बैठक कर चेयरमैन ने आगे भेजी फाइल, खलीफा बोले- नहीं हटाएंगे तंबू

नोएडा अथॉरिटी पर किसानों का धरना : बैठक कर चेयरमैन ने आगे भेजी फाइल, खलीफा बोले- नहीं हटाएंगे तंबू

बैठक कर चेयरमैन ने आगे भेजी फाइल, खलीफा बोले- नहीं हटाएंगे तंबू

Tricity Today | बैठक

Noida News : नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का धरना जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर अथॉरिटी के गेट के बाहर जमे हुए हैं। चेयरमैन और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर (आईआईडीसी) मनोज कुमार सिंह और किसान नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में प्राधिकरण में बैठक हुई है। इसमें किसानों ने सालों से चली आ रही समस्याओं और अपनी मांगों को अध्यक्ष के सामने रखा। चेयरमैन ने किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उसके समाधान का भरोसा दिया।

बैठक में हुई चर्चा
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि इसमें 10 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा, पांच फीसदी भूखंड पर व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति, आबादी पर अतिक्रमण का दर्जा खत्म करने जैसी मांगों पर चर्चा हुई। वार्ता में साल-1997 के बाद 10 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। इसके बाद फाइल आगे की कार्रवाई के लिए विधि विभाग और वित्त विभाग भेज दी गई है। उम्मीद है कि जल्द किसानों की समस्याओं का हाल हो जाएगा। गौरतलब है कि आईआईडीसी के साथ बैठक के लिए किसान अड़े हुए थे। प्राधिकरण की तालाबंदी के ऐलान के बाद पुलिस अधिकारियों ने प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह से बैठक कराने का आश्वासन दिया था। इस सिलसिले में रविवार को बैठक बुलाई गई थी।

प्राधिकरण पर धरना देने को मजबूर : सुखबीर खलीफा
किसान नेता सुखबीर खलीफा ने कहा, "किसानों को 10 प्रतिशत आबादी के भूखंड, 64.7 प्रतिशत मुआवजा देने सहित कई मांगों को लगातार संघर्ष किया जा रहा है। जब तक हमारा हक दिया नहीं जाएगा, तब तक लड़ाई जारी रहेगी। हमें केवल झूठे वादे नहीं चाहिए। अब हमें ठोस कार्रवाई चाहिए। तत्काल प्रभाव से हमारा मुआवजा चाहिए। हमारे प्लॉट चाहिए, हमे सुविधा चाहिए और हम इसको लेकर अब लड़ाई लड़ने जा रहे हैं।" उन्होंने बताया कि भूमि अधिग्रहण के 50 साल बाद भी किसानों को उनका हक नहीं दिया गया है। किसान अपनी मांगों को लेकर काफी सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके बावजूद इंसाफ की रोशनी कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। जिसकी वजह से किसान दोबारा से प्राधिकरण पर धरना देने को मजबूर हैं। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होगी हम तंबू नहीं हटाएंगे।

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