गौतमबुद्ध नगर के बिल्डरों ने तीनों प्राधिकरण को पहुंचाया 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, अब इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे अफसर

खास खबर : गौतमबुद्ध नगर के बिल्डरों ने तीनों प्राधिकरण को पहुंचाया 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, अब इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे अफसर

गौतमबुद्ध नगर के बिल्डरों ने तीनों प्राधिकरण को पहुंचाया 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, अब इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे अफसर

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर द्वार

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के बिल्डरों (Builder) ने ना केवल घर खरीदारों को नुकसान पहुंचाया है बल्कि नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority), ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Authority) को भी करोड़ों रुपए की चपत लगाई हैं। इन तीनों प्राधिकरण का कई बिल्डरों पर 50 हजार करोड़ रुपए बकाया है। काफी बार नोटिस जारी होने के बावजूद भी बिल्डर पैसे देने को तैयार नहीं है। जिसकी वजह से तीनों प्राधिकरण को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। 50 हजार करोड़ों पर बकाया होने के कारण तीनों प्राधिकरण की कमाई पर भी गहरा असर पड़ रहा है।

किस प्राधिकरण का कितना बकाया
गौतमबुद्ध नगर में रियल एस्टेट कंपनियों ने घर खरीदारों के साथ तीनों प्राधिकरण को भी काफी नुकसान पहुंचाया है। इस समय नोएडा प्राधिकरण का बिल्डर 30,000 करोड़ रुपए, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 12,000 करोड़ रुपए और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण का अनेक बिल्डरों पर 7,500 करोड़ रुपए बकाया हैं। काफी बार तीनों प्राधिकरणों ने बिल्डरों को नोटिस जारी किया, उसके बावजूद भी प्राधिकरण अपना बकाया पैसा वसूल नहीं कर पाया है। 

क्या है मुख्य कारण
दरअसल, माना जाता है कि गलत नीतियों के कारण प्राधिकरण का यह पैसा फसा है। क्योंकि बिल्डरों ने कुल 10 पैसा लेकर जमीन आवंटित की गई। उसके बाद बिल्डरों ने बकाया पैसा देने के बजाय पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगाना शुरू कर दिया। जिसके चलते प्राधिकरण नुकसान में आता चला गया। बिल्डरों ने प्राधिकरण को पैसा देने के बजाय सारा पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया। अब प्राधिकरण अपना पैसा वसूल नहीं पाया है।

सबसे ज्यादा आम्रपाली ग्रुप पर बकाया
इस समय ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर करीब 12 हजार करोड़ रुपए बकाया है। जिसमें सबसे ज्यादा बकाया आम्रपाली ग्रुप पर हैं। आम्रपाली ग्रुप की अधूरी परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर एनबीसीसी पूरा करा रहा है। ऐसे में प्राधिकरण का बकाया पैसा मिलेगा या नहीं इस पर संशय है। एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि प्राधिकरण ने बिल्डरों को 10 प्रतिशत पैसा लेकर जमीन आवंटित कर दी। यह 10 प्रतिशत पैसा भी किस्तों में लिया गया था। जब बिल्डरों की किस्त नहीं जमा हो पा रही थी तो प्राधिकरण द्वारा बिल्डरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इस सवाल का जवाब वर्तमान अफसर भी ढूंढ रहे हैं।

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