New Delhi/Noida : नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष सुनवाई के दौरान आईसीआईसीआई बैंक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सेन ने न्यायपीठ को बड़ी जानकारी दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि ऋणदाताओं द्वारा एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना को अस्वीकार कर दिया है। सेन ने कहा, "ऋणदाताओं ने ओटीएस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और एनसीएलएटी से इस मामले में आगे बढ़ने का आग्रह किया है।" इससे कंपनी के सामने दिवालिया होने का संकट और गहरा गया है।
जेएएल का बोर्ड निलंबित हो चुका
एनसीएलएटी जेएएल के निलंबित बोर्ड के सदस्य सुनील कुमार शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की इलाहाबाद पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस साल 3 जून को एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा सितंबर 2018 में दायर छह साल पुरानी याचिका को स्वीकार किया था और भुवन मदान को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था, जिससे जेएएल का बोर्ड निलंबित हो गया था।
कंपनी ओटीएस का प्रस्ताव दिया
बुधवार को संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एनसीएलएटी पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई को मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 11 जून को अपीलीय न्यायाधिकरण की अवकाश पीठ ने ऋणदाताओं के संघ से एनसीएलटी के समक्ष जेएएल द्वारा प्रस्तुत ओटीएस पर विचार करने को कहा था। पिछली सुनवाई के दौरान जेएएल ने कहा था कि यदि बैंक ओटीएस को स्वीकार कर लेता है तो कंपनी 18 सप्ताह के भीतर पूरा भुगतान करने के लिए तैयार है।
बैंकों ने ओटीएस से किया इंकार
एनसीएलटी के समक्ष दायर अपने पहले के निपटान प्रस्ताव में जेएएल ने 200 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान और शेष लगभग 16,000 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृति के 18 सप्ताह के भीतर या उससे पहले चुकाने की पेशकश की थी। हालांकि, एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने इसे खारिज कर दिया था और जेएएल के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। एनसीएलएटी की दो सदस्यीय अवकाश पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि जेएएल अगली सुनवाई की तारीख तक कुछ बड़ी राशि जमा करने पर भी विचार कर सकता है।
राशि बढ़ाने के बावजूद बात नहीं बनी
इसके बाद जेएएल ने अग्रिम भुगतान को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया। उसने पहले से जमा किए गए 200 करोड़ रुपये के अलावा 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जमा प्रस्तावित किया था। अब वादी पक्ष के इस अस्वीकरण से जयप्रकाश एसोसिएट्स के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कंपनी के सामने दिवालिया होने का संकट खड़ा हो गया है।