अडानी टोटल गैस ने मांगा था नोएडा में सीएनजी और पाइप्ड गैस रिटेल के लिए लाइसेंस
पीएनजी रेग्युलेटरी बोर्ड ने लाइसेंस देने से इनकार किया, कंपनी मानक पूरे नहीं कर पाई
दिल्ली-एनसीआर में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के पास है सीएनजी और पीएनजी सप्लाई लाइसेंस
फिलहाल आईजीएल के मुकाबले कोई प्रतिस्पर्धी नहीं, अडानी टोटल फिर करेंगे प्रयास
Noida News : तेल और प्राकृतिक गैस नियामक पीएनजीआरबी ने अडानी समूह को बड़ा झटका दिया है। अडानी टोटल गैस लिमिटेड ने राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ऑटोमोबाइल के लिए सीएनजी व घरेलू रसोई में पाइप के जरिए गैस की खुदरा बिक्री का लाइसेंस मांगा था। इनके आवेदन को नियामक ने इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि यह मानदंडों को पूरा नहीं करता है। नियामक के इस फैसले ने दिल्ली एनसीआर में पीएनजी और सीएनजी की सप्लाई करने वाली कम्पनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड को बड़ी राहत दी है। दरअसल, आईजीएल के सामने अभी कोई प्रतिस्पर्धी कंपनी नहीं है।
इस वजह से खारिज हुआ आवेदन
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने 14 जुलाई को एक आदेश में कहा कि अदाणी टोटल गैस लिमिटेड कानून की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है और इसलिए उसका आवेदन खारिज किया जाता है। अदाणी की नजर करीब दो दशकों से राष्ट्रीय राजधानी से सटे शहरों के लिए सिटी गैस वितरण (सीजीडी) लाइसेंस पर है। कोई कंपनी किसी शहर में सीएनजी या पाइप्ड प्राकृतिक गैस की खुदरा बिक्री तभी कर सकती है, जब वह नियामक द्वारा अधिकृत हो या नियामक के अस्तित्व में आने से पहले उसके पास केंद्र सरकार से अनुमति हो।
नियामक से पहले थी आईजीएल
इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों का संयुक्त उद्यम है। आईजीएल को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्राकृतिक गैस की रिटेलिंग के लिए अधिकृत किया गया था। अब अदाणी ने राष्ट्रीय राजधानी के आसपास के शहरों में आईजीएल की मोनोपॉली चुनौती दी है। पीएनजीआरबी वर्ष 2006 में अस्तित्व में आया था। इस नियामक ने उन कंपनियों को लाइसेंस दे दिए, जिन्हें नियामक के अस्तित्व में आने से पहले केंद्र सरकार लाइसेंस दे चुकी थी। आईजीएल सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के आदेशों के अनुसार 1990 के दशक के अंत से दिल्ली एनसीटी में सीएनजी की खुदरा बिक्री कर रही थी। इसी आधार पर आईजीएल को सिटी गैस वितरण का लाइसेंस दिया गया था। कंपनी को केंद्र सरकार से 8 अप्रैल, 2004 के पत्र का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश के नोएडा में गैस वितरण का लाइसेंस मिला था।
साल 2008 से चल रहा विवाद
आईजीएल डेढ़ दशक से अधिक समय से नोएडा में ऑटोमोबाइल के लिए सीएनजी और घरेलू रसोई और उद्योगों के लिए पाइप के जरिए प्राकृतिक गैस की खुदरा बिक्री कर रही है। अदाणी एनर्जी लिमिटेड (एईएल) ने फ्रांसीसी ऊर्जा दिग्गज टोटल एनर्जीज को अपनी कंपनी में हिस्सेदारी दे दी। इस तरह अदाणी टोटल गैस लिमिटेड (एटीजीएल) की शुरुआत हुई। इस कंपनी ने 25 जून, 2008 को नोएडा शहर में स्थानीय प्राकृतिक गैस वितरण नेटवर्क का विकास करने के लिए दावा पेश किया। नियामक आवेदन प्रस्तुत करने के समय उस पर कार्रवाई नहीं कर सका और नोएडा के लिए प्राधिकरण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में चला गया। शीर्ष अदालत ने पिछले साल सितंबर में एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि नियामक इस विवाद पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
