इस सोसाइटी में खुले 7 अजीबोगरीब बैंक, हर बैंक नोएडा को बना रहा नंबर-1

आज की सबसे खास खबर : इस सोसाइटी में खुले 7 अजीबोगरीब बैंक, हर बैंक नोएडा को बना रहा नंबर-1

इस सोसाइटी में खुले 7 अजीबोगरीब बैंक, हर बैंक नोएडा को बना रहा नंबर-1

Tricity Today | इस सोसाइटी में खुले 7 बैंक

Noida News : आज तक आपने मनी बैंक और ब्लड बैंक के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसे बैंकों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आपने सुना ही नहीं, बल्कि सोचा भी नहीं होगा। यह सभी बैंक नोएडा में स्थित हैं। खास बात यह है कि इन बैंकों में पैसा या कोई कीमती सामान नहीं, बल्कि कूड़ा-करकट जमा होता है। आप सुनकर हैरान हो रहे होंगे कि आखिर ऐसे बैंकों को क्या काम होगा? लेकिन आपको बता दें कि इन बैंकों के कारण ही नोएडा की एक सोसाइटी सुंदरता और स्वच्छता के मामले में पूरे गौतमबुद्ध नगर में नंबर-वन पर बनी हुई है।

2014 से शुरू हुई मुहीम
फोनरवा उपाध्यक्ष और आरडब्लूए महासचिव पवन यादव ने बताया कि निवासियों ने सेन्चुरी सोसाएटी को स्वच्छ बनाने की मुहिम 2014 से ही शुरू की है और आज मलवे, कूड़े-करकट वाले एरिया को शानदार पार्क बना दिया। 2019 से प्राधिकरण ने स्वच्छता प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया। हमार भी फर्ज बनता है कि सोसाइटी से कैसे कम से कम मलवा बाहर किया जाए और कैसे पुरानी चीजों का पुनः उपयोग किया जाए। इसके लिए विभिन्न बैंक बनाएं। जिनमे बर्तन बैंक, कपड़ा बैंक, थैला बैंक, बुक बैंक, दवा बैंक, प्लास्टिक बोतल बैंक और वेस्ट बैंक आदि हैं।


 
1. बर्तन बैंक : बर्तन बैंक की शुरुआत 2019 में की। इसमें सभी निवासियों से चंदा लिया गया। एक थाली, गिलास और चम्मच के लगभग 350 बर्तन के सेट तैयार किए। अब किसी निवासी या सोसाइटी के जितने भी सामूहिक कार्यक्रम होते हैं। उन सभी में इन बर्तन बैंक का प्रयोग किया जाता है। जैसे भंडारे, बच्चों के जन्मदिन, धार्मिक अनुष्ठान और शादी समारोह आदि में थर्माकोल की प्लेट और प्लास्टिक के ग्लास का उपयोग सोसाइटी में बंद हुआ है। बर्तन बैंक से बर्तन निशुल्क है। जिन्हें कोई भी निवासी निशुल्क यहां से ले जा सकता है। 



2. कपड़ा बैंक : 
कपड़ा बैंक में सोसायटी के लोगों से अपील की जाती है कि आपके घर में जो भी पुराने कपड़े हो, उन्हें आप मैनगेट पर जमा कर दें और जो जरूरतमंद होते हैं, उन्हें वह कपड़े दे देते हैं। बाकी जो कपड़े किसी के काम नहीं आ सकते, उन कपड़ों से टेलर को देकर हम कपड़े के थैले बनवाते हैं। इसकी कॉस्ट 10 से 15 रुपए पड़ती है। जिन्हें हम निवासियों को निशुल्क प्रदान करते हैं। इसे 2019 में बनाया गया। 

