Noida News : नौ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिर, अमरोल्ड कोर्ट सोसाइटी में रहने वाले खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्हें सूर्यदेव के दर्शन भी हो रहे हैं। आज ही के दिन साल 2022 में भ्रष्टाचार का प्रतीक बने सुपरटेक ट्विन टॉवर (Supertech Twin Towers) को जमींदोज कर दिया गया था। जीत के जश्न में स्थानीय निवासियों ने सोमवार को ट्विन टावर की जमीन पर ‘विजयपथ’ बनाया। निवासियों ने सन्देश दिया कि सामने वाला कितना भी ताकतवर हो, आप अपनी लड़ाई जारी रखें, सफलता एक दिन जरूर मिलेगी। वहीं, भ्रष्टाचार का टॉवर कैसे खड़ा हुआ और उसके लिए अथॉरिटी के कौन अफसर जिम्मेदार हैं, यह जांच ठंडे बस्ती में चली गई है। इससे सोसाइटी के लोगों में नाराजगी है।
अच्छा संदेश समाज में गया : उदयभान सिंह तेवतिया
अमरोल्ड कोर्ट के एओए अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया ने बताया कि ट्विन टावरों के ध्वस्त होने से एक अच्छा संदेश समाज और बिल्डरों के बीच गया है। अभी जो इन टॉवरों को स्थापित कराने में अधिकारी लिप्त थे, उन पर जब प्रभावी कार्रवाई होगी तो भी बड़ा संदेश जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के OSD सौम्य श्रीवास्तव इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं। एक साल बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है।
इन पर उठ रहे सवाल
अब हर किसी के जेहन में एक सवाल चल रहा है। ट्विन टॉवर तो गिर गए, इन्हें खड़ा करने वालों पर गाज कब गिरेगी? अगर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर और कानूनी कार्रवाई का अध्ययन करें तो ट्विन टावर बनाने के लिए दो लोग जिम्मेदार हैं। अब से पहले उन पर गाज गिर जानी चाहिए थी। ये दोनों सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आरके अरोड़ा और नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन-सीईओ रहे सरदार मोहिंदर सिंह हैं। इस मामले में कुल 26 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। बड़ी बात यह है कि अभी तक किसी पर कार्रवाई तो दूर जांच भी नहीं पहुंची है। इस मामले में कोई भी वरिष्ठ अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।
मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में हुआ खेल
सुपरटेक बिल्डर ने ट्विन टॉवर्स के निर्माण की प्रक्रिया 2006 में शुरू की थी। पहली बार इसके नक्शे पास करवाए गए थे। तब नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन मोहिंदर सिंह थे। उसके बाद साल 2009 में निर्माण बढ़ाकर नए नक्शे पास किए गए। उस वक्त मोहिंदर सिंह प्राधिकरण के सीईओ और चेयरमैन थे। कुल मिलाकर मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में ट्विन टावर को जरूरी मंजूरी दी गई थी। इतना ही नहीं, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सुपरटेक ट्विन टॉवर जैसे कई और अवैध निर्माण इस कंपनी की परियोजनाओं में खड़े हैं। उनके खिलाफ केवल जांच चल रही है। जिस पर प्राधिकरण और सरकार के बीच बस फाइलें इधर से उधर दौड़ती हैं। कार्रवाई के नाम पर सब कुछ सिफर है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से आदेश आने के बावजूद सुपरटेक ट्विन टावर जैसी अवैध इमारत खड़ी करने वाले आरोपियों पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। दूसरी ओर, इन योजनाओं में घर खरीदने वाली पब्लिक दर-दर की ठोकरें खा रही है। यह सारी मंजूरियां मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में मिली हैं।
अफसर अब भी चुप्पी साधकर बैठे
कुल मिलाकर साफ है कि भले ही उत्तर प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा के रसूख में कोई कमी नहीं आई। ट्विन टॉवर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक्शन हो रहा है। अफसर अब भी चुप्पी साधकर बैठे हैं। अवैध निर्माण करके सैकड़ों घर खरीदारों से धोखाधड़ी और जालसाजी करने वाले आरके अरोड़ा के खिलाफ बस जांच चल रही है। दूसरी तरफ, शहर को गर्त में पहुंचने वाले रिटायर आईएएस मोहिंदर सिंह के खिलाफ तो जांच भी शुरू नहीं हो रही है। आम आदमी का सवाल यही है, ट्विन टॉवर तो गिर गए, लेकिन आरके अरोड़ा और मोहिंदर सिंह पर गाज कब गिरेगी?
नोएडा अथॉरिटी के इन अफसरों पर दर्ज है एफआईआर
मोहिंदर सिंह, सीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
एसके द्विवेदी, सीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
आरपी अरोड़ा, एसीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
यशपाल सिंह, विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
मैराजुद्दीन, प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
ऋतुराज व्यास, सहयुक्त नगर नियोजक (वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)