Tricity Today | एमिटी यूनिवर्सिटी में पूर्व राज्यपाल और रिटायर्ड सैन्य अफसरों ने सुनाए पराक्रम के किस्से
अब तक देश में 21 वीरों को उच्चतम सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है
‘सियाचीन संर्घष में पराक्रम दिखाने वाले परमवीर च्रक विजेता नायब सुबेदार बाना सिंह की कहानी सुनाई
परमवीर च्रक, यूएसए के मेडल ऑफ ऑनर के समकक्ष होता है
Noida News: आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय (Amity University) में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रटेजिक स्टडीज ने ‘परमवीर च्रक की वीर गाथायें-बहादुरों में सबसे बहादुर’ विषय पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें सैन्य सेवाओं के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने विभिन्न युद्ध के दौरान अद्भुत पराक्रम दिखाने वाले जांबाज सैनिकों की वीर गाथाएं सुनाईं। इस कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल लेफ्ट जनरल (रिटायर्ड) केएम सेठ, डॉ अशोक कुमार चौहान और वाइस चांसलर डॉ (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने किया।
कार्यक्रम का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रटेजिक स्टडीज के महानिदेशक लेफ्ट जनरल (रिटायर्ड) डा एसके गिडिऑक ने किया गया। इस मौके पर पूर्व राज्यपाल केएम सेठ ने कहा कि साल 1948 में देश की आजादी के उपरांत शौर्य को सम्मानित करने के लिए नये भारतीय अवार्ड की घोषणा करने का फैसला लिया गया। इसी क्रम में परमवीर च्रक, महावीर च्रक और वीर च्रक की घोषणा की गई। उच्चतम सम्मान परमवीर च्रक, यूएसए के मेडल ऑफ ऑनर के समकक्ष होता है। रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सेठ ने कहा कि भारतीय सेना उच्चतम त्याग का प्रतिरूप है। अब तक देश में 21 वीरों को उच्चतम सम्मान परमवीर च्रक से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ अशोक कुमार चौहान ने कहा कि इस कार्यक्रम का उददेश्य छात्रों में बलिदान की भावना का निर्माण करना है। उन्होनें कहा कि एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रटेजिक स्टडीज, एमिटी के छात्रों और शोधार्थियों के लिए रक्षा और सामरिक मामलों पर एक शोध केंद्र के रूप में प्रमुख योगदान देता है। डा चौहान ने कहा कि किसी भी देश की सेना, देश की सुरक्षा हेतु सबसे महत्वपूर्ण होती है और हमारे परमवीर च्रक विजेताओं ने जिस शौर्य और अदम्य साहस का परिचय दिया है उस पर हम सभी को गर्व है। एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा, हम छात्रों में देश के प्रति कुछ करने की भावना का विकास करते हैं। इसी क्रम में इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
परमवीर च्रक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का ने दिखाया साहस
इस कार्यक्रम के अंर्तगत एसएसबी इलाहाबाद के पूर्व अध्यक्ष मेजर जनरल (रिटायर्ड) डी कपूर ने वर्ष 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध- बैटल ऑफ हिली में अपने पराक्रम को दिखाने वाले परमवीर च्रक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की महान गाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना को विश्व में अपने शौर्य और साहस के लिए जाना जाता है। भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के दौरान वीरता का परिचय देते हुए अपने इकाई के सैनिकों की रक्षा की। इस दौरान वे घायल हो गए और बाद में दुनिया से विदा हो गये। सरकार ने मरोणपरांत उन्हें परमवीर च्रक से सम्मानित किया।
सियाचीन में दिखा दम
आर्मी स्टॉफ के पूर्व डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जेएस चीमा ने ‘‘सियाचीन संर्घष में पराक्रम दिखाने वाले परमवीर च्रक विजेता नायब सुबेदार बाना सिंह की कहानी बताई। मानद कैप्टन बाना सिंह ने सन 1987 में सियाचीन ग्लेशियर की पोस्ट को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के अभियान में अदम्य साहस दिखाया। बाद में उन्हें परमवीर च्रक से सम्मानित किया गया। मुबंई सब एरिया के पूर्व जीओसी मेजर जनरल (रिटायर्ड) राजीव एडवार्ड ने ‘कारगिल युद्ध-टाइगर हिल की लड़ाई’ में सैन्य बलों की बहादुरी के बारे में सबको बताया। मानद लेफ्टिनेंट योगेन्द्र सिंह यादव को कारगिल युद्ध के दौरान अप्रतिम शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए भारत सरकार ने परमवीर च्रक से सम्मानित किया।
कारगिल युद्ध में बने मिशाल
भटिंडा सब एरिया के पूर्व जीओसी मेजर जनरल (रिटायर्ड) एसपी मेहता ने ‘कारगिल वार युद्ध-पांइट 4875 की लड़ाई’ में पराक्रम दिखाने वाले परमवीर च्रक से सम्मानित सुबेदार मेजर संजय कुमार के बारे में बताया। सुबेदार संजय कुमार ने कारगिल युद्ध के दौरान एरिया फ्लैट पर कब्जा करने के दौरान वीरता का परिचय दिया। जिसके लिए 1999 में भारत सरकार ने उन्हें परमवीर च्रक से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डॉ डब्ल्यू सेल्वामूर्ती, एमिटी विश्वविद्यालय के महानिदेशक लेफ्ट जनरल (रिटायर्ड) अनिल कपूर, एमिटी एसएसबी एकेडमी के बिग्रेडियर अर्जन दत्ता सहित एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी और छात्र उपस्थित थे।