घटना से इनकार करने वाला कैंब्रिज स्कूल निकला झूठा, आरोपियों को जेल भेजने में लग गए 10 दिन

नोएडा में तीन साल की मासूम से हैवानियत : घटना से इनकार करने वाला कैंब्रिज स्कूल निकला झूठा, आरोपियों को जेल भेजने में लग गए 10 दिन

घटना से इनकार करने वाला कैंब्रिज स्कूल निकला झूठा, आरोपियों को जेल भेजने में लग गए 10 दिन

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Noida News : नोएडा के सेक्टर-27 स्थित कैंब्रिज स्कूल (Cambridge School) में एक तीन वर्षीय बच्ची के साथ हुई हैवानियत ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता के माता-पिता ने अपनी बेटी को डॉक्टर के पास ले जाकर जांच कराई। डॉक्टर की रिपोर्ट में बच्ची के साथ छेड़छाड़ की पुष्टि होने पर परिवार ने स्कूल प्रबंधन से संपर्क किया, लेकिन स्कूल ने घटना से इनकार कर दिया। ट्राईसिटी टुडे ने इस मामले को लगातार उठाया और जिम्मेदारों से जवाब मांगा। 

गिरफ्तार करने में पुलिस को 10-12 दिन क्यों लगे ?
घटना के दस दिन बाद अब वारदात को छिपाने के आरोप में एक शिक्षिका को भी गिरफ्तार किया गया है। स्कूल प्रबंधन का रवैया शुरुआत से ही गैर-जिम्मेदाराना रहा। उन्होंने न केवल घटना से इनकार किया, बल्कि अभिभावकों को भेजे गए एक संदेश में इसे झूठा भी ठहराया। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मुख्य आरोपी का साथ देने वालों को गिरफ्तार करने में पुलिस को 10-12 दिन क्यों लगे? वह भी तब, जब मीडिया लगातार इस मामले पर रिपोर्टिंग कर रहा था। क्या पुलिस और प्रशासन स्कूल को बचाने की कोशिश कर रहे थे? यह भी चिंता का विषय है कि शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा कितनी है? क्या ऐसी और भी घटनाएं होती हैं जिन्हें शिक्षक और प्रशासन मिलकर छिपा देते हैं?

स्कूल करता रहा घटना से इनकार, परिजनों ने नहीं मानी हार 
इस घटना ने स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों में आक्रोश पैदा किया है। वे स्कूल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाना चाहिए। पीड़िता के परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी। उनके प्रयासों के बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सका। यह घटना समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करती है।

घटना से यह सवाल खड़े होते है 
क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान वास्तव में बच्चों के लिए सुरक्षित हैं? इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? क्या कानून प्रवर्तन एजेंसियां और स्कूल प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से कर रहे हैं? समाज को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ किस प्रकार जागरूक और सक्रिय होना चाहिए?

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