एक महीने में 222 सक्सेसफुल डिलीवरी कर परिवार को दीं खुशियां

नोएडा वालों के लिए देवदूत बनीं महिला डॉक्टर : एक महीने में 222 सक्सेसफुल डिलीवरी कर परिवार को दीं खुशियां

एक महीने में 222 सक्सेसफुल डिलीवरी कर परिवार को दीं खुशियां

Tricity Today | मरीजों को देखती डॉ मीरा पाठक

Noida News : हाईटेक शहर नोएडा में नेशनल और इंटरनेशनल कारोबारी निवेश के लिए आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों के मुकाबले नोएडा को सबसे बेहतर माना जाता है। लेकिन, यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था स्तरीय नहीं है। यह जानकार आपको हैरानी होगी कि गौतमबुद्ध नगर जिले में तैनात एक सरकारी डॉक्टर पर 29 हजार से अधिक लोगों के इलाज की जिम्मेदारी है। बावजूद इसके इनमें से कुछ ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्हें मरीज अपना भगवान मानते हैं। उन्हीं में एक हैं डॉ. मीरा पाठक। ट्राईसिटी टुडे ने गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मीरा पाठक से बात की और जानना चाहा कि सीमित संसाधनों और अधिक मरीजों की संख्या के दबाव के बीच उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।  

एक माह में 222 सक्सेसफुल डिलीवरी का रिकार्ड
गौतमबुद्ध नगर जिले की भी जनसंख्या स्वाभाविक रूप से लगातार बढ़ती जा रही है। लगभग 25 लाख की आबादी वाले गौतमबद्ध नगर जिले में सिर्फ पांच सरकारी गाइनेकोलॉजिस्ट हैं। इनमें एक भंगेल सीएचसी में तैनात एक गाइनेकोलॉजिस्ट हैं। जिनका नाम डॉक्टर मीरा पाठक है। डॉक्टर मीरा पाठक सबसे ज्यादा सिजेरियन करने वाली स्टेट लेवल अवॉर्ड विनर हैं। उन्होंने पिछले महीने 222 डिलीवरी सफलतापूर्वक की है। प्रतिदिन वह 100 से ज्यादा महिलाओं को ट्रीट करती हैं। भंगेल के साथ-साथ वह जिला अस्पताल में भी मरीजों को देखने के लिए जाती हैं। वह नोएडा में करीब कई साल से कार्यरत हैं। इस दौरान वह अनगिनत पेशेंट्स को ट्रीट कर चुकी हैं। 

मरीजों को चैन से मिलती है आत्मा को तसल्ली
डॉक्टर मीरा पाठक चिकित्सक के साथ साथ एक मां भी हैं। परिवारिक दायित्वों के साथ अपने पेशेगत काम को निभाना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन, उन्हें दूसरों की खुशी में अपनी संतुष्टि दिखाई देती है। वह कहती हैं कि उनका पेशा मरीजों की पीड़ा को दूर करना है। इसलिए जब किसी मरीज को चैन मिलता है तो उनकी आत्मा को भी तसल्ली मिलती है। उनकी इसी भावना को देखकर शायद उनके पास आने वाले मरीज उन्हें अपना भगवान मानते हैं।

भावुक हृदय हैं डॉ. मीरा पाठक
डॉ. मीरा पाठक हर दिन नियम से सीएचसी में हाजिर हो जाती हैं। उनके पहुंचने से पहले ही वहां मरीज जमा हो जाते हैं। सीएचसी पहुंचने के बाद वह अपनी सांसें संतुलित करने से पहले ही मरीजों की सेवा में जुट जाती हैं। डॉ. पाठक बताती हैं कि वह हर दिन 100 से अधिक गर्भवती मरीजों की जांच और उपचार करती हैं। अगस्त के महीने में उन्होंने रिकार्ड 222 डिलीवरी कराई थी। अच्छी बात ये है कि सभी जच्चा बच्चा स्वस्थ हैं। वह कहती हैं कि उन्हें तब ज्यादा खुशी मिलती है, जब मरीज स्वस्थ होकर उन्हें दुआएं देते हैं।

नए अस्पताल भवन में अब तक सुविधाएं नहीं 
बड़ी आबादी वाले उपनगरी भंगेल में मरीजों की संख्या को देखते हुए महिला अस्पताल बनाने की योजना को अमल में लाने का फैसला किया गया था। कोविड महामारी के दौरान यहां महिला अस्पताल की बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। लेकिन, अब तक मैनपॉवर अस्पताल को नहीं मिल पाया है। महामारी के दौरान इसे कोविड अस्पताल में कन्वर्ट कर दिया गया था। लेकिन, अब यहां महिला मरीजों का पहले की तरह ही इलाज होता है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी भी महीने में कई चक्कर लगा देते हैं। लेकिन, हालात कमोवेश पहले जैसे ही हैं। उसमें अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। वहां आने वाले मरीजों को भी इस बात का इंतजार है कि उन्हें यहां और बेहतर सुविधाएं मिल सके।

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