Noida News : दहेज प्रथा कई पीढ़ियों से भारतीय परंपरा का हिस्सा बनी हुईं हैं। प्रारंभ में पूर्वजों ने इस प्रथा को अच्छे इरादों से शुरू किया था, लेकिन समय के साथ इसके इरादे भयानक होते चले गए। जब इस प्रथा को शुरू किया गया था, तब इसका मकसद था कि इससे दुल्हन को नई जगह पर आर्थिक रूप से सहायता मिल सके। समय के साथ यह प्रथा महिलाओं के लिए समस्या बन गई। इस प्रथा के कारण कई बार नवविवाहित महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाने लगा। दूल्हा और उसका परिवार अक्सर भावनात्मक शोषण और हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। पर्याप्त दहेज न मिलने पर महिलाओं को आत्महत्या के लिए मजबूर करना या दुल्हन की हत्या करना जैसे भयानक अपराध भी हुए हैं। हालांकि सरकार ने दहेज पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी यह प्रथा बदस्तूर जारी है। जिससे घरेलू हिंसा और आत्महत्या की घटनाएं आएदिन होती रहती हैं। इसे रोकने के लिए आने वाली पीढ़ियों को इस भयानक परंपरा के बाबत जागरूक और पुलिस को संवेदनशील होना होगा। गौतमबुद्ध नगर की बात की जाए तो साल-2023 में दहेज़ उत्पीड़न के 329 मुकदमे दर्ज हुएहैं।
एक नजर साल-2023
गौतमबुद्ध नगर में दहेज मामलों से सम्बंधित आंकड़ों के मुताबिक, साल-2023 में 327 मुकदमे दर्ज किए गए। जिनमें से 235 में चार्जशीट दाखिल की गई है। 39 मुकदमे फर्जी पाए गए हैं। वहीं, अभी तक 53 मुकदमे पेंडिंग हैं। आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 101 मामले महिला थाना क्षेत्र में दर्ज किए गए। इन मामलों में 71 में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, 11 मामले फर्जी पाए गए। वहीं, 19 मामले अभी भी पेंडिंग हैं। 29 मामले मामलों के साथ बिसरख थाना दूसरे नंबर पर है, जिसमें 19 मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। पांच मामले फर्जी पाए गए। वहीं, पांच अभी भी पेंडिंग हैं। दादरी में 27 मामले, सूरजपुर में 16, सेक्टर-113 थाना क्षेत्र में 15, जारचा में 13, फेस- 2 में 13, बीटा-2 में 13, ईकोटेक-3 में 10, जेवर में 10, दनकौर में 9, फेस-3 में 9, बादलपुर में 8, सेक्टर-142 में 7, नोएडा सेक्टर-58 में 6, रबूपुर में 6, सेक्टर-24 में 5, सेक्टर-39 में 5, सेक्टर-49 में 5, कासना में चार नॉलेज पार्क में चार, सेक्टर-20 में 4, सेक्टर-126 में 4, फेस-1 में 2, सेक्टर 63 में दो मामले दर्ज किये गए। इन सब में एक ऐसा थाना भी है, जिसमें एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। ईकोटेक-1 थाने में पिछले साल दहेज़ से सम्बंधित एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
चिंताजक : कई परिवार निर्दोष
327 मामलों में से 39 मामले ऐसे हैं, जिनमें आरोपी निर्दोष पाए गए हैं। आपको बता दें कि आईपीसी की धारा-498 दहेज उत्पीड़न एक्ट को महिलाएं गलत तरीके से भी इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें लड़का पक्ष समाज में इज्जत के चलते कई बार बेवजह फंस जाते हैं।
साल-2023 में मात्र तीन महीनों के आकड़े
साल-2023 के 3 महीनों की बात की जाए तो दहेज एक्ट के तहत करीब 92 मामले दर्ज किए गए थे। दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा बिसरख थाना क्षेत्र से ही 6 केस थे। महिला थाना में 31 मुकदमे पंजीकृत हुए। वहीं, जिले में चार ऐसे थाने भी थे, जहां 3 महीनों में कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं हुआ था। इसमें नोएडा के थाना फेस-1, थाना सेक्टर-20, थाना एक्सप्रेसवे और ग्रेटर नोएडा के थाना ईकोटेक-1 शामिल थे।
क्या है दहेज एक्ट
दहेज निषेध अधिनियम-1961 (Dowry Prohibition Act, 1961) दहेज की प्रथा को रोकने और खत्म करने के मकसद से लाया गया था। इस अधिनियम के तहत दो खास सेक्शन हैं। सेक्शन-3 और सेक्शन-4 के तहत दहेज लेना और देना, दोनों को ही अपराध माना गया है। दोषी पाए जाने वालों पर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना और 5 साल की सजा का प्राविधान किया गया है।