Noida News : शोध पत्रिका लैंड जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में नोएडा के लिए काफी चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि नोएडा में 2027 तक कृषि भूमि वर्ष 2011 की तुलना में घटकर एक चौथाई रह जाएगी। इसके कारण नोएडा में बिल्डअप एरिया और बंजर जमीन भी बढ़ेंगी। इसके अलावा जल स्थल और हरित क्षेत्र में भी आने वाले वर्षों में कमी आने के आसार हैं। सैटेलाइट डाटा का मदद से यह शोध किया गया है, जो लैंड जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
छह लोगों की टीम ने किया शोध
यह अध्ययन शोधकर्ता ऋचा शर्मा, लोलिता प्रधान, माया कुमारी, प्रोद्युत भट्टाचार्य, वरुण नारायण मिश्रा और दीपक कुमार द्वारा किया गया है। इसमें सबसे खतरनाक बात यह है कि नोएडा में 2027 तक निर्माण भूमि यानी बिल्डअप एरिया (built-up) काफी अधिक बढ़ सकता है। इसके साथ ही बंजर जमीनें भी बढ़ेंगी। इससे जिले में कृषि भूमि और हरियाली का क्षेत्र काफी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इन सबके असर से नोएडा में कार्बन स्टोरेज कम हो जाएगा। कार्बन पृथक्करण और भंडारण (Carbon capture and storage) पर भूमि उपयोग और भूमि कवर परिवर्तनों के प्रभाव की जांच को लेकर किए गए शोध में यह चेतावनी दी गई है।
सैटेलाइट की मदद से किया गया शोध
शोध करने के लिए वर्ष 2011 और 2019 के उपलब्ध डाटा और वर्ष 2027 के अनुमानित डाटा का विश्लेषण किया गया है। इसके लिए सैटेलाइट की मदद ली गई है। शोध में पाया गया कि अभी नोएडा में भूमि से ऊपर और नीचे कार्बन स्टोरेज 23.95 टन प्रति हेक्टेयर है। इसमें 2011 से 2019 के बीच 67 फीसद की वृद्धि हुई है। अनुमान है कि 2027 तक नोएडा की ज्यादातर भूमि पर या तो निर्माण हो जाएगा या वो बंजर हो जाएगी। इससे कृषि भूमि और ग्रीन एरिया में भी गिरावट आएगी। इससे स्थलीय कार्बन संचयन की क्षमता में गिरावट आएगी। जो भविष्य के लिए काफी चिंताजनक स्थिति हो सकती है।
क्या है कार्बन स्टोरेज
कार्बन स्टोरेज कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन को कम कराने का तरीका है। इससे ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में मदद मिलती है। किसी शहर या कस्बे के विकास की योजना (अर्बन प्लानिंग) बनाने से पहले कार्बन स्टोरेज का अनुमान लगाना बेहद जरूरी होता है। यानी कार्बन स्टोरेज का ज्यादा होना बेहतर होता है। शोध में यह बात सामने आई है कि आने वाले सालों में नोएडा में कार्बन स्टोरेज घटेगा, जिसे सीधे शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि कार्बन उत्सर्जन बढ़ेगा, जो पर्यावरण के साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होगा।
नोएडा में मिट्टी और हरियाली की यह है स्थिति
नोएडा यमुना नदी और हिंडन नदी के बीच स्थित है। यहां की जमीन रेतीली, दोमट और जलोढ़ है। नोएडा की अधिकांश भूमि उपजाऊ नहीं है, जिसके कारण यहां कृषि उपज काफी कम है। यहां की प्राथमिक फसलों में गेहूं, चावल, गन्ना और बाजरा शामिल हैं। वर्तमान में नोएडा में कृषि क्षेत्र में कोई विस्तार नहीं हुआ है, उल्टा कृषि की जमीन पर मॉल और ग्रुप हाउसिंग के साथ उद्योग और आईटी की बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई है।
ग्रीन बेल्ट और पार्क हरियाली का पर्याय
नोएडा प्राधिकरण ने शहर में ग्रीन एरिया को बढ़ाने के लिए ग्रीन बेल्ट, पार्क, एवेन्यू प्लांटेशन और वर्टिकल गार्डन का विस्तार किया है। शहर के अधिकांश आवासीय क्षेत्र के साथ औद्योगिक क्षेत्र में पार्क और खेल के मैदान विकसित किए हैं, जो नोएडा में हरियाली को परिभाषित करते हैं। नोएडा के प्रत्येक क्षेत्र में लगभग 10-12 प्रतिशत भूमि पार्क, खेल के मैदान और अन्य खुले स्थानों के रूप में प्रयोग की जा रही है।
आर्थिक नुकसान की भी चेतावनी
शोध में पता चला है कि वर्ष 2011-2019 के बीच नोएडा शहर में शहरी हरियाली द्वारा कार्बन पृथक्करण के कारण 17.53 मिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ हुआ था। हालांकि वर्ष 2019-2027 के बीच हरियाली में अनुमानित गिरावट के कारण 4.46 मिलियन डॉलर का नुकसान दर्ज किया जा सकता है। शोध के दौरान अनुसंधान डेटा का विश्लेषण करने के लिए Google Earth इंजन – RandomForests क्लासिफायरियर, सेल्युलर ऑटोमेटा आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (CA-ANN) मॉडल और InVEST-CCS मॉडल का उपयोग करता है।
2027 तक यह आएंगे बदलाव
-कृषि भूमि जो 2011 में 86.7 वर्ग किलोमीटर थी, वर्ष 2027 में घटकर 24.1 वर्ग किलोमीटर हो सकती है।
-बंजर भूमि जो 2011 में 13.8 वर्ग किलोमीटर थी, वर्ष 2027 तक बढ़कर 14.3 वर्ग किलोमीटर हो सकती है।
-निर्माण क्षेत्र 2011 में 74.7 था, जो वर्ष 2027 तक 120 वर्ग किमी तक पहुंच सकता है।
-वर्ष 2027 में निर्मित भूमि (6.42) प्रतिशत में बड़ी वृद्धि होगी तथा बंजर भूमि (0.69) प्रतिशत में मामूली वृद्धि होगी।
-पूर्वानुमानित वर्ष 2027 के लिए, कुल कार्बन भंडारण 454,591.85 मीट्रिक टन दर्ज किया गया है, जो भविष्य में कार्बन भंडारण में होने वाली हानि को दर्शाता है।