गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने सोमवार को भूमाफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। नोएडा में करीब 400 करोड रुपए की जमीन भूमाफिया से छीनकर वायुसेना को लौटाई गई है। दरअसल, नोएडा के यमुना खादर क्षेत्र में वायु सेना की जमीन पर करीब 70 वर्षों से कब्जा था। यहां वायु सेना की फायरिंग और बोम्बिंग रेंज पर माफिया ने कब्जा करके फार्म हाउस बसा दिए थे। सैकड़ों लोगों को धोखाधड़ी के जरिए फार्म हाउस बेचे गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई यह कार्यवाही करीब 7 वर्ष में पूरी हुई है।
नोएडा के नंगला नंगली और नंगली साकपुर गांवों में हुए वायु सेना भूमि घोटाले में कार्रवाई सोमवार को अंजाम तक पहुंच गई है। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने वायु सेना की 161 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय के नाम दर्ज कर दी है। नोएडा में यमुना नदी के किनारे वायु सेना की इस जमीन पर कब्जा करके भूमाफिया ने फार्म हाउस बनाकर बेच दिए थे। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जिला प्रशासन को कार्रवाई करने का आदेश करीब 6 साल पहले दिया था।
गौतमबुद्ध नगर के सहायक अभिलेख अधिकारी रजनीकांत ने सोमवार को इस कार्रवाई के बारे में बताया कि वायु सेना को वर्ष 1950 में तिलपत रेंज के लिए 468 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। नोएडा के नंगला नंगली और नंगली साकपुर गांवों की जमीन वायु सेना को जमीन दी गई थी। हरियाणा के फरीदाबाद जिले से दीक्षित अवार्ड के तहत वर्ष 1971 में गौतमबुद्ध नगर जिले को यह जमीन दी गई थी। इस जमीन पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। दूसरा मुकदमा राजस्व अभिलेखों में वायु सेना का नाम दर्ज करने के लिए दायर किया गया है। वायु सेना को भारत सरकार ने वर्ष 1951 में यह जमीन दी थी। लेकिन शुरू से ही जमीन के राजस्व अभिलेखों पर किसानों के नाम रहे। वायु सेना का नाम दर्ज नहीं किया गया। इसी का फायदा उठाकर वायु सेना की जमीन पर भूमाफिया ने कब्जा किया। इस जमीन पर सैकड़ों फार्म हाउस बनाकर लोगों को बेच दिए गए थे। इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। वायु सेना की जमीन कब्जा मुक्त करवाने और भू-माफिया व प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत की जांच के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया था।
70 वर्ष बाद मिला जमीन पर वायु सेना को हक
वर्ष 1950 में बुलंदशहर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने यह जमीन अधिग्रहित कर के आगरा के रक्षा संपदा अधिकारी को सौंपी थी। दरअसल, तब यह इलाका बुलंदशहर जिले में ही था। तब से लेकर अब तक इस जमीन पर पहले स्थानीय किसानों, फिर भूमाफिया और बाद में फार्म हाउस खरीददारों के नाम दर्ज होते चले गए। सहायक अभिलेख अधिकारी ने बताया कि रक्षा संपदा अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद सारे नाम खारिज कर दिए गए हैं। इस जमीन पर रक्षा मंत्रालय का नाम दर्ज कर दिया गया है। मौजूदा समय में इस जमीन की कीमत करीब 400 करोड रुपए आंकी गई है।
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा, "सहायक अभिलेख अधिकारी और एसडीएम की अदालत में सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। करीब 70 वर्षों बाद वायुसेना की जमीन पर रक्षा मंत्रालय का नाम दर्ज किया गया है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच और कार्रवाई करने के लिए एक उच्चस्तरीय टीम का गठन किया था। वायु सेना ने अपनी जमीन वापस हासिल करने और नाम दर्ज करवाने के लिए राजस्व न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। करीब 400 करोड रुपए की कीमत वाली 161 एकड़ जमीन पर रक्षा मंत्रालय का नाम दर्ज कर दिया गया है। जिले में भूमाफिया के खिलाफ ऐसी कार्रवाई बदस्तूर जारी रहेगी। आने वाले दिनों में भूमाफिया के खिलाफ और कार्रवाई की जाएगी।"