3. थैला बैंक : टेलर पुराने कपड़ों से बनाए गए कपड़े के थैले को हम गेट पर रखते हैं, जो निवासी गेट पर सामान लेने मार्केट, साप्ताहिक बाजार, मदर डेयरी, जनरल स्टोर या कहीं और सामान लेने जाते हैं। उन्हें यह थैले दिए जाते हैं। यह सोसाइटी के कपड़े बैंक के बेकार बचे कपड़ों से ही बनाए जाते हैं। यह भी निशुल्क रहते हैं। जिससे प्लास्टिक का प्रचलन बंद किया जा सकता है। इन्हें 2019 में बनाया गया। 



4. बुक बैंक : 
निवासी और बच्चे अपनी पुरानी किताबें या घर में रखी अनुपयोगी किताबों को यहां देते हैं। यहां से जिस बच्चे को चाहिए, वह निशुल्क किताब ले जा सकते हैं और बच्चे एक दूसरे से अपनी किताब एक्सचेंज भी कर लेते हैं। इस  बैंक में भी किताबें बिल्कुल निशुल्क रहती हैं। 2021 में बनाया गया।  



5. प्लास्टिक बोतल बैंक : 
इसमें कूड़े में आई प्लास्टिक की बोतल होती है। निवासियों से अपील करते है कि अपने घर में प्रयोग करने के बाद प्लास्टिक बोतलों को कूड़े में न फेंके। उन प्लास्टिक बोतलों को हमको एक बैंक के तौर पर जमा करते हैं और बोतलों से बोतल बेंच बनाते हैं। पौधे लगाकर उनको पुनः प्रयोग में लाते हैं, जिससे कूड़ा घर पर कूड़े में कमी आती है। प्लास्टिक के रैपर और प्लास्टिक की बोतलें हम कूड़े में जाने से रोकते हैं। इन्हें 2020 में बनाया गया। 

6. वेस्ट मैटीरियल बैंक : घरों से निकला कोई भी बेकार सामान यहां पर जमा होता है। जैसे घरों में काम कराने के दौरान टॉयलेट सीट, वाशबेसिन सीट और पेंट के डब्बे यहां पर जमा हो जाते है। जो भी मटेरियल काम के दौरान बचता है या घरों से निकलता है, उस मैटेरियल से हम जगह-जगह बैठने के लिए बेंच और गमले बनाते हैं। उन गमलों में सुंदर-सुंदर पौधे लगाते हैं। इसकी शुरुआत 2020 में की गई।

7. दवा बैंक :  कोविड-19 के दौरान बहुत से लोगों ने दवाइयां ली और वैसे भी लोग दवाइयां खरीदते रहते हैं। जो भी दवाइयां बच जाती है। उनको यहां पर जमा कर दिया जाता है। सोसाइटी के गेट पर नोएडा लोक मंच की सहायता से एक बॉक्स लगाया गया है। जहां पर लोग अपने घर में बची हुई दवाइयां देते है और फिर वहां से दवा बैंक में भेज दी जाती है। सोसाइटी में इस दवा बैंक की 2021 में शुरुआत की गई। 



"नोएडा को नंबर वन बनाना सिर्फ अथॉरिटी नहीं, हमारी भी जिम्मेदारी"
इन सभी बैंक के बन जाने से अधिकांश सामग्री जिसे हम कूड़ा समझकर फेंक देते है। उसका हम पुनः प्रयोग कर रहे है। पवन यादव का कहना है कि ऐसे छोटे-छोटे स्टेप से हमारा शहर स्वच्छ और सुंदर बनेगा। जब हम सब मिलकर करेंगे तो निश्चित ही हजारों टन कूड़ा प्रतिवर्ष हम कूड़े घर पर जाने से रोक सकते हैं। हम ऐसे अपना शहर स्वच्छता और सुंदरता में नंबर-1 बना सकते है। नोएडा नंबर-वन सिर्फ प्राधिकरण के करने से नहीं बनेगा। इसमें हम सभी को सहभागिता करनी होगी। इन बैंकों को बनाने में सोसाइटी सुपरवाइजर मुकेश कुमार और माली बुध पाल का विशेष सहयोग रहा है।

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