कांग्रेस उम्मीदवार ने मैदान छोड़कर पार्टी पर लगाया दाग, 1984 तक था दबदबा, पढ़िए दिलचस्प जानकारी

लोकसभा चुनाव 2024 : कांग्रेस उम्मीदवार ने मैदान छोड़कर पार्टी पर लगाया दाग, 1984 तक था दबदबा, पढ़िए दिलचस्प जानकारी

कांग्रेस उम्मीदवार ने मैदान छोड़कर पार्टी पर लगाया दाग, 1984 तक था दबदबा, पढ़िए दिलचस्प जानकारी

Tricity Today | Symbolic

Noida News : देश की राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर हॉट सीट के नाम से जानी जाती है। हालांकि, गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट 2009 में नए परिसीमन से पहले खुर्जा के नाम से पहचानी जाती थी। आजादी के बाद जिस कांग्रेस का खुर्जा लौस सीट पर लंबे समय तक कब्जा रहा, अब उसका यहां वजूद समाप्त होने के कगार पर है। इस बार तो कांग्रेस ने यहां से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने के बजाये समाजवादी पार्टी के खाते में सीट दे दी। 1984 के बाद विजय हासिल करना तो दूर कांग्रेस उम्मीदवार मुख्य लड़ाई में भी नहीं रह सके। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस के प्रत्याशी मतदान से पहले मैदान छोड़ पार्टी के दामन पर बदनुमा दाग लगवा चुके हैं।

दल बदलने में माहिर कांग्रेस उम्मीदवार
कांग्रेस ने 2014 में गाजियाबाद से भाजपा के टिकट पर चार बार सांसद रहे रमेश चंद तोमर को मैदान में उतारा। वह मतदान से तीन दिन पहले भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेसियों ने प्रत्याशी के मैदान छोड़ भाग जाने के बावजूद उन्हें वोट दिया। तब उन्हें 12727 वोट मिले। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने अरविंद सिंह को मैदान में उतारा। उनके पिता पूर्व मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह भाजपा में थे। अरविंद सिंह पर भी मतदान से चार दिन पहले मैदान से गायब होने के आरोप लगे। अरविंद सिंह को भी मात्र 42077 हजार वोट मिले।

1951 में हुआ पहला आम चुनाव
आजादी के बाद 1951 में हुए पहले आम चुनाव में प्रदेश में 17 सीटों पर दो-दो व्यक्ति सांसद चुने गए। एक सामान्य वर्ग से और दूसरा अनुसूचित जाति से होता था। बुलंदशहर ड्रिस्टिक के नाम से इस सीट पर पहले चुनाव में कन्हैया लाल और रघुवर दयाल मिश्रा सांसद चुने गए थे। रघुवर दयाल ने बुलंदशहर का प्रतिनिधितत्व किया, जबकि कन्हैया लाल ने खुर्जा का। पहले आम चुनाव में इस सीट से पांच उम्मीदवार मैदान में थे। तब 6,96063 मतदाताओं ने मतदान किया था। कन्हैया लाल सर्वाधिक 223717 वोट और रघुवर दयाल मिश्रा 181068 वोट लेकर सांसद बने। 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर कन्हैया लाल और रघुवर दयाल पर दाव लगाया। आठ प्रत्याशी मैदान में उतरे। बाजी कन्हैया लाल और रघुवर दयाल मिश्रा के हाथ लगी। 

अंतिम बार कांग्रेस के सांसद 1984 में गए चुने
1962 के लोस चुनाव में बहु व्यवस्था समाप्त हुई। खुर्जा के नाम से अलग लौस सीट बनी। कांग्रेस के कन्हैया लाल ने प्रजा सोशलिस्ट के प्रत्याशी को हरा जीत की हैट्रिक लगाई। 1967 के चुनाव में कांग्रेस की पहली बार इस सीट से हार हुई। कन्हैया लाल को प्रजा सोशलिस्ट के रामचरण ने हराया। 1971 के लोस चुनाव में कांग्रेस ने हरिसिंह को मैदान में उतारा। उन्होंने भारतीय क्रांति दल के रामचरण को हराकर सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के मोहन लाल करीब सवा दो लाख से वोटों से जीत कर सांसद बने। 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के त्रिलोक चंद सांसद बने। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में वीरसैन इस सीट से अंतिम बार कांग्रेस के सांसद 1984 में चुने गए। इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट से कभी नहीं जीत सके।

कब किसने मारा मैदान
  1. 1951 में कन्हैया लाल व रघुवर दयाल मिश्रा, कांग्रेस
  2. 1957 में कन्हैया लाल व रघुवर दयाल मिश्रा, कांग्रेस
  3. 1962 में कन्हैया लाल, कांग्रेस
  4. 1967 में रामचरण, प्रजा सोशलिस्ट
  5. 1970 में हरिसिंह, कांग्रेस
  6. 1977 में मोहन लाल, भारतीय लोकदल
  7. 1980 में त्रिलोक चंद्र, जनता पार्टी
  8. 1984 में वीरसैन, कांग्रेस
  9. 1989 में भगवान दास, जनता दल
  10. 1991 में रोशन लाल जनता दल
  11. 1996 में अशोक प्रधान, भाजपा
  12. 1998 में अशोक प्रधान, भाजपा
  13. 1999 में अशोक प्रधान, भाजपा
  14. 2004 में अशोक प्रधान, भाजपा
  15. 2009 में सुरेंद्र नागर, बसपा
  16. 2014 में डाक्टर महेश शर्मा, भाजपा
  17. 2019 में डाक्टर महेश शर्मा, भाजपा

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