नोएडा के इतिहास का सबसे बड़ा किसान आंदोलन, जिसके चलते अथॉरिटी को माननी पड़ीं ये 13 मांग

कामयाबी : नोएडा के इतिहास का सबसे बड़ा किसान आंदोलन, जिसके चलते अथॉरिटी को माननी पड़ीं ये 13 मांग

नोएडा के इतिहास का सबसे बड़ा किसान आंदोलन, जिसके चलते अथॉरिटी को माननी पड़ीं ये 13 मांग

Tricity Today | File Photo

Noida : नोएडा में चार महीनों से चल रहा किसानों का धरना बीते शुक्रवार को समाप्त हो गया था। किसानों को अथॉरिटी (Noida Authority) ने आश्वासन दिया था कि जिन मसलों पर सहमति बनी है, उन्हें 4 या 5 जनवरी को बोर्ड बैठक में पास किया जाएगा। जब 5 जनवरी को भी बैठक नहीं हुई तो सैकड़ों किसान 6 जनवरी की सुबह फिर प्राधिकरण पर पहुंच गए। लिहाजा, 7 जनवरी को आनन-फानन में बोर्ड बैठक बुलाई गई। किसानों की मांगों से जुड़े 2 बड़े फैसले लिए गए हैं। इस आंदोलन की कुछ खास बातें हैं, जो हम आपको बता रहे हैं।

किसानों की अधिकांश मांग ऑथोरिटी ने मान लीं
पिछले शुक्रवार को धरना समाप्त होने से पहले नोएडा प्राधिकरण ने किसानों की अधिकांश मांगें मान ली थीं। नोएडा प्राधिकरण किसान परिवार में प्रति बालिग सदस्य एक हजार वर्ग मीटर जमीन छोड़ने पर सहमत हो गया। तय हुआ कि जमीन अधिग्रहण के बदले 10% भूखंड और 64.7% प्रतिशत मुआवजे की मांग को दोबारा से शासन को भेजा जाएगा। सांसद डॉ.महेश शर्मा और विधायक पंकज सिंह धरना स्थल पर गए और किसानों का धरना खत्म कराया। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर पहलवान सहित अन्य किसानों को जूस पिलाकर व प्रसाद खिलाकर उनका आमरण अनशन तुड़वाया गया।

सुखबीर पहलवान ने पहले ही चेतावनी दी थी
नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ ने मांगों पर सहमति से संबंधित पत्र किसानों को सौंपा था। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर पहलवान ने कहा था, "किसान भाइयों के अटूट आत्मविश्वास और आत्मबल के आगे प्राधिकरण को झुकना पड़ा। प्राधिकरण ने अधिकतर मांगों पर सहमति दे दी है। इनको मंजूरी मिलने की शुरूआत अगले सप्ताह होने वाली बोर्ड बैठक से हो जाएगी। अगर मांगों को लेकर प्राधिकरण पीछे हटा तो किसान फिर से लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।" जब 4 या 5 जनवरी को बोर्ड बैठक नहीं बुलाई गई तो 6 जनवरी को सुखबीर खलीफा और उनके साथी किसान प्राधिकरण मुख्यालय पहुंच गए। एक बार फिर धरना शुरू कर दिया। अब 7 जनवरी को प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक बुलाई और किसानों की मांगों को मंजूरी दिलाई है।

पंकज सिंह और रितु महेश्वरी ने कहा...
विधायक पंकज सिंह ने कहा, "किसानों के प्रति मेरे मन में हमेशा सम्मान का भाव रहा है। नोएडा के किसानों की कई सालों से लंबित समस्याओं का समाधान यदि मेरे कार्यकाल में हो जाए तो इसके लिए मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानूंगा। मुझे खुशी है बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो गया है। किसानों को उनका हक जरूत दिलवाएंगे।" वहीं, इस बारे में नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रवीण मिश्रा का कहना है, "जिन मांगों पर सहमति बनी है, उनको पूरा कराया जाएगा। किसानों से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए ही शुक्रवार को बोर्ड मीटिंग हुई।"

इन 13 मांगों पर बनी थी सहमति
  1. अधिग्रहण के सापेक्ष 10% भूखंड और 64.7% मांग को लेकर प्राधिकरण ड्राफ्ट बनाकर शासन को भेजेगा। इसकी पैरवी जनप्रतिनिधि करेंगे।
  2. आबादी को लेकर विनियिमतीकरण की सीमा प्रति बालिग सदस्य 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1000 वर्गमीटर मीटर की गई। प्रस्ताव बोर्ड ने मंजूर करके शासन को भेजा।
  3. गांवों के चारों ओर पेरीफेरल रोड के अंदर अगर जमीन किसान ने किसी अन्य व्यक्ति को बेच दी तो उसका समाधान घरौनी योजना के तहत किया जाएगा।
  4. आबादी निस्तारण के लिए प्रार्थना पत्र आने पर 15 दिन के अंदर उसका निस्तारण होगा। अगली बोर्ड बैठक में रजिस्ट्री खुलने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
  5. जिले के किसी भी व्यक्ति द्वारा नोएडा में किसी भी व्यक्ति से जमीन खरीदे जाने पर उसके मूल लाभ के लिए परीक्षण किया जाएगा।
  6. ग्रामीण इलाकों में इमारतों की ऊंचाई ग्राउंड फ्लोर लेवल से टॉप छत के लेवल तक नापी जाएगी।
  7. मूल 5 प्रतिशत के भूखंड के लिए भूमि उपलब्धता न होने के कारण भूलेख विभाग में फाइल नहीं रोकी जाएगी और नियोजन विभाग में डाले गए भूखंड अधिकतम 6 महीने में निस्तारित कर दिए जाएंगे।
  8. मूल 5 प्रतिशत के भूखंड के लिए अलग से एक क्लस्टर दिया जाएगा।
  9. विकास कार्यों से संबंधित फाइलों का निस्तारण भूलेख में न भेजकर वर्क सर्किल से कराया जाएगा।
  10. 5 प्रतिशत भूखंड में व्यावसायिक गतिविधि चलाने के लिए रियायती दर पर शुल्क लें। यह निर्णय लेने के लिए प्राधिकरण में कमेटी बनेगी, जो इस बोर्ड बैठक में निर्णय लेकर अग्रिम बोर्ड बैठक में पास कराया जाएगा।
  11. गांवों में खेल के प्रति लगाव को देखते हुए नोएडा में इंटरनेशनल मल्टी स्पोर्टस कॉम्पलेक्स बनाया जाएगा।
  12. हर गांव में पुस्तकालय की व्यवस्था होगी।
  13. हर गांव में खेल मैदान बनाया जाएगा। अथॉरिटी में खेल का बजट अलग से निर्धारित किया जाएगा।

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