कोविड-19 वायरस के कारण फैली महामारी के इस बुरे दौर में इंसानी रिश्तों का ताना-बाना भी टूट रहा है। लोग कोरोना वायरस को मात देकर ठीक हो रहे हैं लेकिन उनके अपने उन्हें अछूत मान रहे हैं। जरा–सा तबीयत बिगड़ी और कोरोना का शक वर्षों पुराने दोस्ती के रिश्ते जो भी कच्चे धागे की तरह तोड़ देता है। नोएडा में एक ऐसा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिसमें कोरोना संक्रमण होने के शक में एक युवती ने सहेली को घर से निकाल दिया। पीड़िता लगभग दो महीनों से उसके साथ दिल्ली के नजफगढ़ में रह रही थी। लॉकडाउन के कारण अपने घर भी नहीं जा सकती।
बीमार हालत में भटकती युवती को किसी ने नोएडा के सेक्टर-30 में स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कर दिया। जहां उपचार मिलने के बाद वह स्वस्थ हो गई है, लेकिन शहर में लॉकडाउन होने और कोई ठिकाना नहीं होने से परेशान है। अब उसने गौतमबुद्ध नगर पुलिस से घर पहुंचाने की गुहार लगाई है।
बंगाल के रानीगंज की निवासी 28 वर्षीय निशा को पांच दिन पहले नोएडा के सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे बुखार था। डॉक्टरों का कहना है इलाज के बाद वह ठीक हो गई है। निशा का कहना है कि वह बंगाल के रानीगंज की रहने वाली है। कुछ महीने पहले सहेली के पास दिल्ली आई थी। सप्ताह भर पहले उसे बुखार आया तो सहेली ने कोरोना होने के शक में घर से निकाल दिया। उसके बाद वह बुखार के करण बेसुध अवस्था भटक रही।
उसका कहना है कि लॉकडाउन के कारण अपने घर भी नहीं जा सकती। किसी ने उसे अस्पताल भर्ती करा दिया। अब वह ठीक है, लेकिन कोई ठिकाना नहीं होने के कारण वह यहां से जाना नहीं चाहती है। डॉक्टरों का कहना है कि वह कमजोर है। अस्पताल में रहने से संक्रमण की चपेट में आने का खतरा है। अस्पताल में इमरजेंसी में केवल चार बेड हैं। डॉक्टर मरीज को ठीक होने के बाद अस्पताल में नहीं रख सकते हैं। उन्होंने समस्या निवारण के लिए सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस को जानकारी दी है।
थाना सेक्टर-20 कोतवाली के एसएचओ का कहना है कि निशा से उसका पता ले लिया है। बंगाल में उसके परिजनों से भी बात हो गई है। पुलिस जल्दी ही निशा को रानीगंज छोड़ने जाएगी। लॉकडाउन के चलते वह खुद बंगाल वापस नहीं लौट पा रही है। उसे महज बुखार आने पर सहेली ने घर से निकाल दिया था। अब उसकी तबीयत ठीक है और जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया है।
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