फॉर्टिस नोएडा ने स्ट्रोक मरीजों का किया सफल इलाज, बचने के बताए उपाय

सेहत से जुड़ी खबर : फॉर्टिस नोएडा ने स्ट्रोक मरीजों का किया सफल इलाज, बचने के बताए उपाय

फॉर्टिस नोएडा ने स्ट्रोक मरीजों का किया सफल इलाज, बचने के बताए उपाय

Tricity Today | प्रेस वार्ता

Noida News : स्ट्रोक के बारे में यह कहा जाता था कि यह बुजुर्गों को अपना शिकार बनता है, लेकिन हाल के मेडिकल ट्रैंड्स देखें तो युवा पीढ़ी भी तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रही है। दुनियाभर में स्ट्रोक को मृत्यु का एक प्रमुख कारण माना जाता रहा है। पिछले एक-दो दशकों में भारत में इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसका कारण तेज रफ्तार लाइफ स्टाइल और उसके चलते पैदा होने वाला तनाव और अन्य कई परेशानियों से बचने के उपायों का अभाव बताया जाता है। स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में प्रेस वार्ता के दौरान डॉक्टरों ने स्ट्रोक के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर की। साथ ही, उन्होंने उन युवा मरीज़ों की भी जानकारी दी। जिन्हें स्ट्रोक के बाद समय पर उपचार मिला और वे सभी स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं।

पहला मामला
पहला मामला 25 साल की एक युवति का है। जिन्हें तेज सिरदर्द और आंखों से धुंधला दिखायी देने की शिकायत के दो घंटे के भीतर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। उनकी तत्काल जांच करने पर पाया गया कि उनका हीमोसिस्टिन लेवल काफी बढ़ गया था, जो कि स्ट्रोक के लिए कलेस्ट्रॉल की तरह ही रिस्क फैक्टर है। डॉक्टरों ने मरीज़ की जांच करने पर यह भी पता लगाया कि उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। इलाज के दौरान उन्हें खून के थक्कों (क्लॉट्स) को घुलाने में मददगार इंजेक्शन दिए गए। जिसके बाद उनकी हालत में तत्काल सुधार हुआ।

दूसरा मामला
ऐसा ही एक अन्य मामला 28 वर्षीय युवक का था जो गिरने के बाद बायीं तरफ लकवाग्रस्त हो गए थे। उनकी पत्नी ने मामले की गंभीरता को भांपकर उन्हें एक घंटे के अंदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनके ब्रेन की एमआरआई से स्ट्रोक का पता चला। उन्हें भी तुरंत क्लॉट्स को घुलाने वाले इंजेक्शन दिए गए, जिनसे उनकी हालत में सुधार आया और धीरे-धीरे उनके बााएं पैर और हाथ में ताकत भी लौट आयी।

तीसरा मामला
29 साल महिला ने अचानक महसूस किया कि वह अपने शरीर के दाएं भाग को हिला नहीं पा रही थी। उन्हें फोर्टिस अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। जहां उनके ब्रेन की एमआरआई से स्ट्रोक का पता चला। उन्हें भी तुरंत क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दिया गया। धीरे-धीरे उनकी हालत में काफी हद तक सुधार हुआ और अब वह अपने सभी काम स्वयं करने लगी हैं।

चौथा मामला
48 साल की महिला को घर में काम करते हुए महसूस हुआ कि उनकी बायीं बाजू और पैर हिलाने में उन्हें तकलीफ हो रही थी। धुंधला दिखने लगा था। उनके पति उन्हें तुरंत फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा इलाज के लिए ले गए। जहां तत्काल ब्रेन एमआरआई किया गया। जिससे उन्हें स्ट्रोक होने की पुष्टि हुई। उन्हें डॉक्टरों ने क्लॉट घुलाने वाली दवाएं दी और उपचार शुरू हुआ। जिसके बाद धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ शुरू हुआ।

स्ट्रोक का खतरा
फॉर्टिस हॉस्पिटल न्यूरोलॉजी डायरेक्टर डॉ.ज्योति बाला शर्मा ने कहा, “एक्यूट स्ट्रोक एक इमरजेंसी वाली स्थिति है। अगर किसी को भी अचानक बाजुओं, पैरों, चेहरे में कमजोरी महसूस हो या बोलने में परेशानी हो तो उन्हें FAST (फेशियल ड्रूपिंग यानि चेहरा लटकना, बाजू में कमजोरी, बोलने में कठिनाई, समय पर इलाज) के अनुरूप, लक्षणों के दिखायी देने के चार घंटों के भीतर अस्पताल ले जाना चाहिए।” उन्होंने बताया कि इसकी वजह से और जटिलताएं भी कम होने लगती हैं। बदलती जीवनशैली और शारीरिक व्यायाम रहित आदतों के चलते, युवाओं में डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसे रोग बढ़ रहे हैं। इनकी वजह से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। लाइफस्टाइल में बदलाव यानि व्यायाम रहित जीवन, खानपान की अनहैल्दी आदतें और तनाव वास्तव में, स्ट्रोक के तीन प्रमुख कारण हैं।

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