Noida News : आजादी के आंदोलन से जन्मी कांग्रेस पार्टी गौतमबुद्ध नगर समेत समूचे उत्तर प्रदेश में अपनी पहचान की मोहताज हो गई है। पार्टी की इस दुर्दशा के जिम्मेदार और उनके कारणों को तलाशती ट्राईसिटी टुडे आज की अपनी तीसरी किश्त के साथ आपके सामने हाजिर है। आज हम गौतमबुद्ध नगर जिले में कांग्रेस को वेंटीलेटर पर पहुंचाने वाले कारणों की पड़ताल कर रहे हैं। वयोवृद्ध खांटी कांग्रेसी नेता और जिले के एकमात्र गांधी टोपी धारण करने वाले कुंवर नूर मोहम्मद साहब पार्टी की दुर्दशा से आहत हैं। आज हम उनकी नजरों से कांग्रेस के उस स्वर्णिम युग को देखेंगे। इसके साथ ही पार्टी को रसातल में जाने के दर्द को भी समझने का प्रयास करेंगे।
नेता नहीं शोपीस हैं आज के अध्यक्ष
कुंवर नूर मोहम्मद ने पार्टी की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कारणों को गिनाते हुए सबसे पहले मौजूदा महानगर अध्यक्ष राम कुमार तंवर, जिलाध्यक्ष दिनेश शर्मा और विधानसभा में पार्टी की प्रत्याशी रही पंखुड़ी पाठक समेत वर्तमान में जिले के तमाम कांग्रेसियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, साहब ये कांग्रेस के नेता हैं। बिना कुछ करे छपने वाले नेता हैं। आज इनकी इतनी भी हैसियत नहीं कि शहर में अपने स्तर से पार्टी के उत्थान के लिए कोई कार्यक्रम ही करा दें। अगर मैं गलत हूं तो बताएं। आज तक इस शहर में पार्टी को खड़ा करने के लिए किया ही क्या है? आज अध्यक्ष मात्र शो-पीस हैं। इनका काम सिर्फ बड़ी गाड़ियों में घूमना है। इनका फार्मूला है 'अपना काम बनता-भाड़ में जाए जनता।'
चुनाव में दिखा चेहरा
नूर मोहम्मद कहते हैं, क्या आपने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में नोएडा से प्रत्याशी रहीं पंखुड़ी पाठक को मतदान के बाद कहीं देखा है। नोएडा शहर में कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ करते हुए देखा है। वह बताते हैं, पंखुड़ी पाठक के गांधी परिवार से अच्छे ताल्लुकात हैं। बताया जाता है कि स्वयं प्रियंका गांधी ने उनको टिकट दिया था। चुनाव में जीत हार तो अलग बात है, अपने इन संपर्क का इस्तेमाल कम से कम जिले में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए ही कर लिया होता। अरे जिले के कांग्रेसियों के साथ प्रियंका जी का कोई कार्यक्रम ही लगावा देतीं। इससे कांग्रेसियों में नई ऊर्जा आती। लेकिन, ये भी आईं, चुनाव लड़ीं, हारीं और फिर गायब।
पार्टी को दिया अपना सर्वस्व
क्षेत्र में पार्टी को खड़ा करने में हमने अपना खून-पसीना बहाया है। गाजियाबाद, हापुड़, लोनी, नोएडा और मेरठ तक हमने पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए कार्यशालाएं लगवाईं। बड़े नेताओं के प्रोग्राम लगवाए, प्रशिक्षण कैंप लगवाए। पिछले कई सालों को छोड़ दें, 2023 को ही ले लीजिए, शहर में कितने प्रशिक्षण कैंप लगे, कितनी कार्यशालाएं हुईं? जवाब है एक भी नहीं।
वरिष्ठ नेता भी जिम्मेदार
कुवंर नूर मोहम्मद कहते हैं, पार्टी की इस हालत के लिए सिर्फ जिले के नेता ही नहीं, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी कम जिम्मेदार नहीं है। उनका पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद की कमी और बड़े नेताओं का अभिमान भी एक बड़ी वजह है। आज शहर के कांग्रेसी अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने और वाट्सअप पर भेजने तक ही सीमित हैं। कोई बड़ा नेता अपने नीचे की लाइन से मिलने को ही तैयार नहीं है। नूर मोहम्मद अपने कार्यकाल के दौरान के एक एरोगेंसी का एक किस्सा बताते हैं। वह कहते हैं कि सेवादल की एक किताब निकलती थी दल जगत। इसे उस समय पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद निकालते थे। साल 2018 में ही संसद के उच्च सदन राज्यसभा से उन नेता जी की विदाई हुई है। उनके पिता जी का देहांत हुआ। हम उनके कार्यलय में शोक व्यक्त करने पहुंचे। तब जैसे ही मैंने उनके ऑफिस का दरवाज खोला, हालचाल तो पूछना तो दूर, सीधे बोले जाओ बाद में आना। यह बात हमें बहुत बुरी लगी। मैंने उनसे कहा, साहब हम यहां आपसे काम के लिए नहीं आए थे, आपके पिता जी का देहांत हुआ था, यह खबर हम तक भी पहुंची। इसलिए हम यहां शोक व्यक्त करने आए थे।
कौन हैं कुंवर नूर मोहम्मद
नूर मोहम्मद साहब ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 80 के दशक में की। 1984 में उन्हें शहर कमेटी में पहली बार कार्यभार दिया गया। संगठन में 1988 में नोएडा शहर अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा, कर्तव्य और सर्मपण को देखते हुए सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष बने और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई।