सीएजी ने गौतमबुद्ध नगर में सभी बिल्डर प्रोजेक्ट की जांच शुरू की, इन फाइलों पर रहेगा फोकस

बड़ी खबर : सीएजी ने गौतमबुद्ध नगर में सभी बिल्डर प्रोजेक्ट की जांच शुरू की, इन फाइलों पर रहेगा फोकस

 सीएजी ने गौतमबुद्ध नगर में सभी बिल्डर प्रोजेक्ट की जांच शुरू की, इन फाइलों पर रहेगा फोकस

Google Image | Supertech Tower

Noida News : नोएडा के सेक्टर 93 ए में स्थित सुपरटेक एमॉरल्ड ट्विन्स टावर मामले के बाद अब शहर की अन्य बड़ी ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज के नक्शे की भी जांच की जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन सभी के ऑडिट की जिम्मेदारी सीएजी को सौंपी गई है। यह एजेंसी सुपरटेक एमरॉल्ड मामले से संबंधित रिकॉर्ड खंगाल रही है। हालांकि राज्य सरकार की तरफ से गठित चार सदस्यीय टीम ने भी आज से अपनी जांच शुरू कर दी है। सुपरटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से बने ट्विंस टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमीन लेने के बाद टॉवर के निर्माण के लिए नक्शे में तीन बार बदलाव किया गया है। 

सभी बड़े प्रोजेक्ट की होगी जांच
साल 2009 से 2012 तक नियमों को दरकिनार कर नक्शों में संशोधन किया गया और उन्हें मंजूरी दी गई। मानकों के मुताबिक दो 40 मंजिला टावरों के बीच 16 मीटर की दूरी आवश्यक होती है। लेकिन सुपरटेक ने दो टॉवर के बीच सिर्फ 9 मीटर की दूरी रखी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गौतमबुद्ध नगर के सभी बड़े बिल्डर प्रोजेक्ट की जांच की जाएगी। सीएजी उनके नक्शों का रिकॉर्ड खंगालने में जुट गई है। नियोजन विभाग से सभी ऐसे मामलों की जानकारी मांगी गई है। खासतौर पर उन टावर और फ्लैट से जुड़े रिकॉर्ड पर सावधानी बरती जाएगी, जिन्हें बाद में बनाने की मंजूरी दी गई।

ऐसे किया गया भूमि आवंटन
सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट को 23 नवंबर 2004 को सेक्टर-93ए में पहले 48,263 वर्गमीटर जमीन आवंटन का आवंटन किया गया था। उस समय रिटायर्ड आईएएस देवदत्त नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन और सीईओ थे। पहली लीज डीड 16 मार्च 2005 को हुई। बिल्डर ने जमीन पर अगले ही दिन 17 मार्च 2005 को कब्जा हासिल किया था। 20 जून 2005 को बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी गई। 21 जून 006 को पूरक लीज डीड करवाई गई। जिसके तहत इस भूखंड में 6,556.51 वर्ग मीटर जमीन और जुड़ गई। भूखंड का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 54,819.51 वर्ग मीटर हो गया। बिल्डर ने 23 जून 2006 को पूरी जमीन पर कब्जा ले लिया था।

एफएआर बढ़ाया और नक्शा बदलवाया गया
5 दिसंबर 2006 को अथॉरिटी ने इस भूखंड के लिए फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) 1.5 से बढ़ाकर 2 कर दिया। बिल्डर ने पहली बार संशोधित नक्शा दाखिल किया। जिसे 29 दिसंबर 2006 को मंजूरी दे दी गई। पहले नक्शे के मुताबिक ग्राउंड फ्लोर के ऊपर नौ मंजिला 14 टॉवर बनाने की इजाजत मिली थी। एफएआर बढ़ने के कारण ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 11 मंजिला 16 टॉवर, एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और एक पांच मंजिला अतिरिक्त आवासीय टॉवर बनाने की इजाजत मिल गई। जब पहली बार मानचित्र में बदलाव किया गया तो संजीव शरण नोएडा के सीईओ थे। 10 अप्रैल 2008 को 8 टॉवरों को अथॉरिटी ने कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे दिया।
    
फिर नक्शा बदला गया

28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी की। जिसके जरिए एफएआर 2 से बढ़ाकर सीधे 2.75 कर दिया गया था। यह सुविधा नए आवंटियों को दी जानी थी लेकिन एक रियायत पुराने आवंटियों को दी गई। इन्हें एफएआर खरीदना होगा लेकिन वह शुरूआती एफएआर 1.5 का अधिकतम 33 फीसदी हो सकता है। मतलब, इस नए नियम के तहत सुपरटेक को 0.5 एफएआर और मिल सकता था। इस तरह यह बढ़कर 2 से 2.5 हो जाता। लेकिन 3 जुलाई 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने निर्णय लिया कि 28 फरवरी 2009 की अधिसूचना के तहत पुराने आवंटियों को भी नए आवंटियों जितना 2.75 एफएआर दिया जाए। लिहाजा, पुराने आवंटियों के लिए क्रय योग्य एफएआर को बढ़ाकर 2.75 कर दिया जाएगा। हालाँकि, इस संबंध में सरकार की अधिसूचना तब तक प्रतीक्षित थी। इस बढ़े एफएआर को आधार बनाकर दूसरी बार मानचित्रों में बदलाव को मंजूरी 26 नवंबर 2009 को दी गई। उस वक्त सरदार मोहिंदर सिंह नोएडा के सीईओ थे।

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