Noida News : एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (Animal Welfare Board of India) ने नोएडा के प्रतीक विस्टीरिया के निवासियों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई, पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह और सभी प्राधिकरण के सीईओ को नोटिस भेजा है। निवासियों ने अपनी शिकायत में कहा था कि सोसाइटी में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है। 20 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां कुत्तों ने लोगों को काट कर जख्मी कर दिया। बावजूद इसके जिला प्रशासन, पुलिस और प्राधिकरण कोई ठोस योजना बनाने में असफल रहे हैं। इसी का संज्ञान लेते हुए विभाग के सेक्रेटरी एसके दत्त ने यह नोटिस जारी किया है। उन्होंने इस पर तुरंत प्रभाव से अमल करने के लिए कहा है।
बोर्ड ने अपने नोटिस में कहा है कि घुमंतू और आवारा जानवरों से निवासियों की रक्षा के लिए स्थानीय एओए, नोएडा अथॉरिटी, डॉग फीडर और संबंधित थानों के एसएचओ मिलकर एक एनिमल वेलफेयर कमेटी गठित करें। ताकि इन जानवरों की रक्षा हो सके और लोगों को इनके खतरे से बचाया जा सके। साथ ही बोर्ड ने कहा है कि नियमों के तहत गठित यह कमेटी हर महीने एक बैठक कर हालात की समीक्षा करेगी। एडब्ल्यूबीआई के सभी नियमों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। बोर्ड ने डीएम और पुलिस कमिश्नर समेत सीईओ से कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले का भी पालन किया जाए, जिसमें अदालत ने कहा था कि एक एनिमल वेलफेयर कमेटी बनाई जाए जो निवासियों, सोसाइटी और जीव-जंतु प्रेमियों के बीच समन्य बनाए।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने 24 फरवरी 2021 के अपने फैसले में कहा है कि आरडब्लूए और डॉग फीडर्स एडब्ल्यूबीआई के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सभी सोसाइटीयों के अंदर स्ट्रीट डॉग्स के लिए फीडिंग पॉइंट का चयन करेंगे। लेकिन यह ध्यान रखा जाएगा कि इससे किसी नागरिक को नुकसान नहीं हो रहा है। साथ ही उस इलाके में शांति-व्यवस्था और निवासियों के बीच आपसी सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होगी। बोर्ड ने 3 मार्च 2021 को सभी प्रदेशों के मुख्य सचिव और डीजीपी को एक नोटिस के जरिए भी नियमों का पालन कराने के लिए कहा था।
20 से ज्यादा मामले सामने आए थे
दरअसल सेक्टर 77 में स्थित प्रतीक विस्टीरिया के निवासियों ने एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को अपनी शिकायत दी थी। इसमें निवासियों ने कहा था कि यहां बने 1800 फ्लैट्स में 7000 लोग रहते हैं। विगत सालों में यहां आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी है। पिछले 2 साल में ही 20 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसमें आवारा कुत्तों के शिकार बच्चे भी हुए हैं। अपनी शिकायत में प्रतीक विस्टीरिया एओए ने कहा था, कानून सम्मत नागरिक के नाते हम एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के नियमों से बंधे हैं। लेकिन अफसोस इस बात का है कि बिल्डर ने निवासियों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं। सोसाइटी में इनके लिए कोई फीडिंग पॉइंट नहीं बनाया गया है। इस वजह से लोग यहां-वहां या चलते-फिरते इन्हें खाना खिलाते हैं। इस दौरान निवासी यह भूल जाते हैं कि यहां से गुजरने वाले लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यहां तक की कार पार्किंग एरिया और बेसमेंट में भी आवारा कुत्तों को खिलाया जाता है। इससे निपटने के लिए 4 महीने के लिए एक एनिमल डॉक्टर को भी सोसाइटी में बुलाया था। लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ था।
मांगा सुझाव
साथ ही एओए ने एडब्ल्यूबीआई से 4 बिंदुओं पर सुझाव मांगा था। इसमें कहा गया था कि जब बिल्डर ने कोई फीडिंग पॉइंट सोसाइटी के अंदर नहीं बनाया है, तो क्या हम गेट के बाहर इन आवारा कुत्तों को खाना खिला सकते हैं? साथ ही अगर सोसाइटी के बाहर कोई इन कुत्तों को एडॉप्ट करना चाहे, तो क्या कानूनी ढंग से यह किया जा सकता है। शहर में कई डॉग शेल्टर्स और केयर होम हैं, जहां विशेषज्ञ इन कुत्तों की देखभाल करते हैं। क्या इन सभी को वहां भेजना ठीक रहेगा। साथ ही एओए ने बोर्ड से इनके अलावा किसी अन्य समाधान का सुझाव भी मांगा है।