पुराने स्टॉक पर हॉलमार्क लेने की अंतिम तिथि 31 अगस्त, 2021 को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2022 किया जाए
ज्वेलरी पर हॉलमार्क ज्वेलरी बनाने के दौरान ही लेना अनिवार्य करना चाहिए
देश में लगभग 4 लाख जौहरी हैं, इनमें से लगभग 85% छोटे जौहरी हैं
देश में करीब 933 हॉलमार्क सेंटर हैं। करीब 65 हजार ज्वैलर्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है
Gautam Buddh Nagar: ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (All India Jewelers & Goldsmith Federation-AIJGF) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल (Minister of Textiles Piyush Goel) से बड़ी मांग की है। संगठन ने कहा है कि देश भर में ज्वेलर्स के पास रखे पुराने स्टॉक पर हॉलमार्क लेने की अंतिम तिथि 31 अगस्त, 2021 को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2022 किया जाए। इससे देश भर के ज्वेलर्स उनके पास रखे हुए पुराने स्टॉक पर सरकार के नियमानुसार हॉलमार्क लगवा सकें। देश में ज्वैलर्स की बड़ी संख्या, हॉलमार्किंग केंद्रों की सीमित संख्या और पुराने स्टॉक की प्रत्येक वस्तु पर हॉलमार्क लेने के मद्देनजर इस तिथि को बढ़ाना बेहद जरूरी हैं। इससे समय रहते देश के सभी ज्वैलरी व्यापारी अपने स्टॉक पर हॉलमार्क लगवा सकेंगे।
कम वक्त में नहीं लग सकेगा हॉलमार्क
एआईजेजीएफ, देश के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation Of All India Traders) से संबद्ध है। एआइजेजीएफ ने यह भी कहा है कि ज्वेलरी पर हॉलमार्क ज्वेलरी बनाने के दौरान ही लेना अनिवार्य करना चाहिए। इससे देश में कोई भी ज्वेलरी उत्पाद बिना हॉलमार्किंग के बिक नहीं सके। देश भर के ज्वैलर्स सरकार द्वारा अनिवार्य करने के बाद हॉलमार्क लगी ज्वैलरी को ही बेचने के लिए अधिक इच्छुक हैं। फिर भी इतने कम समय में हॉलमार्क प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए, एआईजेजीएफ ने इस तारीख को बढ़ाने का आग्रह किया है। देश में लगभग 4 लाख जौहरी हैं। जिनमें से लगभग 85% छोटे जौहरी हैं। जो गांवों से लेकर महानगरों तक के सोने के गहनों की आम आदमी की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। इसलिए इतनी बड़ी संख्या में छोटे ज्वेलर्स को केंद्र में रख कर सरकार द्वारा नीतियां बनाना ज़रूरी है। जिससे देश के आम उपभोक्ता को विश्वसनीय और गुणवत्तापरक ज्वेलरी मिल सके।
छोटे जौहरियों को दी राहत
एआईजेजीएफ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने बताया कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया कि देश भर के ज्वैलर्स केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता से खड़े हैं। उन्होंने पीयूष गोयल के छोटे ज्वेलर्स के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना की। जिन्होंने देश के दूरदराज इलाके के भी ज्वेलरी व्यापारियों की वास्तविक समस्याओं को समझा और पूरे भारत के आभूषण उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ उचित परामर्श करते हुए देश के छोटे जौहरियों को बहुत राहत दी। हालांकि, कुछ व्यावहारिक शुरुआती मुद्दे मौजूद हैं जिनका स्पष्टीकरण किया जाना बेहद आवश्यक है।
देश में करीब 933 हॉलमार्क सेंटर
