बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू फाइल किया, केवल एक टॉवर तोड़ने की मांग

सुपरटेक ट्विंस टॉवर मामला :  बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू फाइल किया, केवल एक टॉवर तोड़ने की मांग

बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू फाइल किया, केवल एक टॉवर तोड़ने की मांग

Tricity Today | सुपरटेक ट्विंस टावर

Noida News : सुपरटेक ट्विंस टावर को तोड़ने के आदेश के खिलाफ एक बार फिर बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुपरटेक बिल्डर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सेक्टर-93ए की एमरॉल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी में बनाए गए ट्विन टावर में से छोटे टावर को गिराया जाना चाहिए। आपको बता दें कि ट्विंस टावर को गिराने की मियाद 30 नवंबर तक है। इसी बीच बिल्डर की ओर से दाखिल किए गए रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट जल्दी सुनवाई कर सकता है।

मिली जानकारी के मुताबिक सुपरटेक बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटिशन में कहा है कि ट्विन्स टॉवर में से छोटे टॉवर को तोड़ा जाना चाहिए। तर्क है, जब छोटा टावर तोड़ दिया जाएगा तो बड़े को तोड़ने की जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि ट्विन्स टॉवर को तोड़ने की वजह दोनों इमारतों के बीच कम दूरी मानी गई है। छोटा टावर टूटने पर आपत्ति स्वतः समाप्त हो जाएगी। ऐसे में बड़े टॉवर को तोड़ने की जरूरत ही क्या है?

ट्विन्स टॉवर की ऊंचाई 121 मीटर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत तीन महीने में टॉवर को गिराया जाना है। कोर्ट ने इनको गिराने के लिए सीबीआरआई की मदद लेने का आदेश नोएडा अथॉरिटी को दिया था। सीबीआरई कार्य योजना देगा। ट्विन्स टॉवर की ऊंचाई 121 मीटर है। इस ऊंची इमारत को ध्वस्त किया जाएगा। इनको गिराने में आने वाला खर्च सुपरटेक को वहन करना है। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का कहना है कि टावरों को गिराना इतना आसान नहीं है। इस मामले में प्राधिकरण स्तर पर एक टीम गठित की जाएगी।

नोएडा प्राधिकरण को भी लगी थी फटकार
शीर्ष अदालत ने 4 अगस्त को नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाई थी। सबकी दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने नोएडा छोटी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के होमबॉयर्स को स्वीकृत योजना का नक्शा नहीं देने पर बिल्डर के साथ मिलीभगत माना है। कोर्ट ने कहा था कि जब घर खरीदारों ने योजना का नक्शा मांगने के लिए प्राधिकरण को लिखा तो नक्शा नहीं दिया गया। डेवलपर के कहने पर उन्हें योजना का प्लान देने से इनकार कर दिया।

ऐसे किया गया भूमि आवंटन
सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट को 23 नवंबर 2004 को सेक्टर-93ए में पहले 48,263 वर्गमीटर जमीन आवंटन का आवंटन किया गया था। उस समय रिटायर्ड आईएएस देवदत्त नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन और सीईओ थे। पहली लीज डीड 16 मार्च 2005 को हुई। बिल्डर ने जमीन पर अगले ही दिन 17 मार्च 2005 को कब्जा हासिल किया था। 20 जून 2005 को बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी गई। 21 जून 006 को पूरक लीज डीड करवाई गई। जिसके तहत इस भूखंड में 6,556.51 वर्ग मीटर जमीन और जुड़ गई। भूखंड का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 54,819.51 वर्ग मीटर हो गया। बिल्डर ने 23 जून 2006 को पूरी जमीन पर कब्जा ले लिया था।

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