गत सेक्टर-32 में नोएडा प्राधिकरण का डंपिंग ग्राउंड है, जहां पर गुरुवार की शाम करीब 6:00 बजे आग लगी थी। सूचना मिलने के बाद स्थानीय पुलिस टीम और दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची। आग को करीब 65 घंटे हो गए हैं, लेकिन काबू नहीं पाया गया है। अभी तक लाखों लीटर पानी आग को बुझाने में बर्बाद किया जा चुका है। उसके बावजूद भी कामयाबी हासिल नहीं हुई है। मौके पर दमकल विभाग की करीब सैकड़ों गाड़ियां मौजूद है। नोएडा शहर की प्राइवेट एजेंसी को भी मदद के लिए बुलाया गया है।
लोगों की जिंदगी आफत में आई
नोएडा के दमकल विभाग अधिकारी का कहना है कि हवा नहीं चलने की वजह से निचली सतह पर अभी थोड़ी बहुत आग बची हुई है, जिसकी वजह से लगातार धुंआ उठ रहा है। इस आग की वजह से नोएडा के लाख लोग परेशान हैं। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है, लोगों की जिंदगी आफत में आ गई है। प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है। प्रदूषण होने की वजह से आंखों में जलन और झनझनाहट हो रही है।
बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह धुंध चिंताजनक
इस आग की वजह से अस्थमा और दिल के मरीजों की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आसपास में स्थित घरों में रहने वाले लोग परेशान हो सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा यह धुंधा गर्भवती महिलाओं को परेशानी दे सकता है। दिल के कमजोर मरीजों के लिए भी यह धुंधा काफी चिंताजनक है।