Noida News : एक ओर जेवर में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाईअड्डा बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ नोएडा में देश के सबसे बड़े हेलीपोर्ट पर काम शुरू हो गया है। नोएडा हेलीपोर्ट (Noida Heliport Project) से दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 32 शहरों तक उड़ान भरी जाएंगी। करीब 5 वर्षों से इस परियोजना पर नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Authority) काम कर रहा था। नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari) ने बताया, "अब जल्दी ही इस हेलीपोर्ट का निर्माण शुरू होगा। ग्लोबल टेंडर के जरिए कंपनी की तलाश की जाएगी। यह हेलीपोर्ट कॉरपोरेट, टूरिज्म, मेडिकल टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा।"
500 किमी तक के पर्यटन केंद्र कवर होंगे
नोएडा अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक 100 से 200 किलोमीटर के दायरे वाले शहरों मथुरा और आगरा तक नोएडा के लिए हेलीकॉप्टर मिलेंगे। आगरा पर्यटन का वैश्विक केंद्र है। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। 300 से 400 किलोमीटर के दायरे वाले पर्यटन स्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, जोशीमठ, रामपुर, मंडी और अजमेर हैं। नोएडा से इन शहरों के लिए रोजाना हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे। इसी तरह 400 से 500 किलोमीटर दूरी वाले मनाली, बीकानेर, जोधपुर, डलहौजी और अयोध्या तक हेलीकॉप्टर उड़ेंगे।
200 से 300 किमी वाले शहर सबसे ज्यादा
नोएडा से हेलीकॉप्टर सेवा के दायरे में सबसे ज्यादा शहर 200 से 300 किमी दायरे वाले हैं। इनमें मसूरी, यमुनोत्री, पंतनगर, नैनीताल, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, श्रीनगर, गोचर, नई टिहरी, शिमला, बद्दी, हरिद्वार, जयपुर, चंडीगढ़ और औली हैं।
औद्योगिक गतिविधियां और तेज होंगी
नोएडा हेलीपोर्ट का बड़ा फायदा गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली के बिजनेसमैन को होगा। इससे पूरे एनसीआर में कॉरपोरेट्स गतिविधियां बढ़ेंगी। अभी 500 किलोमीटर के दायरे में आवागमन करने के लिए बिजनेसमैन को ट्रेन या अपनी कारों पर निर्भर रहना पड़ता है। हेलीपोर्ट शुरू होने के बाद तमाम शहरों तक हवाई सफर खुल जाएगा। जिससे कामकाज दिनों की वजह घंटों में होने लगेंगे। बिजनेसमैन और कॉरपोरेट का वक्त बचेगा। गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद को बड़े अवसर मिलेंगे।
मेडिकल इमरजेंसी और टूरिज्म को बढ़ावा
यह हेलीपोर्ट मेडिकल इमरजेंसी और टूरिज्म को बड़ा बढ़ावा देगा। 500 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले इलाकों से बेहद कम समय में आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान मरीजों को नोएडा और दिल्ली लाया जा सकेगा। नोएडा हेलीपोर्ट पर एयर एंबुलेंस की सुविधा विकसित की जाएगी। इसके अलावा टूरिज्म को सबसे बड़ा फायदा होने वाला है। उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतीय शहरों तक दिल्ली-एनसीआर सीधे वायु मार्ग जुड़ जाएगा। अभी 200 से 500 किलोमीटर का यह सफर तय करने में 24 घंटे तक का वक्त लगता है। हेलीपोर्ट इस सफर को 1 से 2 घंटे में समेट देगा।
एजुकेशन सेक्टर को बड़ी उम्मीदें
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 10 यूनिवर्सिटी हैं। करीब 200 एजुकेशनल इंस्टीट्यूट हैं। गौतमबुद्ध नगर के एजुकेशन सेक्टर को नोएडा हेलीपोर्ट से बड़ा फायदा मिलेगा। बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी का कहना है, "छात्र-छात्राओं को कई बार आपातकालीन परिस्थितियों में अपने घर पहुंचना होता है। परिवार अपने बच्चों को ज्यादा दूर भेजकर पढ़ाने से इसीलिए हिचकिचाते हैं, अगर कोई परेशानी होगी तो नोएडा, ग्रेटर नोएडा पहुंचने में वक्त लगेगा। जब यह हेलीपोर्ट सेवाएं देना शुरू कर देगा तो इमरजेंसी के वक्त संपर्क बेहद आसान हो जाएगा। निसंदेह इस प्रोजेक्ट से गौतमबुद्ध नगर के एजुकेशन सेक्टर को बड़ा फायदा होने वाला है।
इन 32 शहरों के लिए उड़ान होंगी
मथुरा
आगरा
बद्रीनाथ
केदारनाथ
गंगोत्री
जोशीमठ
रामपुर
मंडी
अजमेर
मनाली
बीकानेर
जोधपुर
डलहौजी
अयोध्या
मसूरी
यमुनोत्री
पंतनगर
नैनीताल
उत्तरकाशी
अल्मोड़ा
श्रीनगर
गोचर
नई टिहरी
शिमला
बद्दी
हरिद्वार
जयपुर
चंडीगढ़
औली
रानीखेत
हल्द्वानी
पौड़ी गढ़वाल
जेवर एयरपोर्ट की तरह होगा निर्माण
खास बात यह है कि नोएडा हेलीपोर्ट का निर्माण भी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की तर्ज पर किया जाएगा। आपको बता दें कि नोएडा में यह देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट बनने जा रहा है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की तरह ही नोएडा में हेलीपोर्ट का निर्माण किया जाएगा। हेलीपोर्ट के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण जमीन उपलब्ध करवाएगा। जल्दी ही टेंडर निकाला जाएगा। जिसमें प्रति यात्री सबसे ज्यादा फीस देने वाली कंपनी को ठेका मिलेगा। यह फीस कंपनी विकास प्राधिकरण को देगी। कंपनी को अगले 30 वर्षों के लिए इस हेलीपोर्ट का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यही मॉडल जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए अपनाया गया है। हवाईअड्डे के लिए जमीन सरकार और जिले के तीनों विकास प्राधिकरण होने दी है। जूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी ने प्रति यात्री सर्वाधिक बोली लगाकर टेंडर हासिल किया है।
सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-172 उतर सकेगा
नोएडा हेलीपोर्ट का उपयोग बहुउद्देशीय होगा। यहां से कमर्शियल उड़ान होंगी। जिनके लिए बेल-412 हेलीकॉप्टर उपयोग होते हैं। इन हेलीकॉप्टर्स में 12 यात्री सवार हो सकते हैं। साथ-साथ वीवीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर एमआई-172 भी यहां लैंड-टेकऑफ कर सकेगा। इन हेलीकॉप्टर की क्षमता 26 यात्रियों को लाने या ले जाने की होती है। इन बड़े हेलीकॉप्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नोएडा हेलीपोर्ट का डिजाइन तैयार किया गया है।
हेलीपोर्ट 9.35 एकड़ में बनेगा और 43.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे
यह रिपोर्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) पर बनाया जा रहा है। शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट 9.35 एकड़ में बनेगा और इस पर 43.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आपको बता दें कि यह सेक्टर नोएडा साउथ में है, जिसे भविष्य के लिए शहर का सबसे शानदार आवासीय इलाका माना जा रहा है। यहां अथॉरिटी कई और महत्वकांक्षी परियोजनाओं पर काम कर रही है। जिनमें इंटरनेशनल गोल्फकोर्स भी शामिल है।
नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बताया कि हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट की डीपीआर, डिजाइन और कई दूसरी औपचारिकताओं को राज्य सरकार की ओर से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। बुधवार को हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव ने पूरी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी है। अब इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा। जिसके जरिए कंपनी का चयन होगा। जो कंपनी सर्वाधिक राजस्व विकास प्राधिकरण को देगी, उसे हेलीपोर्ट का निर्माण करने और 30 वर्षों तक संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस हेलीपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग होगा। यहां आने वाले यात्रियों को तमाम सुविधाएं दी जाएंगी।
20 यात्रियों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी
इस हेलीपोर्ट से लगातार 20 यात्री आवागमन कर सकेंगे। इनके लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी। टर्मिनल बिल्डिंग 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जाएगी। जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी। इस रिपोर्ट में 5 बेल-412 हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए पार्किंग की सुविधा रहेगी। यह रिपोर्ट आत्मनिर्भर होगा। इसमें पावर स्टेशन, फायर स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरी तमाम मूल सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
हेलीपोर्ट की शानदार कनेक्टिविटी होगी
ऋतु महेश्वरी ने बताया कि शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट विकसित किया जा रहा है। इस इलाके की कनेक्टिविटी बहुत शानदार है। जिसका फायदा हेलीपोर्ट पर आने वाले यात्रियों को मिलेगा। यह हेलीपोर्ट नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन के सेक्टर-147 स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर दूर है। यमुना एक्सप्रेसवे से दूरी 7 किलोमीटर है। नोएडा शहर से दूरी 17 किलोमीटर है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 43 किलोमीटर और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 51 किलोमीटर की दूरी है। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के शहर मेरठ, बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कुंडली, मानेसर, पलवल, आगरा, मथुरा, हाथरस और बुलंदशहर से हेलीपोर्ट तक पहुंचना बेहद आसान होगा। इन सारे शहरों से हेलीपोर्ट की दूरी 1 से 2 घंटे में तय होती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से हेलीपोर्ट सटा हुआ है। आवागमन के लिए चौड़ी सड़कें उपलब्ध हैं।
हेलीपोर्ट में 50 कारों के लिए पार्किंग बनेगी
सीओ ऋतु महेश्वरी ने बताया कि इस हेलीपोर्ट में बेल और एमआई हेलीकॉप्टर पार्क करने के लिए हैंगर और एप्रेन बनाए जाएंगे। एक हेलीपैड 52 मीटर चौड़ा और 52 मीटर लंबा होगा। इनका टैक्सीवे 10-10 मीटर लंबा-चौड़ा होगा। एक एप्रेन 170 मीटर लंबा और 52 मीटर चौड़ा होगा। ऐसे 5 एप्रेन बनाए जाएंगे। हेलीपोर्ट पर बेल और एमआई हेलीकॉप्टर्स के लिए हैंगर भी बनेगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर 15 मीटर ऊंचा होगा और यहां 50 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। ऋतु महेश्वरी ने कहा, "प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसरों को इस प्रोजेक्ट के लिए जल्दी से जल्दी ग्लोबल टेंडर निकालने का आदेश दे दिया है।