जब से लागू हुआ सिस्टम, मिट्टी में मिले बड़े-बड़े माफिया

4 साल का हुआ गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट : जब से लागू हुआ सिस्टम, मिट्टी में मिले बड़े-बड़े माफिया

जब से लागू हुआ सिस्टम, मिट्टी में मिले बड़े-बड़े माफिया

Tricity Today | Gautam Buddha Nagar Commissionerate

Noida News : यूं तो नोएडा विश्वभर में अपनी पहचान का मोहताज नहीं है। जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) हो या बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट यहां पर बड़े-बड़े विकास कार्यों को उड़ान मिली है। एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट भी नोएडा में ही बनाया जा रहा है। पिछले कई साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने गौतमबुद्ध नगर जिले को संवारने में कड़ी मेहनत की है। लॉ एंड ऑर्डर की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट (Gautam Buddha Nagar Commissionerate) हमेशा अव्वल ही आई है। पुलिस कमिश्नरेट लक्ष्मी सिंह (Lakshmi Singh) के निर्देशों का पालन करते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहर में आपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा रहा है। शहर में बड़े-बड़े भू माफिया और कुख्यात अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। आज यानी की 13 जनवरी को नोएडा कमिश्नरेट को 4 साल पूरे हो गए है। इस कार्यकाल में कई बड़े कुख्यात माफिया को घुटनों पर लाया गया। कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को भी नोएडा में 1 साल हो गया है। कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पहले इन शहरों में बढ़ती अपराधी गतिविधियों का सामना करना मुश्किल होता था।

चार साल पहले ऐसे हुई शुरुआत 
उत्तर प्रदेश में अपराधियों को रोकने के लिए पहले सबसे पहले नोएडा और लखनऊ में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया था। नोएडा में इसके लागू होने के बाद 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया। 25 मार्च 2021 में कानपूर और वाराणसी, तीसरे फेस 25 नवंबर 2022 को गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया। 

पहले भी कमिश्नर सिस्टम लागू करने का बना था प्लान
इससे पहले 1976-77 में प्रयोग के तौर पर कानपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश की गई था। इसके बाद साल 2009 में प्रदेश की मायावती सरकार ने भी नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी की थी। मायावती सरकार में तो ट्रांस हिंडन और ग्रेटर नोएडा समेत चार क्षेत्रों में जॉइंट कमिश्नर तैनात कर पुलिसिंग का खाका तक तैयार हो गया था, लेकिन आईएएस लॉबी के अड़ंगे और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से लागू नहीं किया जा सका था।

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