Noida News : नोएडा में स्थित एमिटी विश्वविद्यालय (Amity University) ने रिस्क मैनेजमेंट में छात्रों को सक्षम बनाने के लिए आज अमेरिका स्थित एक संस्थान के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया है। इसके अंर्तगत संस्थान में स्नातक और स्नातकोत्तर नेटवर्क के लिए आरआईएमस-सीआरएमपी (प्रमाणित जोखिम प्रबंधन व्यवसायिक) सर्टिफिकेशन मिलेगी। इस मौके पर आज एक ऑनलाइन एग्रीमेंट साइन कार्यक्रम रखा गया था।
इसमें यूएस के दी रिस्क मैनेजमेंट सोसाइटी की मैरी रोथ, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की वाइस चांसलर डॉ (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, रिस्क मैनेजमेंट सोसाइटी के साउथ एशिया के वैश्विक विकास निदेशक गोपाल कृष्णन केएस और एमिटी स्कूल आॅफ इंश्योरेंस बैकिंग एंड एक्चुरियल साइंसेस के निदेशक एपी सिंह उपस्थित थे। एमिटी विश्वविद्यालय बैकिंग, बीमा, एक्चुरियल सांइसेस एवं वित्तीय स्नातकों के साथ एक्सपर्ट व्यावसायिक अधिकारियों से छात्रों को सीखने का अवसर मिलेगा। यह कोर्स पांच सप्ताह है।
दी रिस्क मैनेजमेंट सोसाइटी की मैरी रोथ ने संबोधित करते हुए कहा, यह समझौता दोनों संस्थानों के लिए बेहतरीन अवसर है। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय के माध्यम से हम हजारों छात्रों तक पहंुच सकगें। आज भारत में नये चैप्टर का प्रारंभ कर रहे हैं। इस समझौते से भारत में हमारी और इस चैप्टर की गतिविधियों में इजाफा होगा। हमारी प्राथमिकता जोखिम प्रबंधन व्यवसायिकों के साथ नेटर्वक बनाना है, जो उनके कैरियर विकास मेें सहायक होगा।
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डॉ (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा कि एमिटी छात्रों को सदैव वैश्विक अवसर प्रदान करता रहा है। यह समझौता उसी क्रम में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह साझेदारी फैकल्टी का नेटर्वक बनाने, पेशेवर दुनिया के साथ जुड़ने में एक बड़ा अवसर प्रदान करेगी। डॉ शुक्ला ने कहा कि यह उद्योग का समर्थन करने के लिए नेटवर्किंग, साझेदारी और विकासशील तालमेल का युग है।
दी रिस्क मैनेजमेंट सोसाइटी के साउथ एशिया के वैश्विक विकास निदेशक गोपाल कृष्णन ने कहा, सम्मानित एमिटी विश्वविद्यालय के साथ जुड़ने से आरआईएमएस को भारत में जोखिम प्रबंधन क्षमताओं के मूल्य को प्रदर्शित और प्रोत्साहित करने यात्रा को जारी रखने का अवसर मिलेगा। आरआईएमएस-दी रिस्क मैनेजमेंट सोसाइटी एक वैश्विक गैर लाभीय और जोखिम अभ्यास को बढ़ाने में प्रतिबद्ध संस्थान है। इनका 60 से अधिक देशों में नेटवर्क फैला हुआ है।