- औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के तकनीकी विभाग की मनमानी खत्म
- प्राधिकरण की स्थापना के बाद से लिया गया सबसे अहम फैसला
- निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वालों पर अब हो सकेगी सख्त कार्रवाई
- शासन स्तर से लिया गया निर्णय, राज्य स्तर पर एसआईटी का गठन हुआ
- जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की मांग पर शासन ने लिया फैसला
Lucknow/Noida : उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की मोनोपॉली खत्म कर दी है। अब विकास परियोजनाओं में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच आईआईटी कानपुर करेगी। अभी तक प्राधिकरण की अपनी टेक्निकल ऑडिट कमिटी यह काम करती आई है। जेवर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लिया है। फिलहाल कानपुर में सिविल और इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के तीन प्रोफेसरों की टेक्निकल ऑडिट टीम का गठन कर दिया गया है।
धीरेंद्र सिंह का 4 वर्षों से चल रहा प्रयास सफल हुआ
आपको बता दें कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण एक स्वायत्तशासी संस्था होती है। जिसके अपने नियम होते हैं, लेकिन विगत कई वर्षों से देखने में आ रहा था कि प्राधिकरणों द्वारा निर्माण कार्यों में गुणवत्ताविहीन कार्य किए जाने की निरंतर शिकायतें आ रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत थी कि जांच भी उन्हीं अधिकारियों द्वारा की जाती थी, जो इसके निर्माण कार्य के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस विसंगति को देखते हुए जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने विधानसभा से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय और औद्योगिक विकास विभाग में निरंतर 4 साल पैरवी करते की। उन लोगों पर लगाम लगाने और यह अहम निर्णय कराने में सफलता हासिल की है। जिससे अब औद्योगिक विकास प्राधिकरण में लालफीताशाही के दिन लद जाएंगे।
प्राधिकरणों में राज्य सरकार का दखल नहीं चाहते हैं अफसर
विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा, "अब अगर प्राधिकरण अफसर निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता से खिलवाड़ करेंगे तो उसके लिए अब राज्य स्तर से अन्य विभागों की भांति एसआईटी टीम जांच करने का प्रावधान हो गया है। इसके लिए शासनादेश जारी हो गया है।" धीरेंद्र सिंह ने आगे बताया, "यद्यपि प्राधिकरण की स्थापना कई वर्ष पूर्व हुई थी, लेकिन मनमानी और लालफीताशाही के चलते अधिकारियों का एक बड़ा समूह ऐसा नहीं चाहता था कि उनके प्राधिकरण में कोई राज्यस्तरीय हस्तक्षेप हो। निरंतर जनता की शिकायतें और गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ की शिकायतों के मद्देनजर इसकी पैरवी की गई और आज मुझे प्रसन्नता है कि मेरे प्रस्ताव को सरकार ने मान लिया है। अब उन भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगाई है, जो निरंतर निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से खिलवाड़ तो कर रहे थे। उनके ऊपर राज्य स्तर से कोई लगाम नहीं थी।"
कानपुर आईआईटी के 3 प्रोफेसरों की टीएसी का गठन
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने बताया, "मैंने सर्वप्रथम वर्ष 2018 में एक सवाल के माध्यम से विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया गया था। उसके बाद कई स्तर पर पत्राचार करते हुए दिनांक 27 अगस्त 2020 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया। जहां से शासन को इस संबंध में पत्रावली पर आख्या उपलब्ध कराने के लिए कहा गया, लेकिन लंबे समय के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई।" इसके पश्चात जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने विभाग के अपर मुख्य सचिव से इस विषय में नाराजगी जाहिर की। फिर 20 जुलाई 2022 को एक पत्र दिया और कार्रवाई मांग की। जिस पर शासनादेश के माध्यम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के संकाय सदस्यों की एक टीएसी का गठन किया गया है। यह कमेटी भ्रष्टाचार की शिकायतों पर जनपद गौतमबुद्ध नगर और प्रदेश के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में गुणवत्ता की जांच करेगी।