सुपरटेक दिवालिया होने के कगार पर, 25 हजार घर खरीदारों की किस्मत अधर में लटकी

नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा धक्का : सुपरटेक दिवालिया होने के कगार पर, 25 हजार घर खरीदारों की किस्मत अधर में लटकी

सुपरटेक दिवालिया होने के कगार पर, 25 हजार घर खरीदारों की किस्मत अधर में लटकी

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

Supertech Builder Insolvency : नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर को एक के बाद एक बड़ा धक्का लग रहा है। पिछले 5 वर्षों के दौरान हालात सुधरने की बजाय लगातार बिगड़े हैं। उत्तर भारत की प्रमुख रियल स्टेट कम्पनी सुपरटेक दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है। इसका सीधा नुकसान कंपनी के प्रॉपर्टी खरीदारों पर पड़ेगा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में करीब एक दर्जन आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले 25,000 परिवारों का भाग्य अधर में लटक गया है। इससे पहले शहर की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक और आम्रपाली समूह दिवालिया हो चुके हैं।

कंपनी से 432 करोड़ की वसूली के लिए यूबीआई गया एनसीएलटी
दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक की परियोजनाएं नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, मेरठ और गाजियाबाद में हैं। इस कम्पनी के खिलाफ 25 मार्च को दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो गई है। दरअसल, कम्पनी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की दिल्ली बेंच ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका में बैंक ने क्रिमिनल को बताया है कि सुपरटेक बिल्डर ने पिछले साल 31 जनवरी 2021 तक उसके कर्ज में 431,92,53,302 रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है।

एनसीएलटी ने आईआरपी की नियुक्ति की
यह आदेश उन 25,000 से अधिक होमबॉयर्स को प्रभावित कर सकता है, जो कई वर्षों से डेवलपर के पास बुक किए गए अपने घरों पर कब्जा मिलने का इंतजार कर रहे थे। हालांकि, सुपरटेक ने दावा किया कि कंपनी के 38,041 ग्राहक हैं, जिनमें से 27,111 को घरों की डिलीवरी हो चुकी है। एनसीएलटी ने हितेश गोयल को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत सुपरटेक के लिए दिवाला समाधान पेशेवर (आईआरपी) के रूप में नियुक्त किया है। ट्रिब्यूनल ने 17 मार्च, 2022 को मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जब सुपरटेक द्वारा प्रस्तावित एकमुश्त समझौता बैंक द्वारा खारिज कर दिया गया था और तर्क सुने गए थे।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सुपरटेक ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ अपील में अपीलेट ट्रिब्यूनल से संपर्क करेगा। कंपनी प्रबंधन ने कहा "नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा सुपरटेक ग्रुप की कंपनियों में से एक में आईआरपी की नियुक्ति की गई है।" इस मामले में कंपनी के प्रबंधन ने आगे कहा, "आदेश के खिलाफ अपील में एनसीएलएटी से संपर्क करेंगे। क्योंकि मामला वित्तीय लेनदार से जुड़ा है। घर खरीदारों के हित इस प्रक्रिया में सर्वोपरि माने जाते हैं। परियोजनाओं के निर्माण और वितरण को बैंक बकाया के पुनर्भुगतान पर प्राथमिकता दी गई है। बैंक का बकाया भुगतान परियोजना को पूरा करने के बाद किया जा सकता है। चूंकि कंपनी की सभी परियोजनाएं वित्तीय रूप से व्यवहार्य हैं, इसलिए किसी भी पार्टी या वित्तीय लेनदार को नुकसान की कोई संभावना नहीं है। इस आदेश का किसी अन्य सुपरटेक समूह की कंपनी के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"

परियोजनाओं में निर्माण पर कोई असर नहीं : सुपरटेक
कंपनी ने कहा कि एनसीएलटी के आदेश का असर चल रही परियोजनाओं या कंपनी के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा। कंपनी प्रबंधन ने आगे कहा, "हम आवंटियों को इकाइयों की डिलीवरी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे पास पिछले 7 वर्षों के दौरान 40,000 से अधिक फ्लैट वितरित करने का एक मजबूत रिकॉर्ड है और हम "मिशन कम्प्लीशन-2022" के तहत अपने खरीदारों को डिलीवरी देना जारी रखेंगे। जिसके तहत हमने दिसंबर 2022 तक 7,000 यूनिट देने का लक्ष्य रखा है।"

बाकी सारे मुकदमे रोक दिए जाएंगे
आपको बता दें कि एक बार जब कोई कंपनी कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में चली जाती है तो समाधान प्राप्त होने तक निष्पादन सहित सभी लंबित सिविल, उपभोक्ता और रेरा के मामलों पर रोक लगा दी जाती है। सुपरटेक के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट और एनसीएलटी में कई याचिकाएं दायर करने वाले पीयूष सिंह ने कहा, "जिन घर खरीदारों ने सुपरटेक के साथ अपने अपार्टमेंट बुक किए थे, उन्हें घबराना नहीं चाहिए बल्कि कानून के तहत आईआरपी के साथ अपना दावा तुरंत दर्ज करना चाहिए।" उन्होंने कहा, "घर खरीदारों को सामूहिक रूप से कंपनी की दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) का पालन करना चाहिए और संभावित समाधान में मतदान करके कंपनी के पुनरुद्धार में भाग लेना चाहिए।" पीयूष सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को भी कदम उठाना चाहिए और घर खरीदारों को राहत देनी चाहिए, क्योंकि डेवलपर के पास विभिन्न राज्यों में कई परियोजनाएं फैली हुई हैं। यह कदम हजारों घर खरीदारों को प्रभावित करेगा।

शहर में कई बिल्डर हो चुके हैं दिवालिया
नोएडा में सुपरटेक दिवालिया होने वाली पहली डेवलपर नहीं है। जेपी इंफ्राटेक अगस्त 2017 में एनसीएलटी द्वारा आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के एक आवेदन को स्वीकार करने के बाद दिवाला प्रक्रिया में चली गई थी। एक लंबी समाधान प्रक्रिया के बाद जिसमें कई मोड़ आए। मुंबई स्थित सुरक्षा समूह को जून 2021 में कंपनी को संभालने के लिए वित्तीय लेनदारों और होमबॉयर्स की मंजूरी मिली। जिससे लगभग 20,000 होमबॉयर्स को अपने सपनों के फ्लैटों का कब्जा मिलने की उम्मीद जगी। 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने "नोएडा के अधिकारियों के साथ मिलीभगत" में भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए सुपरटेक के 40 मंजिला निर्माणाधीन ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। जिसके बाद सुपरटेक चर्चा में है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के ट्विन टावर अवैध घोषित किए
शीर्ष अदालत ने बिल्डर को आदेश दिया था कि ट्विन टावरों में फ्लैट बुक करने वाले 633 घर खरीदारों के पूरे निवेश को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस किया जाए। लगभग 248 होमबॉयर्स ने जल्दी रिफंड ले लिया, जबकि 133 ने अन्य सुपरटेक प्रोजेक्ट्स में फ्लैट ले लिए। अदालत ने सुपरटेक को एमराल्ड कोर्ट परियोजना की आरडब्ल्यूए को ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुए उत्पीड़न के लिए 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया। जिससे आवास परियोजना के मौजूदा निवासियों को धूप और ताजी हवा अवरुद्ध हो जाती है। फरवरी में नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मई तक टावरों को गिराने का काम पूरा कर लिया जाएगा। तोड़फोड़ का काम शुरू हो गया है।

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