Noida : एनसीआर का पहला नेचुरल ट्रेल ऑफ आर्टिफिशियल जू थीम पार्क दिल्ली के एकदम पास नोएडा में बनने जा रहा है। यह पार्क महामाया फ्लाईओवर के पास बनने जा रहा है। पार्क में कबाड़ से बनी डायनासोर, गैंडा, मगरमच्छ, अजगर, बंदर व चिड़ियाओं की आकृति होंगी। साथ ही यहां आने वाले लोगों के खान-पान का भी इंतजाम होगा। यह पार्क करीब 25 एकड़ जमीन पर चिड़ियाघर थीम पर बनेगा। इसका निर्माण जेड टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करेगी। निर्माण 15 अप्रैल से शुरू होगा। निर्माण में करीब 15 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। ये पार्क अपने आप में अनोखा होगा, जिसका कॉन्सेप्ट 4डी पर आधारित होगा।
शरीर में मूवमेंट और आवाज
पार्क को 4डी कॉन्सेप्ट पर बनाया जा रहा है। इस तकनीक का प्रयोग यहां बनाए जाने वाले जंगली जानवरों में किया जाएगा। जो बने तो नकली होंगे, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया असली से कम नहीं होगी। असली जानवरों की तरह की उनके शरीर में मूवमेंट और आवाज भी होगी। साथ ही उनकी पूरी जानकारी के लिए गाइड में रखे जाएंगे। इसे ओखला बर्ड सेंचुरी नाम दिया गया है। एक लिंक रोड बनाई जाएगी जो सीधे बर्ड सेंचुरी को जोड़ेगी। इसके लिए लोगों को बाहर नहीं आना होगा। प्राधिकरण का दावा है कि इस पार्क के निर्माण से नोएडा नया कीर्तिमान हासिल कर सकता है।
करीब 25 एकड़ में बनाया जाएगा पार्क
पार्क को मास्टर प्लान 2031 में रिकियेशनल ग्रीन के तहत 25 एकड़ में बनाया जाएगा। यह चिड़ियाघर की थीम पर बनाया जाएगा। इसमें कबाड़ से कलाकृति बनाई जाएंगी। इसमें डायनासोर, गैंडा, मगरमच्छ, चिड़िया आदि की कलाकृति बनाई जाएंगी। इन अलावा बनारस के घाट, अयोध्या के घाट समेत अन्य चीजों को यहां आकृतियों के जरिए दर्शाया जाएगा। करीब 500 टन कबाड़ से अलग-अलग स्कल्पचर तैयार किए जाएंगे। जिसमें लोहे को प्लांट में री-साइकिल किया जाएगा। इसके बाद लोहे से पार्क में स्कल्पचर बनाए जाएंगे। इसके अलावा प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग भी किया जाएगा। जो
नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर बनेगा पार्क
नोएडा अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास यह पार्क बनने जा रहा है। यह पार्क नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर बनेगा। यहां आसानी मेट्रो के जरिए भी पहुंचा जा सकेगा। सामने ही ओखला पक्षी विहार मेट्रो स्टेशन है। पार्क को तैयारी करने वाली कंपनी ही संचालन और मेंटीनेंस का काम देखेगी। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण को कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। साथ ही जो भी संस्था पार्क का निर्माण करेगी, उसे ही 20 साल तक इसकी मेंटेनेंस और देखभाल करनी होगी।