डीएलएफ से 235 करोड़ रुपए लेकर वीराना रेड्डी को देगा प्राधिकरण, कुल 15 दिनों में होगी वसूली

नोएडा से बड़ी खबर : डीएलएफ से 235 करोड़ रुपए लेकर वीराना रेड्डी को देगा प्राधिकरण, कुल 15 दिनों में होगी वसूली

डीएलएफ से 235 करोड़ रुपए लेकर वीराना रेड्डी को देगा प्राधिकरण, कुल 15 दिनों में होगी वसूली

Google Image | डीएलएफ

Noida : बेंगलुरु के रहने वाले विराना रेड्डी को नोएडा प्राधिकरण डीएलएफ मॉल से 235 करोड़ रुपए लेकर देगा। इसको लेकर नोएडा प्राधिकरण ने डीएलएफ मॉल के मालिक को नोटिस जारी कर दिया है। डीएलएफ मॉल के मालिक के पास केवल 15 दिनों का समय है। आगामी 15 दिनों के भीतर डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड कंपनी को 235 करोड़ रुपए नोएडा प्राधिकरण को देने होंगे। जिसके बाद यह पैसा नोएडा प्राधिकरण बेंगलुरु के रहने वाले वीराना रेड्डी को देगा। यह मामला पिछले 17 सालों से कोर्ट में चल रहा है।

24 अप्रैल 1997 रेड्डी ने खरीदी थी जमीन
दरअसल, जिस जमीन पर डीएलएफ मॉल बना है, वह जमीन कभी बेंगलुरु के रहने वाले विराना रेड्डी की हुआ करती थी। इस जमीन को रेड्डी ने 24 अप्रैल 1997 को छलेरा के रहने वाले एक किसान से खरीदा था। उसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और भूखंड योजना निकालकर डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड कंपनी को दे दिया। आज इस जमीन पर नोएडा का शानदार डीएलएफ मॉल बना हुआ है। बताया जाता है कि नोएडा प्राधिकरण ने गलत तरीके से इस जमीन का अधिग्रहण किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने रेड्डी के पक्ष में सुनाया फैसला
नोएडा प्राधिकरण की इस गलती के खिलाफ वीराना रेड्डी हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। प्राधिकरण ने अपनी दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी थी, लेकिन कोर्ट ने रेड्डी के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को आदेश देते हुए कहा कि बेंगलुरु के रहने वाले रेड्डी को 235 करोड़ रुपए अतिरिक्त देना होगा और इस कीमत को नोएडा प्राधिकरण देगा। जिसके बाद अब नोएडा प्राधिकरण डीएलएफ यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 235 करोड़ रुपए देने का नोटिस भेजा है। नोटिस में केवल 15 दिनों का समय दिया गया है।

क्या है पूरा मामला
नोएडा प्राधिकरण ने साल 2005 में भूमि मालिक वीराना रेड्डी से लगभग 7,400 वर्गमीटर प्लॉट का अधिग्रहण किया था। जिन्होंने बाद में इस आधार पर अधिग्रहण पर आपत्ति जताई कि प्रस्तावित मुआवजा अनुचित था। 31 जनवरी 2011 को गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने 18,00,481 रुपये मुआवजा और 181.87 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से ब्याज देने का फैसला किया। जिसे रेड्डी ने अस्वीकार कर दिया।

अथॉरिटी और रेड्डी के लंबी कानूनी लड़ाई चली
इसके बाद नोएडा प्राधिकरण और वीराना रेड्डी के बीच एक लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जो गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में शुरू हुई। फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक और अंततः सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट में 5 मई, 2022 को जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने प्राधिकरण को 15% ब्याज और 3% दंडात्मक ब्याज के साथ 1,10,000 प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया। अथॉरिटी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन में गई। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और प्राधिकरण को राहत देने से इंकार किया। इसके बाद अथॉरिटी ने वीराना रेड्डी को मुआवजा देने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह सबसे बड़ी मुआवजा दर है।

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