नियामक बोर्ड ने वोटिंग से लिया फैसला
इसके बाद पीएनजीआरबी ने अडाणी के आवेदन पर कार्रवाई शुरू की। नियामक ने अडानी के आवेदन को खारिज कर दिया। यह फैसला वोटिंग से हुआ है। जिसके लिए तीन निर्णायक सदस्यों में से दो ने मतदान किया। एक तीसरे सदस्य अजीत कुमार पांडे ने कहा कि पीएनजीआरबी के लिए आदेश पारित करना विवेकपूर्ण नहीं था। क्योंकि मामला विचाराधीन था, अदानी ने अपीलीय न्यायाधिकरण एपीटीईएल के समक्ष एक आवेदन दायर किया है। पीएनजीआरबी के अन्य सदस्यों गजेंद्र सिंह और एके तिवारी ने आवेदन को अस्वीकार करने के पक्ष में मतदान किया। बोर्ड ने एटीजीएल के आवेदन की जांच करते समय 25 जून 2008 के आवेदन के साथ जमा किए गए दस्तावेजों, बैठक के दौरान किए गए उनके प्रस्तुतीकरण और उस पर प्रस्तुत किए गए अतिरिक्त दस्तावेजों पर विचार किया।
एटीजीएल के पास नोएडा में जमीन लेकिन…
पीएनजीआरबी ने आदेश में कहा, "यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि बोर्ड ने 25 अप्रैल, 2023 को आयोजित 124वीं बोर्ड बैठक में सर्वसम्मति से एटीजीएल आवेदन को अस्वीकार करने का निर्णय लिया।" पीएनजीआरबी ने कहा कि किसी इकाई को नियामक के अस्तित्व में आने से पहले परिचालन करने पर विचार किया जा सकता है, यदि उसने सिटी गेट स्टेशन (सीजीएस) के निर्माण के लिए आवश्यक उपकरण खरीदे हों। एटीजीएल आवेदन में कहा गया है कि सीजीएस के लिए भूमि का आवंटन नोएडा प्राधिकरण से ले लिया गया है। आवेदन में कहा गया कि कंपनी के पास नोएडा प्राधिकरण से पांच स्थानों के लिए भूमि कब्ज़ा प्रमाण पत्र था, लेकिन कंपनी ने कोई आवश्यक उपकरण नहीं खरीदा था।
कानून के मुताबिक लाइसेंस नहीं मिल सकता
आदेश में आगे कहा गया, "इसलिए, बोर्ड यह कहना चाहता है कि एटीजीएल पीएनजीआरबी अधिनियम के तहत विनियमन की आवश्यकता का अनुपालन नहीं कर रहा है।" पीएनजीआरबी ने यह भी कहा है कि तेल मंत्रालय ने 8 अप्रैल, 2004 के एक पत्र के माध्यम से नोएडा में सीएनजी और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) के रूप में खुदरा बिक्री के लिए आईजीएल को लाइसेंस का आवंटन किया था। एईएल को उस आवंटन में शामिल नहीं किया गया था। कंपनी ने कहा कि उसने अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत जमा नहीं किया है कि उसे गैस आवंटन मिला है। यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि पीएनजीआरबी के पास नोएडा में अडानी की वर्तमान प्रगति के संबंध में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। उनके प्रस्तुतीकरण से यह पता चलता है कि कंपनी वर्तमान में नोएडा में काम नहीं कर रही है और नोएडा में बिछाई गई उनकी पाइपलाइन की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति भी अनिश्चित है।
अदाणी का नोएडा में कोई स्टेशन नहीं
नियामक ने अपने विस्तृत आदेश में लिखा है, "यह भी देखा गया है कि एटीजीएल को नोएडा जीए में सीएनजी स्टेशनों के लिए जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन इकाई नोएडा में किसी भी सीएनजी स्टेशन का संचालन नहीं कर रही है।" नियामक ने कहा कि एटीजीएल ने पर्याप्त अवसरों का लाभ उठाया है और पीएनजीआरबी अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा न करने के कारण बोर्ड नोएडा में सीजीडी नेटवर्क के विकास के लिए एटीजीएल के दावे को अस्वीकार करता है।