अटके प्रोजेक्ट्स कैसे पूरे हों? जानने के लिए केंद्र सरकार ने लिया फैसला

गौतमबुद्ध नगर के 2 लाख फ्लैट खरीदारों के लिए बड़ी खबर : अटके प्रोजेक्ट्स कैसे पूरे हों? जानने के लिए केंद्र सरकार ने लिया फैसला

अटके प्रोजेक्ट्स कैसे पूरे हों? जानने के लिए केंद्र सरकार ने लिया फैसला

Tricity Today | Gautam Buddha Nagar

News Delhi : केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं की जांच करने और उन्हें पूरा करने के तरीकों का पता लगाने के लिए सरकार ने एक समिति बनाई है। यह समिति सरकार को सिफारिश देगी। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। आपको बता दें कि देशभर में ऐसी सबसे ज्यादा परियोजनाएं गौतमबुद्ध नगर में हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण के दायरे में ऐसे प्रोजेक्ट्स की संख्या करीब 200 है। जिनमें लगभग 2 लाख फ्लैट खरीदार फंसे हुए हैं।

शहरी मंत्रालय ने 31 मार्च को अपने आदेश में कहा कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम-2016 के तहत गठित केंद्रीय सलाहकार परिषद ने 12 अप्रैल 2022 को अपनी तीसरी बैठक में इस मुद्दे को देखने के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया था। यह समिति पुरानी रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सिफारिश देगी। मंत्रालय की ओर से कहा गया है, "यह समिति पुरानी रुकी हुई परियोजनाओं के मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी और इन परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने और घर खरीदारों को सौंपने के तरीके सुझाएगी। समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। समिति जरूरत पड़ने पर सदस्यों को सहयोजित कर सकती है।"

सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आने के बावजूद पैसा देने को तैयार नहीं बिल्डर
नोएडा में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेकर बैठे बिल्डरों को बकाए में छूट देने के लिए लाई गई नोएडा प्राधिकरण की री-शेड्यूलमेंट पॉलिसी पिछले सप्ताह शुक्रवार को समाप्त हो गई है। इस पॉलिसी का फायदा लेने के लिए बिल्डरों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। महज 11 परियोजनाओं के लिए बिल्डरों इस इस पॉलिसी के तहत आवेदन किए हैं, जबकि 80 से अधिक बकाएदार बिल्डर हैं। अब अथॉरिटी ने डिफॉल्टर बिल्डरों के खिलाफ कठोर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी सिलसिले में शहर के एक बिल्डर का प्रोजेक्ट सील कर दिया गया है।

प्राधिकरण के पक्ष में आया अथॉरिटी का फैसला
बकाए पर ब्याज वसूलने को लेकर उच्चतम न्यायालय पिछले साल फैसला सुना चुका है। फैसले में न्यायालय ने कहा कि बिल्डरों को प्राधिकरण के नियम के तहत ही बकाया देना होगा। न्यायालय का आदेश आने के बाद नोएडा प्राधिकरण ने 01 जनवरी 2023 को बिल्डरों को बकाए में राहत देने के लिए री-शेड्यूलमेंट पॉलिसी का ऐलान किया था। इस पॉलिसी के तहत दो साल के अंदर बकाया जमा करने पर तीन प्रतिशत पैनल इंट्रेस्ट की छूट देने का प्राधिकरण ने निर्णय लिया था। अब इस पॉलिसी में आवेदन करने की समय सीमा पिछले शुक्रवार को समाप्त हो गई है। प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि पॉलिसी के तहत जिन ग्रुप हाउसिंग से जुड़े बिल्डरों ने आवेदन किया है, उनमें डिवाइन, लॉरिएट, गुलशन होम्स, ग्रेट वैल्यू, जेएम ग्रुप की 2 परियोजनाएं और आईआईटीएल निबंस शामिल हैं। इनके अलावा स्पोर्टस सिटी के बिल्डरों ने भी तीन परियोजनाओं के लिए आवेदन किया है। इन परियोजनाओं में संवृद्धि बिल्डर की दो और इनवॉक की एक परियोजना है।

बकाया नहीं चुकाने वालों पर एक्शन शुरू हुआ
दूसरी तरफ बकाया नहीं देने पर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों पर सख्ती करनी शुरू कर दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को सेक्टर-168 स्थित मैसर्स सनवर्ल्ड रेजीडेंसी प्राइवेट लिमिटेड के निर्माणाधीन तीन टावरों को सील कर दिया। इस परियोजना पर प्राधिकरण का 182 करोड़ रुपये बकाया हैं। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना का बकाया देने के लिए बिल्डर को 21 नवंबर 2022 और 27 दिसंबर 2022 को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद भी बिल्डर पैसा जमा नहीं कर रहा था। इसी क्रम में प्राधिकरण ने शुक्रवार को कार्रवाई की है। 

बिल्डर की अनसोल्ड प्रॉपर्टी अथॉरिटी ने जब्त की
नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रभाष कुमार ने बताया कि बिल्डर को आवंटित भूखंड संख्या जीएच-01 सी, सेक्टर-168 के निर्माणाधीन टॉवर संख्या-7, 8, और 9 को सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ये तीनों टावर में अभी काफी काम होना बाकी है। सोसाइटी परिसर में बने बाकी टावर में कुछ लोग रह रहे हैं। एसीईओ ने बताया कि बकाया नहीं देने वाले बिल्डरों पर अब लगातार सख्ती बरती जाएगी। जरूरत के हिसाब से परियोजना में सीलिंग, आरसी जारी करने आदि कार्रवाई की जाएगी।

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