- नोएडा के इंडोर स्टेडियम में कैंप करने आईं महिला खिलाड़ियों से ट्राईसिटी टुडे की खास बातचीत
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नहीं है खिलाड़ियों का व्हीलचेयर
Noida News : भारत की महिला व्हीलचेयर बॉस्केट बॉल खिलाड़ी इंडिया को रिप्रजेंट करने के लिए थाईलैंड जा रही हैं। इसी के लिए नोएडा के इंडोर स्टेडियम (Indoor Stadium)में चार दिवसीय कैंप आयोजित किया गया है। इसमें सभी खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रही हैं। व्हीलचेयर बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (Wheelchair Basketball Federation of India) द्वारा सभी को ट्रेनिंग दी जा रही है। एक तरफ यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि महिला खिलाड़ी व्हीलचेयर के सहारे अपने और अपने देश का नाम रोशन करने के लिए दूसरी कंट्री में जाने वाली हैं। वहीं, दूसरी तरफ उन्हें सरकार का कोई सहारा ही नहीं है। ये सभी खिलाड़ी अलग-अलग राज्यों से आकर यहां पर अभ्यास कर रही हैं। लेकिन, सरकार ने उनकी कोई सहायता नहीं की है। आपको बता दें कि अभ्यास करने के लिए उनके पास पर्याप्त और सही व्हीलचेयर भी नहीं है। इसके बावजूद वे सभी कठिनाइयों को पार करके आगे बढ़ी हैं। फेडरेशन की ओर से उन्हें एक होटल में रुकने की व्यवस्था की गई है। लेकिन, होटल से इनडोर स्टेडियम तक उन्हें आने जाने के लिए कैब तक उपलब्ध नहीं है। वे ई-रिक्शा से स्टेडियम आती हैं। पूरे दिन प्रेक्टिस करने के बाद वे ऑटो या ई-रिक्शा से ही होटल तक जाती हैं।
थाईलैंड में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व
महिला खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए कोच लुईस जॉर्ज और टीम मैनेजर कलवा राधा राव टीम को टिप्स दे रहे हैं। उन्हें खेल की रणनीति के बारे में भी बताया जा रहा है। ये महिला खिलाड़ी अलग-अलग राज्यों से आकर नोएडा में प्रैक्टिस कर रही हैं। फेडरेशन के अध्यक्ष वरुण अहलावत ने बताया कि इस चार दिवसीय कैंप में अभ्यास कर रही महिला टीम थाईलैंड में होने वाली एशिया ओसियाना जोन चैंपियनशिप में भारत का नाम रोशन करेंगी।
जीतने पर सभी पहुंचेंगे
नोएडा स्टेडियम के इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन करने के लिए अनुराग ठाकुर, गौतमबुद्ध नगर के डॉ. महेश शर्मा और नोएडा के विधायक पंकज सिंह पहुंचे थे। इसका फायदा लोगों तक पहुंच तो रहा है, लेकिन बिना व्हीलचेयर के कोई प्रदर्शन कैसे कर सकता है। आज प्रैक्टिस का आखिरी दिन है, लेकिन अभी तक उनसे मिलने के लिए और उनका हौसला बढ़ाने के लिए ना कोई सांसद पहुंचा ना ही कोई विधायक।
सभी के लिए मिसाल बनीं महिला खिलाड़ी
ट्राईसिटी टुडे ने सभी महिला खिलाड़ियों से बातचीत की। महाराष्ट्र से आई गीता चौहान ने बताया कि महिला होना और स्पोर्ट्स में जाना एक चुनौती होती है। इसके साथ ही डिसेबिलिटी भी उनके लिए सबसे बड़ी कठिनाई है। इसके बाद भी वह लाचारी को अपनी ताकत बनाकर यहां तक पहुंची हैं। वह कहती हैं, कोई भी मुश्किल इतनी बड़ी नहीं होती, जिससे पार न पाया जा सके। वह आने वाले समय में वह अपने देश का नाम रोशन करना चाहती हैं। मणिपुर से आई लोकेश्वरी ने बताया कि वह मणिपुर के गांव से आती हैं। 38 साल की उम्र में यंग खिलाड़ी के साथ खेलना मुश्किल है। सरकार की तरफ से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती है। उन्होंने अपने पूरे जीवन में काफी कुछ सहा है। वह एक इंडिपेंडेंट महिला बनना चाहती हैं और मणिपुर में हो रही घटनाओं की सच्चाई सामने लाना चाहती हैं।