- दीपिका उर्फ पायल के पिता नंदलाल ने दी थी पहली शिकायत
- दीपिका 7 मई 2006 को नौकरी के लिए पंढेर के पास गई थी
- 24 अगस्त 2006 को हुआ था पहला मुकदमा दर्ज
- मोनिंदर सिंह पंढेर के घर मिला था मानव का मांस
- नंदलाल बयान देने के बाद पीछे हटा
Noida News : बहुचर्चित निठारी कांड में पहली एफआईआर कराकर मुकरने वाले नंदलाल ने शुक्रवार को गाजियाबाद कोर्ट का फैसला आने से पहले चतुराई खेली। उसने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि उस पर लगाए गए सभी चार्ज गलत हैं। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस केस में बहस और बाकी सुनवाई पहले ही पूरी हो चुकी है। अब यह प्रतीत हो रहा है कि फैसले में विलंब करने के उद्देश्य से यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। कोर्ट ने नंदलाल की अर्जी खारिज कर दी है और मुकदमे में अब 16 मई 2022 को फैसला आएगा।
दीपिका उर्फ पायल के पिता नंदलाल ने दी थी पहली शिकायत
नोएडा में 7 मई 2006 को दीपिका उर्फ पायल नौकरी के लिए मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, लेकिन वापस घर नहीं लौटी। दीपिका के पिता नंदलाल ने 8 मई 2006 को नोएडा के थाना सेक्टर-20 में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई। 24 अगस्त 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली पर कोर्ट के आदेश पर अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर पंढेर की कोठी और उसके बाहर नाले से बड़ी संख्या में मानव अवशेष बरामद किए थे। डीएनए मिलान होने के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली पर कुल 18 केस दर्ज हुए थे।
नंदलाल ने 22 मार्च 2007 को दिया था यह बयान
22 मार्च 2007 को सीबीआई ने दीपिका उर्फ पायल के अपहरण केस में पंढेर और कोली के खिलाफ चार्जशीट विशेष अदालत में पेश की थी। जुलाई 2007 में नंदलाल ने कोर्ट में बयान दिया कि मेरे सामने ही पंढेर ने पुलिस को वह आरी बरामद की थी, जिससे उसकी बेटी की हत्या की गई थी। नंदलाल ने यह भी बयान दिया कि उसके सामने पंढेर ने सीओ दिनेश यादव को नोटों की गड्डियां रिश्वत के रूप में दी थीं, ताकि केस से पर्दा न उठ पाए।
15 नवंबर 2007 को अपने बयान से पीछे हटा
15 नवंबर 2007 को नंदलाल अपने बयानों से पीछे हट गया और आरोप लगाया कि उसने ऐसा बयान अपने वकील खालिद खान के कहने पर दिया था। इस पर सीबीआई के तत्कालीन न्यायाधीश रमा जैन ने वादी बनकर 19 नवंबर 2007 को नंदइलाल के खिलाफ कोर्ट को धोखा देकर बयान से पीछे हटने के मामले में सेक्शन-193 के तहत कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें नंदलाल को जमानत करानी पड़ी थी।
14 साल से हो रही मामले की सुनवाई
14 साल से इस केस की सुनवाई गाजियाबाद की एसीजेएम-3 कोर्ट में चल रही थी। मुकदमा वादी की तरफ से वकील खालिद चौधरी ने 9 मई 2022 को बहस पूरी की है। बयान से मुकरने के मामले में कोर्ट ने फैसले की तारीख 13 मई लगाई थी। 13 मई शुक्रवार को फैसले पर सुनवाई से पहले ही नंदलाल की एक अर्जी पर दाखिल की थी, जिसमें नंदलाल ने अपने ऊपर लगाए गए चार्ज गलत बताया है।
16 मई 2022 को होगी अगली सुनवाई
वकील खालिद खान ने बताया कि कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया और मुकदमे पर फैसले की तारीख 16 मई लगाई है। यदि नंदलाल अर्जी न लगाता तो शायद आज ही कोर्ट का फैसला आ सकता था। अधिवक्ता ने बताया कि आरोप सिद्ध होने पर अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है।