ओखला पक्षी विहार में आने लगे विदेशी मेहमान, स्वागत की तैयारी में जुटा प्रबंधन

अच्छी खबर : ओखला पक्षी विहार में आने लगे विदेशी मेहमान, स्वागत की तैयारी में जुटा प्रबंधन

ओखला पक्षी विहार में आने लगे विदेशी मेहमान, स्वागत की तैयारी में जुटा प्रबंधन

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Noida News: सर्दियों को देखते हुए ओखला पक्षी विहार को माइग्रेंट बर्ड्स के लिए तैयार किया जा रहा है। लेकिन यहां कुछ प्रजाति के पक्षी अनुमानित वक्त से पहले ही प्रवास के लिए आने लगे हैं। इसको देखते हुए प्रबंधन ने पक्षी विहार में जारी कार्यों को तेज कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि पल्लास गुल, ब्लैक-बेल्ड टर्न, व्हिस्किर्ड टर्न और मार्श हैरियर जैसे छोटे पक्षी और बगुले पहले आने लगे हैं। मानसून लगभग समाप्त होने वाला है। इसलिए वन विभाग ने अभयारण्य को इन पक्षियों के लिए तैयार करने के मिशन को रफ्तार दी है। 

नदी की सफाई और जलकुंभी को हटाना सबसे जरूरी है, जो कई प्रजातियों के लिए असुरक्षित है। इस साल अच्छे मानसून के कारण जलकुंभी नदी के एक बड़े हिस्से में फैल गई है। पिछले कुछ वर्षों से अधिकारी कई पक्षी प्रजातियों के आराम और बैठने के लिए टीले, और चबूतरे बनाने के लिए साफ जलकुंभी का उपयोग कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि अधिकांश प्रवासी पक्षी जलाशय के बीच में इन टीलों और प्लेटफार्मों पर रहना पसंद करते हैं। 

संपूर्ण आवास विकास प्रक्रिया में दो महीने तक का समय लगता है। बेहतर मानसून और एनसीआर क्षेत्र में मीठे पानी के तालाबों के कायाकल्प से इन पक्षियों को राहत मिली है। विभागीय वन अधिकारी पीके श्रीवास्तव ने बताया, सफाई का काम लगभग पूरा हो गया है। अब हम पेंटिंग और मरम्मत का काम करवा रहे हैं। केंद्रीय प्रहरीदुर्ग की ओर जाने वाला लकड़ी का पुल पिछले कुछ वर्षों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। हमने इसे ठीक कर लिया है और यह इस्तेमाल के लिए तैयार है। विजिटर्स के लिए नेचर ट्रेल्स, बेंच, फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म और रास्ते साफ कर दिए गए हैं। पर्यटकों के लिए साइक्लिंग के साथ ही गोल्फ कार्ट की भी व्यवस्था की गई है।

बताते चलें कि ओखला पक्षी अभयारण्य 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह नोएडा और दिल्ली की सीमा पर यमुना नदी के किनारे के हिस्से को कवर करता है। इस पक्षी अभयारण्य में हर साल 70 से अधिक प्रजातियों के करीब 20,000 पक्षी आते हैं। जबकि पक्षी अभयारण्य नियमित पक्षियों के लिए एक आश्रय स्थल है। सर्दियों में यहां भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। पक्षी विहार प्रबंधन ने रात में ठहरने के लिए कॉटेज की शुरुआत की थी। मगर पक्षियों के लिहाज से यह पहल सफल नहीं रही।

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