सरकारी स्कूलों ने नहीं हो रहे लड़कियों ने एडमिशन, कैसे पूरा होगा योगी आदित्यनाथ का सपना

नारी प्रगति फाउंडेशन ने जताई चिंता : सरकारी स्कूलों ने नहीं हो रहे लड़कियों ने एडमिशन, कैसे पूरा होगा योगी आदित्यनाथ का सपना

सरकारी स्कूलों ने नहीं हो रहे लड़कियों ने एडमिशन, कैसे पूरा होगा योगी आदित्यनाथ का सपना

Tricity Today | होशियारपुर सरकारी स्कूल के बाहर लड़कियों की भीड़

Noida News : नारी प्रगति सोशल फाउंडेशन योगी आदित्यनाथ के सपनों को पूरा करने के लिए बच्चों स्कूलों में एडमिशन कराने का प्रयास कर रही है, लेकिन सरकारी स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराना आसान नहीं है।

39 लड़कियों का टेस्ट हुआ था
होशियारपुर के सरकारी केंद्रीय विहार स्कूल में 39 लड़कियों ने 5  मई को 6वीं कक्षा में एडमिशन लेने के लिए टेस्ट दिया था। यह स्कूल केवल लड़कियों के लिए ही है, जो क्लास 6 से 12वीं कक्षा ता है, लेकिन 14 मई को प्रवेश लिस्ट में नाम नहीं आने के कारण सभी लड़कियों की आंखें नम थी। वहीं, माता-पिता सुबह 10 बजे से 1 बजे तक इंतजार करने के बाद अपनी बेटियों का नाम ना देख कर बहुत दुखी हुए। उन्होंने नारी प्रगति सोशल फाउंडेशन टीम को अपनी बात बताई और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अनुरोध किया। 

अभिभावकों ने बयां किया अपना दर्द
एक अभिभावक संजय कुमार ने कहा, "मैंने सरकारी स्कूल में अपनी बेटी का एडमिशन कराने के लिए प्राइवेट स्कूल में भी एडमिशन नहीं कराया और ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी बनवा लिए है। मेरी बेटी पढ़ने में होशियार है, लेकिन फिर भी एडमिशन नहीं हुआ। अब हम कहां जाए और अगर सीट नहीं थी तो टेस्ट नहीं कराना चाहिए था। मेरी आज की दिहाड़ी चली गई। क्यों सरकार हमे सपने दिखती है। जिसे वह पूरा नहीं कर सकती।"

कैसे पढ़ेंगे बच्चे
वहीं, अभिभावक सुरेश ने कहा, "प्राइवेट स्कूल में हम फीस ज्यादा होने के कारण कैसे पढाए। आजकल सरकारी स्कूल में भी एडमिशन नहीं हो रहे है। हम पहले से ही कर्ज में जी रहे है। लॉकडाउन के कारण गांव चले गए थे। आकर कमरे का किराया  ही नहीं चूका पा रहे है। तो ऐसे में बच्चों को कहां से पढ़ाएगें।"

कैसे पूरा होगा योगी आदित्यनाथ का सपना
इन लड़कियों के माता-पिता ने अपनी समस्यांए नारी प्रगति सोशल फाउंडेशन को बताई है। इस पर संस्था की संस्थापक एवं अध्यक्ष मीनाक्षी त्यागी ने बताया कि सरकारी स्कूलों को सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा इस पर सरकार को विचार करना चाहिए, नहीं तो ऐसे में हजारों लड़कियों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। ऐसे में बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का नारा सत्य साबित नहीं हो सकता।
 

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