3C बिल्डर के खिलाफ ईडी की जांच शुरू, सैकड़ों लोगों से अरबों रुपये हड़पने के बाद दिया धोखा

नोएडा से बड़ी खबर : 3C बिल्डर के खिलाफ ईडी की जांच शुरू, सैकड़ों लोगों से अरबों रुपये हड़पने के बाद दिया धोखा

3C बिल्डर के खिलाफ ईडी की जांच शुरू, सैकड़ों लोगों से अरबों रुपये हड़पने के बाद दिया धोखा

Tricity Today | 3C बिल्डर के खिलाफ ईडी की जांच शुरू

Noida News : एक बार फिर शहर के नामी बिल्डर 3C की परेशानी बढ़ गई है। इसके साथ नोएडा प्राधिकरण को भी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने 3C बिल्डर के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा में लग्जरी हाउसिंग परियोजना से जुड़े करोड़ों के वित्तीय लेनदेन की जांच के आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए है। इस बिल्डर को लोटस ब्रांड के लिए जाना जाता है। हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए कहा गया कि 3C बिल्डर को केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ मिलकर काम करना होगा।

नोएडा प्राधिकरण को सवालों में घेरा
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार ने नोएडा प्राधिकरण की भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, "नोएडा प्राधिकरण ने एक निजी व्यापारी के रूप में काम किया। प्राधिकरण के अधिकारी निर्दोष घर खरीदारों को धोखा देने के लिए डेवलपर्स के साथ मिलीभगत कर रहे है।" कोर्ट ने आगे कहा, "खरीदार अधूरी परियोजनाओं में अपने अपार्टमेंट पर कब्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहे है।

मार्च 2010 में आवंटित हुई थी जमीन
हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि प्रमोटर को बिना निवेश किया सेक्टर-107 में बड़ा हिस्सा नोएडा प्राधिकरण ने दे दिया गया। प्रमोट ने घर खरीदारों से 636 करोड़ रुपये इकट्ठे किए। उसके बावजूद भी लोगों को अपना घर नहीं मिला है। जबकि आवंटित भूमि का एक हिस्सा तीसरी कंपनी को बेच दिया गया। मार्च 2010 में नोएडा प्राधिकरण ने लोटस 300 को विकसित करने के लिए हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) को 17 एकड़ जमीन आवंटित की। जो मुख्य सदस्य के रूप में पेबल्स इंफोसॉफ्ट वाली कंपनियों का एक संघ है। लीज डीड पर हस्ताक्षर करने के समय, निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विदुर भारद्वाज एचपीपीएल के निदेशक थे।

दूसरी कंपनियों को बेचा प्रोजेक्ट
हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि प्रमोटर को बिना निवेश किया सेक्टर-107 में बड़ा हिस्सा नोएडा प्राधिकरण ने दे दिया गया। प्रमोट ने घर खरीदारों से 636 करोड़ रुपये इकट्ठे किए। उसके बावजूद भी लोगों को अपना घर नहीं मिला है। जबकि आवंटित भूमि का एक हिस्सा तीसरी कंपनी को बेच दिया गया। फरवरी 2012 में बिल्डरों ने इस प्रोजेक्ट की सात एकड़ जमीन दूसरी कंपनी को बेच दी। इसके बाद परियोजना में 30 अपार्टमेंट जोड़े गए, जिसमें मूल रूप से 300 फ्लैटों की मंजूरी थी। छह टावरों के सभी 330 फ्लैट बिक गए। खरीदारों को पूरा होने की समय सीमा 39 महीने दी गई थी, जिसे बाद में संशोधित कर जुलाई 2017 कर दिया गया।

6 में से चार टावर बनाकर गायब हुए निदेशक
एचपीपीएल ने शुरुआत में 6 में से चार टावर पूरे कर लिए और फ्लैट मालिकों को कब्जा सौंप दिया। आख़िरकार इसने परियोजना पूरी नहीं की। सभी तीन निदेशकों ने एचपीएल छोड़ दिया, जबकि घर खरीदार अपने फ्लैटों का इंतजार कर रहे थे। उसके बाद निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विदुर भारद्वाज ने इस्तीफा दे दिया।

मुकदमा दर्ज और कानूनी कार्रवाई
मार्च 2018 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने घर खरीदारों की शिकायत के बाद जांच शुरू की। इसने धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया। ईओडब्ल्यू ने नवंबर 2018 में तीनों निदेशकों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि बिल्डरों ने भारी मात्रा में पैसे का हेरफेर किया था। गिरफ्तारी के बाद तीनों ने परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक 60 करोड़ रुपये का भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने घर खरीदारों के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए, जिसमें परियोजना को नौ महीने में पूरा करने पर सहमति व्यक्त की गई।

आदेशों का अनुपालन
इस एमओयू का हवाला देते हुए दिल्ली के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक जमानत याचिका दायर की गई, जिसने इस शर्त पर अंतरिम जमानत दे दी कि समझौते का सख्ती से पालन किया जाएगा। लेकिन जमानत मिलने के बाद उन्होंने न तो प्रस्तावित 60 करोड़ रुपये का भुगतान किया और न ही परियोजना पूरी की। सितंबर 2019 में नोएडा प्राधिकरण ने एचपीपीएल, सिंह, सूरी और भारद्वाज को 64 करोड़ रुपये की वसूली नोटिस जारी किया। नोटिस को चुनौती देते हुए तीनों ने अलग-अलग उच्च न्यायालय का रुख किया। लोटस 300 अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने भी उच्च न्यायालय का रुख किया। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 29 फरवरी का आदेश पारित किया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा, "आपकी मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं था। आपकी कमी से ही घर खरीदारों को सपनों की चाबी नहीं मिल पा रही।"

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.