सुशील कुमार जैन ने आगे कहा, देश में करीब 933 हॉलमार्क सेंटर हैं। करीब 65 हजार ज्वैलर्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। यदि सभी हॉलमार्क केंद्र पूरे जोरों पर काम करते हैं, तो पंजीकृत ज्वैलर्स की कुल संख्या केवल 150 पीस पर ही हॉलमार्क प्रति जवेलर हॉलमार्क लगवा पाएगी। जबकि देश भर में ज्वैलर्स के पास बड़ी संख्या में पुराना स्टॉक उपलब्ध है। पुराने स्टॉक के हर एक वास्तु को हॉलमार्क कराना आवश्यक है। सरकार के आदेश के अनुसार हालमार्क लेने के लिए वर्तमान बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है और इसलिए तारीख को एक वर्ष तक बढ़ाया जाना जरूरी है। उन्होंने श्री गोयल से हॉलमार्क केंद्रों की स्थापना के लिए अब तक किए गए 366 आवेदनों को स्वीकृत करने में तेजी लाने की भी अपील की। साथ ही कहा कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर देश में अधिक से अधिक हॉलमार्क केंद्र स्थापित करने की योजना बननी चाहिए।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी होनी चाहिए
एआईजेजीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने कहा कि बिना अग्नि जांच के हॉलमार्क वाले गहनों पर हालमार्क को प्राप्त करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी होनी चाहिए। सप्लाई चेन में पहले जौहरी के ही स्तर पर एचयूआईडी रिकॉर्ड रखना ज़रूरी हो। खुदरा व्यापारियों व हॉलमार्किंग की प्रक्रिया के बाद के क्रम में इसका कहीं भी रिकॉर्ड रखने की बाध्यता न हो। उन्होंने आगे कहा कि देश में बड़ी संख्या में ग्राहक की मांग पर जेवर में बदलाव की आवश्यकता होती है। इसलिए आभूषण विक्रेताओं को आभूषणों के बदलाव पर कोई सीमा निर्धारित किए बिना बदलाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि बिल में मूल वजन का एचयूआईडी के साथ उल्लेख अनिवार्य किया जा सकता है। वर्तमान मे गहनों में परिवर्तन की सीमा 2 ग्राम तक है, जो कि बहुत कम है।
पंजीकरण करने की एक मैनुअल प्रक्रिया थी
एआईजेजीएफ ने यह भी कहा कि पूरे भारत में बीआईएस कार्यालयों को सभी सक्रिय लाइसेंसों को संबंधित ई-मेल से जोड़ने के लिए काम करना होगा। इसमें अधिकारी व्यापारियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। पूर्व की व्यवस्था में बीआईएस पंजीकरण करने की एक मैनुअल प्रक्रिया थी और व्यापारियों के ईमेल लिंक न होने से वो पोर्टल का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। सुशील कुमार जैन ने कहा कि हॉलमार्किंग योजना की सफलता काफी हद तक हॉलमार्क केंद्रों के कामकाज पर निर्भर करती है। हॉलमार्किंग को बढ़ाने के लिए, बीआईएस निजी उद्यमियों द्वारा स्थापित हॉलमार्क केंद्रों को भी मान्यता दी जाए। इनका समय-समय पर बीआईएस मूल्यांकन करे। सोने और सोने के गहनों की शुद्धता या सुंदरता आईएस 1417 में लिखी है। उन्होंने आगे कहा कि सोने को जोड़ने के लिए कैडमियम के उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए। क्योकि पश्चिमी देशों के कास्टिंग के जेवर के विपरीत भारतीय शिल्प बगैर जोड़े हुए बनाना असम्भव है। हालांकि इस धातु को स्वर्ण में मिलाने पर प्रतिबंध होना चाहिए। केवल टांके हेतु प्रयोग अनुमन्य होने से जेवर की शुद्धता भी बनी रहेगी।
हॉलमार्किंग की प्रक्रिया बहुत धीमी
हॉलमार्किंग की तेज प्रक्रिया के लिए बीआईएस को एचयूआईडी को लागू करने के लिए अपने सिस्टम में सुधार करना चाहिए। क्योंकि सर्वर क्षमता ज्यादातर समय सिस्टम को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। यह हैंग हो जाता है और पुराने स्टॉक हॉलमार्किंग की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से की जा रही है। इसमें अधिक समय लग सकता है। एआईजीजेएफ ने यह भी मांग की कि सरकार सोने को 50 या 100 ग्राम के गुणक में आयात करे। साथ ही सभी बैंकों को बाध्य करे कि छोटे जेवेलर्स व सुनार को सीधे बैंक से शुद्ध सोना मिल सके। इससे छोटे सुनार के गहने भी आसानी से हॉलमार्क हो जाएंगे। एआइजेजीएफ ने यह भी आग्रह किया कि बुलियन व सिक्कों को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग में शामिल किया जाए। इनसे सरकार को सोने की अवैध खपत का ब्यौरा भी मिलेगा और अवैध सोने का भारत में आगमन भी कम होगा।