Noida News : नियमों की अनदेखी करके अरबों रुपये की संपत्तियों की जनरल पावर ऑफ अटार्नी (जीपीए) करने वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा के छह सब रजिस्ट्रार को आरोप पत्र जारी किए गए हैं। जिले में हजारों जीपीए पूरी तरह नियमों की अनदेखी करके की गई हैं। इस मामले में प्रमुख सचिव गृह ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया है। इससे पहले गजियाबाद के चार सब रजिस्ट्रार को शासन निलंबित कर चुका है। शासन से मिली जानकारी के मुताबिक सब रजिस्ट्रार जवाब देंगे। उसके बाद इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी। नोएडा में निबंधन विभाग के एआईजी श्याम सिंह बिसेन ने चार्जशीट की पुष्टि की है।
दूसरे राज्यों की प्रॉपर्टी जीपीए कर दीं
कानूनों और नियमों की अनदेखी करके जनरल पावर ऑफ अटार्नी (जीपीए) करने वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा के छह सब रजिस्ट्रार को आरोप पत्र जारी किए गए हैं। बताया गया है कि 19 जीपीए पूरी तरह नियमों की अनदेखी करके बताई गई हैं। महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की अरबों रुपये की संपत्तियों का ट्रांसफर जीपीए के जरिए करवाया गया है। यह सारी जीपीए नोएडा सब रजिस्ट्रार दफ्तर में की गई हैं। अब कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
ब्लैकमनी से जुड़े होने की आशंका
कुछ वकीलों ने शासन से शिकायत की। बताया कि नोएडा और गाजियाबाद में बड़ी संख्या में फर्जी तरीके से जीपीए का खेल चल रहा है। इसमें बड़े पैमाने पर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ब्लैकमनी को व्हाइट किया जा रहा है। इतना ही नहीं इसमें हवाला का पैसा खपाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और राज्य सरकार के कानून तोड़कर 100 रुपये के स्टांप पर अरबों रुपये की प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जा रही हैं। जांच कराई तो नोएडा में वर्ष 2022 में करीब 11 हजार जीपीए होने की जानकारी सामने आई। इस पर शासन ने जीपीए पर रोक लगा दी। एसआईटी गठित कर दी। अब जांच में सामने आया है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के
सभी सब रजिस्ट्रार ने यह खेल खेला।
कई राज्यों की जीपीए नोएडा में हुईं
नोएडा में सब रजिस्ट्रार के तीन दफ्तर हैं। ग्रेटर नोएडा में दादरी, जेवर और सदर में सब रजिस्ट्रार के ऑफिस हैं। मिली जानकारी के मुताबिक जांच में 19 जीपीए ऐसी सामने आईं हैं, जिनमें नियमों की अनदेखी की गई है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की संपत्तियों की जीपीए नोएडा कार्यालय में कर दी गईं हैं। जबकि इन संपत्तियों से ताल्लुक रखने वाला कोई भी व्यक्ति यहां का निवासी नहीं है। नोएडा में रहने का एक फर्जी शपथ पत्र लेकर जीपीए कर दी गईं। जबकि कानूनी तौर पर आवासीय पते के रूप में यह मान्य नहीं है। जीपीए के जरिए संपत्तियों पर कब्जा तक दिलवा दिया गया है।
जिलाधिकारी के आदेश का असर नहीं
करीब दो साल पहले निबंधन विभाग के मंत्री नोएडा के निबंधन कार्यालय आए थे। यहां पर उनको पता चला कि चोरी-छिपे जीपीए की जा रही हैं। उन्होंने जिलाधकारी सुहास एलवाई को निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने सख्ती दिखाते हुए इसे बंद करवा दिया था। इसके कुछ दिन बाद फिर से यह खेल शुरू हो गया।
क्या होती है जीपीए
पावर ऑफ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है। जिसके जरिए एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी संपत्ति का प्रबंधन मैनेज करने के लिए नियुक्त कर सकता है। संपत्ति का मालिक अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करने के लिए जीपीए करता है, ताकि वह उसके स्थान पर जरूरी फैसले कर सके। यह दस्तावेज 100 रुपये के स्टांप पेपर पर लिखा जाता है। जिस पर 200 रुपये पंजीकरण शुल्क लेकर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार बड़ी से बड़ी संपत्ति की जीपीए रजिस्टर्ड कर सकते हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट विवादों की जड़ बता चुका है। यह सरकारों से स्टांप शुल्क चोरी करने का माध्यम है।
इन सब रजिस्ट्रार पर होगी कार्रवाई
यशवंत सिंह
कैलाश नाथ सिंह
विकास वर्मा
पूनम सिंह
पीके अस्थाना
आलोक कुमार