फूटा पीड़ित परिवार का गुस्सा, खूनी कोठी पर की पत्थर बाजी

र्चाओं में नोएडा निठारी कांड : फूटा पीड़ित परिवार का गुस्सा, खूनी कोठी पर की पत्थर बाजी

फूटा पीड़ित परिवार का गुस्सा, खूनी कोठी पर की पत्थर बाजी

Tricity Today | पत्थर बाजी

Noida News : नोएडा में निठारी कांड एक बार फिर चर्चाओं में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है। साथ ही नोएडा की जिस D-5 कोठी में ये कांड हुआ था, उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। दोनों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को बड़ा झटका लगा है। सजा पर रोक लगाए जाने से मरने वाली बच्चियों के पीड़ित परिवार काफी गुस्से में हैं। पीड़ित न्याय के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। इस बीच, पीड़ित हर्ष के पिता रामकिशन ने D-5 कोठी पत्थर बरसाए। 

जांच सही से नहीं हुई : रामकिशन
कोठी नंबर डी-5 का नाम सुनते ही आज भी पीड़ित परिवारों का खून खौल उठता है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद कई पीड़ित परिवार आहत हैं। उन्होंने अलग-अलग तरीके से अपना गुस्सा जाहिर किया। पीड़ित के परिजनों जैसे ही जानकारी हुई, वो D-5 कोठी पहुंच गए। रामकिशन निठारी में बने पानी की टंकी के पास रहते हैं। 2006 में रामकिशन का साढ़े तीन साल का बेटा गायब हो गया था। जब निठारी कांड का खुलासा हुआ और शव को बरामद किया गया, तब पुलिस को साढ़े तीन साल के हर्ष के कपड़े और चप्पल पुलिस ने बरामद किए थे।‌ हर्ष के पिता रामकिशन को जैसे ही कोर्ट के फैसले की जानकारी मिली, वो भी D-5 कोठी पहुंचे। बेबस और नाराज पिता आंखों में आंसू लिए कोठी पर एकाएक पत्थर बरसाने लगे। गुस्सा शांत होने पर उन्होंने कहा कि जांच सही से नहीं हुई।

एक नजर में निठारी कांड
7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे। वर्तमान में निठारी कांड मामले की शिकार महिलाओं, बच्चों और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव वापस जा चुके हैं। केवल चार लोग ही अब नोएडा में रह रहे हैं।

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