इमरजेंसी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाला लोकतंत्र सैनानी एक बाबू से लड़ रहा है। गौतमबुद्ध नगर के इस लोकतंत्र सैनानी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने लिखा है, "इस सरकार के आने का हमने वर्षों से सपना देखा था, लेकिन दुख इस बात का है कि हमारी सरकार हम पर ही ज्यादती कर रही है। इससे भी ज्यादा खराब स्थिति यह है कि गौतमबुद्ध नगर में एक बाबू कलेक्टर पर भी भारी है। जिले में बाबू ही कलेक्टर है, अदालत है और मुख्यमंत्री हैं।" लोकतंत्र सैनानी ने मुख्यमंत्री से कहा है कि अब अपना सम्मान बचाने के लिए उन्हें मजबूर होकर सत्याग्रह का सहारा लेना पड़ेगा
दो साल से जिलाधिकारी दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर
गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन की ज्यादती से तंग आकर 72 वर्ष के एक लोकतंत्र सेनानी ने आगामी 2 मार्च को जिलाधिकारी कार्यालय पर सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। पीड़ित की शिकायत है कि डीएम ऑफिस में तैनात जेए बाबू (न्याय सहायक) की वजह से उन्हें पिछले 16 महीने से लोकतंत्र सेनानी सम्मान राशि (पेंशन) नहीं मिली है। इस संबंध में वह अक्टूबर, 2019 से गौतमबुद्ध नगर डीएम कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला है। उनका कहना है कि बाबू जानबूझकर उनकी पेंशन को बाधित कर रहे हैं।
दो डीएम और सांसद चाहकर भी कुछ मदद नहीं कर पाए
यहां तक कि बाबू ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा है कि जब तक वह डीएम कार्यालय में तैनात है, कोई भी उनकी पेंशन बहाल नहीं करा सकता है। पिछले डेढ़ साल की भागदौड़ से थक हारकर पीड़ित नेमचंद शर्मा ‘अटल’ ने 2 मार्च को डीएम दफ्तर पर सत्याग्रह करने की ठानी है। पेंशन बहाली को लेकर वह गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई, पूर्व जिलाधिकारी बीएन सिंह, सांसद डॉ.महेश शर्मा समेत सभी जनप्रतिनिधियों और बड़े अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन सिवाय कागजी कार्रवाई और आश्वासन के उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है।
नेमचंद शर्मा आपातकाल में गए थे जेल
लोकतंत्र सेनानी नेमचंद शर्मा ‘अटल’ गौतमबुद्ध नगर के सलेमपुर गुर्जर गांव के रहने वाले हैं। स्मृतियों में जाते हुए वह बताते हैं कि इंदिरा गांधी द्वारा थोपे आपातकाल के दौरान वह 20 महीने जेल में रहे थे। मगर उन्होंने तब स्वयं को उतना पीड़ित नहीं पाया, जितना मौजूदा सरकार में उत्पीड़ित हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्वयंसेवक भी हैं। अक्टूबर, 2019 से अपनी पेंशन की बहाली को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इस डेढ़ साल के दौरान उन्होंने हर सक्षम अधिकारी का दरवाजा खटखटाया। इस संबंध में वह गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई से दर्जनों बार मिल चुके हैं। हर बार उन्हें भरोसा मिलता है, लेकिन पेंशन अब तक नहीं मिली है।
यह है पूरा मामला
पीड़ित नेमचंद शर्मा ने बताया कि अक्टूबर, 2019 में कानूनी अड़चनों का हवाला देकर उनकी लोकतंत्र सेनानी पेंशन सम्मान राशि का भुगतान रोक दिया गया। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात संबंधित अधिकारी को शिकायत दी। अफसर ने उनसे पेंशन बहाली के नाम पर रिश्वत की मांग की। उन्होंने रिश्वत देने से इनकार कर दिया। इससे नाराज अधिकारी ने अपने पद का फायदा उठाते हुए उनकी पेंशन रोक दी। अफसर ने उच्चाधिकारियों को भी गुमराह किया।
सांसद की चिट्ठी को भी कलेक्ट्रेट के बाबू ने तरजीह न दी
इसकी शिकायत लेकर लोकतंत्र सेनानी गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा से मिले। सांसद ने समस्या का समाधान कराने का आश्वासन दिया और जिलाधिकारी के नाम एक पत्र दिया। इसको एक साल से ज्यादा बीत गया है। मगर उस पत्र पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि नवंबर 2019 से अब तक वह लगातार डीएम ऑफिस का चक्कर काट रहे हैं। मगर उन्हें इंसाफ नहीं मिल रहा है। उनके पास सत्याग्रह के सिवा कोई विकल्प नहीं है।