Noida News : गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट, एचसीएल फाउंडेशन और चेतना संस्था की ‘नन्हे परिंदे अभियान’ एक अनूठी पहल है। इसका उद्देश्य शिक्षा से वंचित बच्चों को एक ऐसा सुरक्षित स्थान प्रदान करना है, जहां उन्हें वैकल्पिक शिक्षा प्रदान करते हुए औपचारिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जा सके। इस उद्देश्य को आगे बढ़ते हुए सोमवार को एसीपी रजनीश वर्मा की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां एसीपी ने नन्हें परिंदे अभियान के तहत 66 बच्चों ने परीक्षा पास करने वाले बच्चों को ओबीई (ओपन बेसिक एजुकेशन) प्रमाण पत्र दिए। साथ ही कार्यक्रम में शामिल हुए 80 बच्चों को कराटे और ताइक्वांडो का परीक्षण देते हुए आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए।
नन्हें परिंदे अभियान का मकसद
एसीपी रजनीश वर्मा ने कहा, “2022 में नन्हें परिंदे प्रोजेक्ट से ओबीई में 80 बच्चों का सफलतापूर्वक नामांकन किया गया था। इनमें से 66 बच्चों ने परीक्षा पास हुए हैं। हम लोगों का प्राथमिक मिशन शिक्षा से वंचित और कामकाजी बच्चों को उनकी शैक्षणिक यात्रा में सहायता करना है। जो बच्चे पारिवारिक जिम्मेदारियों और अधिक उम्र के कारण नियमित स्कूलों में दाखिला लेने में असमर्थ हैं, उन्हें ओबीई कार्यक्रमों में दाखिला दिया जाए। जिससे उनके आगे का रास्ता खुल सके। उन्होंने आगे कहा कि ये बच्चे और युवा हमारे देश का भविष्य हैं और हमें एक साथ मिलकर उनकी छिपी प्रतिभा को कम उम्र से ही पोषित करने और समर्थन देने की जरूरत है ताकि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद मिल सके। गलत दिशा में भटक रहे बच्चों को मिला सही मार्ग : एसीपी
एसीपी रजनीश वर्मा ने कहा, "गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट, एचसीएल फाउंडेशन और चेतना एनजीओ की सहयोगात्मक पहल के परिणामस्वरूप वंचित और सड़क से जुड़े बच्चों के लिए एक आत्मविश्वास और अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है। यह प्रयास बच्चों को गलत दिशा में भटकने से बचाने और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने और राष्ट्र निर्माण के एजेंडे में योगदान करने के लिए और अधिक सशक्त बनाता है। कार्यक्रम में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार संबंधी जानकारी भी दी जाती है। नन्हें परिंदे अभियान के तहत अब तक दो हजार से अधिक बच्चे इससे जुड़ चुके हैं। एक दर्जन से अधिक प्वाइंट पर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसमें वंचित वर्ग के बच्चे शामिल होते हैं।”
मोबाइल शिक्षा वैन
वहीं मोबाइल शिक्षा वैन आधुनिक सुविधाओं जैसे एलसीडी स्क्रीन, साउंड सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे और सैनिटाइजेशन सुविधाओं से लैस हैं। प्रत्येक वैन पूर्व निर्धारित स्थानों पर स्थानीय पुलिस थानों के सहयोग से प्रतिदिन नियमित रूप से 50 से 60 बच्चों तक पहुंचती है।