नोएडा के पावर कारपोरेशन में तैनात रहे एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और मुख्य रोकड़िया को उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को बर्खास्त कर दिया है। विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता संजय शर्मा और मुख्य रोकड़िया महेश कुमार को पावर कारपोरेशन ने 54 लाख रुपये रुपये रिश्वत लेने के प्रकरण में बर्खास्त किया है। तीसरे आरोपी और लेखाधिकारी पर अभी आरोप सत्यापित नहीं हो पाए हैं। विभाग में हुई इस वक्त कार्यवाही से खलबली मची हुई है।
पावर कारपोरेशन से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों रिश्वतखोर अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ जांच समिति ने 16 पेज की रिपोर्ट बनाई थी। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इन दोनों की सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश की है। जिसके बाद उनकी सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि यह रकम एक बड़ी कंपनी की ओर से बतौर रिश्वत दी गई थी। अधिशासी अभियंता संजय शर्मा घोटाले के बाद मेरठ में एमडी के कार्यालय से अटैच था। रोकड़िया महेश कुमार दादरी में अधिशासी अभियंता कार्यालय में तैनात था।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि नोएडा जोन में अधिशासी अभियंता संजय शर्मा 12 जून 2019 से 5 मार्च 2020 तक रहे थे। 5 अक्तूबर 2019 को निगम के राजस्व खाते में 54 लाख रुपये बिना किसी रसीद के जमा करा दिए गए थे। जबकि, निगम की ओर से स्पष्ट संहिता है कि एक बार में अधिकतम 4 लाख रुपये ही जमा कराए जा सकते हैं।
पावर कारपोरेशन के नियमों को दरकिनार करके निगम के अधिकारियों ने यह रकम जमा कर दी थी। जब यह मामला प्रकाश में आया तो संजय शर्मा और महेश कुमार ने अफसरों को जवाब दिया कि उपभोक्ता से एडवांस में बिल लिया गया है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने एक जांच कमेटी बनाई थी। उसकी जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज को सौंप दी गई थी। उन्होंने पूरी रिपोर्ट और गवाह के अलावा शपथकर्ताओं के कथन पढ़े और सुने तो पूरा मामला संदिग्ध पाते हुए दोनों को दोषसिद्ध साबित पाया है।
इस आधार पर एम देवराज ने अधिशासी अभियंता संजय शर्मा और मुख्य रोकडिया महेश कुमार को बर्खास्त कर दिया है। नोएडा जून के मुख्य अभियंता बीएन सिंह ने कहा कि मुख्य रोकड़िया महेश कुमार दादरी अधिशासी कार्यालय में तैनात था और उसकी बर्खास्तगी का आर्डर मिला था। जिसे सूचित कर दिया गया है। संजय शर्मा के बर्खास्त होने की सूचना तो मिली है लेकिन कोई लिखित सूचना यहां नहीं आई है। जबकि तीसरे आरोपी लेखाधिकारी को लेकर कोई आदेश अभी पारित नहीं हुआ है।
नोएडा की कोतवाली सेक्टर-20 में एफआईआर दर्ज है
यह 54 लाख रुपये राजस्व खाते में जमा कराने का मामला जब अधिकारियों के संज्ञान में आया और उनकी गर्दन फंसने लगी तो आनन-फानन में सेक्टर-20 कोतवाली में संजय शर्मा समेत बाबुओं के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अधीक्षण अभियंता बीएल मौर्य ने थाने में दी गई तहरीर में बिल वसूली के रुपयों से अलग 54 लाख रुपये की राशि को राजस्व खाते में जमा कराने का आरोप लगाते हुए धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।