खेलकूद वाली जगह पर बिल्डरों ने खड़ी की इमारतें, 8643 करोड़ का घोटाला 

नोएडा में 15 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री पर संकट : खेलकूद वाली जगह पर बिल्डरों ने खड़ी की इमारतें, 8643 करोड़ का घोटाला 

खेलकूद वाली जगह पर बिल्डरों ने खड़ी की इमारतें, 8643 करोड़ का घोटाला 

Tricity Today | Symbolic

Noida News : नोएडा के सेक्टर-150 में स्पोर्ट्स सिटी (Sports City) से जुड़े बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के कारण करीब 15 हजार फ्लैट खरीदार (Home Buyer) बुरी तरह फंस गए हैं। इन खरीदारों की समस्याएं कम होने की जगह दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। खरीदार सालों से फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसके बावजूद रजिस्ट्री के समाधान की गुंजाइश असंभव लग रही है। आलम यह है कि लोक लेखा समिति (पीएसी) के आदेश के बाद भी शासन स्तर पर हाईलेवल कमेटी नहीं बन पाई है, जो इस घोटाले की जड़ का पता लगाने के लिए गठित होनी थी। ऐसे में दोषियों की पहचान होनी अभी भी बाकी है।

सीएजी ने निकाला 8643 करोड़ रुपए का घोटाला 
सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में स्पोर्टस सिटी परियोजना 12-13 साल पहले लाई गई थी। कुल आवंटित भूखंड के 70 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं, 28 प्रतिशत में ग्रुप हाउसिंग और बचे 2 प्रतिशत हिस्से में व्यावसायिक और संस्थागत संपत्ति से संबंधित सुविधाएं विकसित की जानी थीं। इसके लिए सस्ते दामों पर बिल्डरों को जमीन दी गई। बिल्डरों ने मुनाफा कमाने के लिए आवासीय और व्यावसायिक सुविधाएं तो बना दीं, लेकिन खेल सुविधाएं विकसित नहीं कीं। इसके अलावा अन्य गड़बड़ियों को लेकर सीएजी ने प्राधिकरण के दूसरे कामकाज की तरह स्पोर्टस सिटी की भी जांच की थी। इस परियोजना को लेकर 24 आपत्तियां लगाते हुए 8,643 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात बताई थी। बता दें, इस प्रोजेक्ट को तकरीबन 10 से 12 साल पहले शुरू किया गया था। कंपनियों और बिल्डरों के ढुलमुल रवैये के कारण ये प्रोजेक्ट आज तक पूरा नहीं हो सका।

अवैध निर्माण की वजह से रजिस्ट्री संभव नहीं
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के कुछ हिस्से का गलत नक्शा पास किया गया है। इस वजह से परियोजना की मूल भावना आहत हुई है। जब अलग-अलग बिल्डरों को टुकड़ों में जमीन दी गई तो उन्होंने इमारत बनाने के लिए नक्शा पास कराया। यहां भी उन्होंने खेल सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा। ऐसे में परियोजना का काम नियम के तहत नहीं हो पाया। प्राधिकरण की ओर से इस मामले में जब तक ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) नहीं दिया जाता है, तब तक फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी। क्योंकि नियमों को ताक पर रखकर किए गए अवैध निर्माण की वजह से रजिस्ट्री संभव नहीं है। वहीं बिल्डरों को काफी पैसे भी चुकाने हैं। ऐसे में शासन की ओर से कोई फैसला होता है, तभी रजिस्ट्री संभव है।

15 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री अटकी 

समिति ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा था कि स्पोर्टस सिटी परियोजना में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की अब तक पहचान क्यों नहीं हुई। इस पर नोएडा प्राधिकरण के अफसर संतोषजनक जबाव नहीं दे पाए। इसके बाद समिति ने औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि इस मामले की जांच शासन स्तर पर हाईलेवल कमेटी गठित कर कराई जाए। एक महीने बाद फिर से इस मामले में सुनवाई की जाएगी। गौरतलब है कि स्पोर्टस सिटी के लिए ओसी-सीसी जारी करने और नक्शा पास करने पर प्राधिकरण ने रोक लगाई हुई है। जनवरी-2021 में हुई बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कर यह रोक लगाई गई थी। सीसी पर रोक होने से करीब 15 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री भी अटकी हुई है।
 
तीन बिल्डरों को दी गई थी जमीन

स्पोर्ट्स सिटी के लिए नोएडा प्राधिकरण ने तीन बिल्डरों को पांच सेक्टरों में चार भूखंड आवंटित किए थे। थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स को सेक्टर-78, 79, 101 में, लॉजिक्स इंफ्रा प्राइवेट डेवलपर्स और थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स को 150 में और एटीएस होम्स प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर-152 में जमीन दी गई थी। अब इन चार भूखंड के 79 सब डिवीजन हो चुके हैं। इन बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब 8,200 करोड़ रुपये बकाया हो गया है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.