Noida News : प्राइवेट स्कूल मोटी फीस के साथ ट्रांसपोर्ट चार्ज के नाम पर भारी भरकम पैसा वसूल कर रहे हैं। इसके बावजूद अनफिट वाहनों से बच्चे आवागमन करने को मजबूर हैं। स्कूलों ने ट्रांसपोर्टरों की अनफिट बसें सस्ती दरों पर हायर की हैं। यह खुलासा नोएडा के एआरटीओ ने किया है। स्कूल खुलने के बाद एआरटीओ ने वाहनों की जांच-पड़ताल की। जिसमें पता चला है कि 250 से ज्यादा स्कूल ट्रांसपोर्ट अनफिट हैं। एआरटीओ की ओर से स्कूल और ट्रांसपोर्टरों को नोटिस भेजा गया है।
फीस का 20 फ़ीसदी हिस्सा ट्रांसपोर्ट चार्ज
महंगे ट्रांसपोर्ट चार्ज की मार झेल रहे अभिभावकों के लिए चिंता बढ़ाने वाली खबर है। स्कूलों की ओर से उपलब्ध करवाए गए वाहनों की हालत खस्ता है। स्कूलों ने अनफिट वाहन किराए पर लिए हैं। स्कूल बसें बीच रास्ते खराब हो जाती हैं। स्टार्ट नहीं हो पा रही हैं। ऐसी शिकायतें अभिभावकों को मिल रही हैं। नोएडा के एआरटीओ ने वाहनों की जांच की। जिसमें ढाई सौ से ज्यादा स्कूल ट्रांसपोर्ट अनफिट मिले हैं। एआरटीओ की ओर से स्कूल मैनेजमेंट और ट्रांसपोर्टरों को नोटिस भेजे गए हैं। इनमें शहर के कई नामी स्कूल भी शामिल हैं। बड़ी बात यह है कि अभिभावकों से वसूली जा रही फीस का 20% से ज्यादा हिस्सा ट्रांसपोर्ट चार्ज के रूप में शामिल है।
एआरटीओ ने वाहनों की जांच का अभियान शुरू किया
आपको बता दें कि नए सत्र में शहर के स्कूलों को खुले एक पखवाड़ा बीत चुका है। अभी तक ट्रांसपोर्ट को लेकर अभिभावकों की चिंताएं दूर नहीं हुई हैं। अभिभावकों ने बताया कि 2 साल पहले जब स्कूल बंद हुए थे तो जिस रूट पर ट्रांसपोर्ट चार्ज 1,500 रुपये था, वहां अब 2,000 रुपये वसूल किए जा रहे हैं। इसके बावजूद अनफिट वाहन बच्चों के आवागमन में इस्तेमाल हो रहे हैं। पिछले कई दिनों से नोएडा के आरटीओ ने स्कूल ट्रांसपोर्ट की जांच करने के लिए अभियान छेड़ रखा है।
एआरटीओ एके पांडे ने कहा, "अब तक करीब 250 से ज्यादा वाहन अनफिट मिल चुके हैं। इन वाहन मालिकों को नोटिस भेजा गया है। जो स्कूल इनका इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके मैनेजमेंट को भी नोटिस भेजा गया है। गुरुवार को 25 गाड़ियों के चालान किए गए हैं। 8 वाहन सीज किए गए हैं। इन वाहनों में ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं हो रहा था। कई अनफिट पाए गए हैं। इनमें से कई वाहनों के मालिकों ने रोड टैक्स जमा नहीं किया है। अभिभावकों की ओर से अनफिट वाहनों की शिकायतें मिल रही हैं।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की निवासी रश्मि पांडेय ने कहा, "मेरी बेटी खेतान पब्लिक स्कूल में पढ़ती है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो स्कूल की बस उनकी बेटी को लेने आती है, वह पीले कलर की नहीं बल्कि सफेद कलर की है। स्कूल प्रशासन ने प्राइवेट ट्रांसपोर्ट को ठेका दे रखा है। स्कूल हमसे एसी बस का चार्ज वसूलता है, लेकिन बसों में एसी नहीं चलता। यहां तक की ड्राइवर गलत तरीके से बस चलाते हैं। काफी बार शिकायत दी गई है, लेकिन इस पर कोई भी एक्शन नहीं लेता है।"